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Janmashtami 2025 : कब शुरू होगा उत्तम मुहूर्त, रात 12 बजे करें ये खास उपाय

नई दिल्ली: देशभर में इस वर्ष श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 2025 का पर्व बड़े ही धूमधाम और श्रद्धा के साथ मनाया जाएगा। यह व्रत और उत्सव भगवान विष्णु के आठवें अवतार, श्रीकृष्ण के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन व्रत और विधिपूर्वक पूजा करने से जीवन में सुख-समृद्धि, संतान सुख और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

कब है अष्टमी तिथि?

15 अगस्त को तिथि मध्यरात्रि से ही प्रारंभ हो रही है जबकि श्री कृष्ण का जन्म अष्टमी तिथि के मध्यकाल में हुआ था। अष्टमी दोनों दिन आधी रात को व्याप्त हो तो जन्माष्टमी व्रत और पूजा दूसरे दिन किया जाता है। इस मान से उदया तिथि की अष्टमी ही मान्य है। इस व्रत में अष्टमी के उपवास और पूजन के बाद नवमी के पारण से व्रत की पूर्ति होती है। यानी पारण 17 तारीख को सुबह होगा। इसलिए 16 अगस्त को अष्टमी मान्य है। वैष्णव मत से भी अष्टमी 16 अगस्त को रहेगी।

जन्माष्टमी 2025 की तारीख और शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, इस बार जन्माष्टमी का पर्व शनिवार, 16 अगस्त 2025 को मनाया जाएगा।

  • श्री कृष्ण जन्म पूजन मुहूर्त: 16 अगस्त निशिता पूजा का समय- रात 12:04 से रात 12:45 तक उत्तम मुहूर्त रहेगा।
  • रोहणी नक्षत्र प्रारंभ: 17 अगस्त की सुबह 4:38 पर होगा।
  • अष्टमी तिथि प्रारम्भ: अगस्त 15, 2025 को 11:49 पी एम, अष्टमी तिथि समाप्त: अगस्त 16, 2025 को 09:34 पी एम
  • मध्यरात्रि का क्षण: 12:25 ए एम, अगस्त 17
  • चन्द्रोदय समय: 11:32 पी एम

पूजा विधि

  1. सुबह स्नान करके व्रत का संकल्प लें।
  2. मंदिर या घर के पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें।
  3. श्रीकृष्ण की प्रतिमा या झूले को फूलों और वस्त्रों से सजाएं।
  4. धूप, दीप, पुष्प, माखन, मिश्री और तुलसी दल अर्पित करें।
  5. रात 12 बजे जन्मोत्सव करें, आरती गाएं और प्रसाद बांटें।

जन्माष्टमी पर न करें ये गलतियां

  • व्रत के दौरान प्याज, लहसुन और मांसाहार का सेवन न करें।
  • भगवान को कभी भी तुलसी के बिना भोग न लगाएं।
  • जन्माष्टमी पर क्रोध, झूठ बोलना और अपशब्द कहना वर्जित है।
  • पूजा स्थल को अशुद्ध न रखें और समय पर आरती अवश्य करें।

धार्मिक महत्व

पुराणों में वर्णित है कि द्वापर युग में भाद्रपद माह की अष्टमी तिथि, रोहिणी नक्षत्र और आधी रात के समय श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। इस दिन की पूजा से व्यक्ति के पाप नष्ट होते हैं और जीवन में सुख, शांति तथा समृद्धि आती है।

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