Maharashtra Politics News : अजित पवार से बहस के बाद चर्चा में आईं IPS अंजना कृष्णा के सर्टिफिकेट्स की जांच की मांग, एनसीपी नेता ने UPSC को लिखी चिट्ठी

मुंबई। महाराष्ट्र की राजनीति और प्रशासनिक हलचल इन दिनों एक नए विवाद को लेकर सुर्खियों में है। डिप्टी सीएम अजित पवार और पुणे की आईपीएस अधिकारी अंजना कृष्णा के बीच हुई बहस के बाद मामला तूल पकड़ चुका है। अब इस विवाद ने नया मोड़ ले लिया है। एनसीपी के एक वरिष्ठ नेता ने आईपीएस अंजना कृष्णा की शैक्षणिक योग्यता और UPSC परीक्षा में उनके चयन से जुड़े दस्तावेजों की जांच की मांग करते हुए UPSC को चिट्ठी लिखी है।
बहस से शुरू हुआ विवाद
हाल ही में अजित पवार और आईपीएस अंजना कृष्णा की एक बैठक में तीखी नोकझोंक हुई थी। बताया जा रहा है कि पवार ने पुणे जिले की कानून-व्यवस्था और अपराध नियंत्रण को लेकर नाराजगी जताई थी, जिस पर अंजना कृष्णा ने भी बेबाक जवाब दिया। यह घटना मीडिया की सुर्खियों में आई और सोशल मीडिया पर वायरल हो गई।
अजित पवार और अंजना कृष्णा के बीच हुई इस बहस ने न सिर्फ पुलिस-प्रशासनिक रिश्तों को उजागर किया, बल्कि यह भी दिखाया कि अफसरशाही और नेताओं के बीच टकराव किस तरह खुलकर सामने आ रहा है।
एनसीपी नेता की चिट्ठी
अब इस विवाद के बीच एनसीपी (शरद पवार गुट) के एक नेता ने UPSC को पत्र लिखकर अंजना कृष्णा की शैक्षणिक योग्यता और चयन प्रक्रिया की जांच की मांग की है। उनका आरोप है कि अंजना कृष्णा ने यूपीएससी परीक्षा के दौरान अपने शैक्षणिक दस्तावेजों में गड़बड़ी की हो सकती है।
पत्र में यह भी सवाल उठाए गए हैं कि क्या उनके सभी सर्टिफिकेट्स सही और प्रमाणिक हैं, और क्या उनका कैडर अलॉटमेंट नियमों के अनुरूप हुआ था।
अंजना कृष्णा का करियर और प्रोफाइल
आईपीएस अंजना कृष्णा 2014 बैच की अधिकारी मानी जाती हैं और पुणे में बतौर वरिष्ठ पुलिस अधिकारी अपनी सेवाएं दे रही हैं। उनकी पहचान एक सख्त और ईमानदार अधिकारी के रूप में है। स्थानीय लोगों और कई सामाजिक संगठनों ने उनके काम की सराहना भी की है।
हालांकि, अब उनके खिलाफ उठ रहे सवालों ने उनकी छवि को प्रभावित किया है। पुलिस विभाग में भी इस मुद्दे पर चर्चा तेज हो गई है।
राजनीतिक हलचल
इस विवाद के राजनीतिक मायने भी निकाले जा रहे हैं।
- अजित पवार और शरद पवार के बीच पहले से ही तनावपूर्ण रिश्ते हैं।
- एनसीपी नेता द्वारा अंजना कृष्णा पर उठाए गए सवालों को राजनीतिक रणनीति भी माना जा रहा है।
- कुछ विश्लेषकों का कहना है कि यह मुद्दा विपक्ष को सरकार और अजित पवार पर दबाव बनाने का मौका देगा।
UPSC पर दबाव
UPSC देश की सबसे प्रतिष्ठित परीक्षाओं में से एक है। ऐसे में किसी आईपीएस अधिकारी की योग्यता पर सवाल उठना सीधे तौर पर आयोग की साख से जुड़ता है।
- UPSC अब इस पत्र का संज्ञान लेगा या नहीं, इस पर सबकी नजरें टिकी हैं।
- अगर जांच शुरू होती है, तो यह न सिर्फ अंजना कृष्णा के लिए बल्कि पूरे चयन तंत्र के लिए गंभीर मामला होगा।
सोशल मीडिया की प्रतिक्रिया
इस मामले ने सोशल मीडिया पर भी जबरदस्त बहस छेड़ दी है।
- कुछ लोग अंजना कृष्णा का समर्थन कर रहे हैं और इसे महिला अधिकारी को बदनाम करने की साजिश बता रहे हैं।
- वहीं, कुछ यूजर्स का मानना है कि अगर सर्टिफिकेट्स में कोई गड़बड़ी है तो जांच जरूर होनी चाहिए।
- ट्विटर और फेसबुक पर #AnjanaKrishna और #UPSC ट्रेंड करने लगे हैं।
विशेषज्ञों की राय
कानून विशेषज्ञों का कहना है कि किसी भी आईपीएस अधिकारी की नियुक्ति प्रक्रिया बेहद सख्त होती है। UPSC और गृह मंत्रालय की तरफ से सभी दस्तावेजों की गहन जांच की जाती है। ऐसे में धोखाधड़ी की संभावना बहुत कम होती है।
हालांकि, अगर कोई नया तथ्य सामने आता है तो आयोग जांच के आदेश दे सकता है।
अंजना कृष्णा का पक्ष
फिलहाल अंजना कृष्णा की तरफ से इस विवाद पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। सूत्रों के मुताबिक, वे अपने काम पर ध्यान दे रही हैं और इस तरह के राजनीतिक विवादों से दूरी बनाए रखना चाहती हैं।
“अजित पवार और आईपीएस अंजना कृष्णा के बीच हुई बहस ने जिस तरह से नया मोड़ लिया है, वह महाराष्ट्र की राजनीति और प्रशासन दोनों के लिए बड़ा विषय बन गया है। एनसीपी नेता द्वारा UPSC को लिखी गई चिट्ठी अब इस विवाद को और गहराई तक ले जाएगी। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि UPSC इस मामले में क्या कदम उठाता है और इसका असर अंजना कृष्णा के करियर पर कैसा पड़ता है।”