
नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में दिए गए एक महत्वपूर्ण भाषण में भारत और मालदीव के द्विपक्षीय संबंधों को लेकर स्पष्ट और मजबूत संदेश दिया। उन्होंने कहा कि भारत और मालदीव के संबंध ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और रणनीतिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण हैं और इन रिश्तों को किसी भी हालात में कमजोर नहीं होने दिया जाएगा।
प्रधानमंत्री मोदी ने भारत की “नेबरहुड फर्स्ट” नीति और “SAGAR” (Security and Growth for All in the Region) दृष्टिकोण की बात करते हुए कहा कि मालदीव भारत का अहम समुद्री पड़ोसी है और भारत सदैव पड़ोसी देशों की प्रगति में सहभागी बनकर काम करेगा।
उन्होंने भाषण में यह भी बताया कि भारत ने हमेशा मालदीव के कठिन समय में साथ खड़े होकर मदद की है – चाहे वह कोविड-19 महामारी हो, प्राकृतिक आपदा हो या आर्थिक संकट। भारत ने वैक्सीन, आवश्यक दवाएं, ईंधन, भोजन, और मुद्रा सहायता देकर मालदीव को समर्थन दिया।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में कहा,
“भारत और मालदीव केवल भौगोलिक रूप से ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और सामरिक दृष्टि से भी एक-दूसरे से गहराई से जुड़े हुए हैं। हमारी ‘नेबरहुड फर्स्ट’ नीति के तहत मालदीव को हमेशा प्राथमिकता दी गई है।”
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा
“हम मालदीव की संप्रभुता का सम्मान करते हैं। हम विश्वास, मित्रता और विकास के सिद्धांत पर आधारित साझेदारी में विश्वास रखते हैं। भारत अपने पड़ोसियों को ताकतवर देखना चाहता है, न कि कमजोर।”
प्रधानमंत्री ने भारत-मालदीव के बीच विभिन्न क्षेत्रों में हुए सहयोग का भी उल्लेख किया —
- कोविड महामारी के दौरान भारत ने सबसे पहले वैक्सीन, दवाइयां और मेडिकल सप्लाई भेजी,
- आर्थिक संकट के समय मालदीव को ऋण सहायता और मुद्रा विनिमय सहायता दी गई,
- रक्षा एवं समुद्री सहयोग के तहत संयुक्त अभ्यास और प्रशिक्षण कार्यक्रमों में भागीदारी बढ़ी है।
मालदीव की प्रतिक्रिया
प्रधानमंत्री मोदी के इस भाषण के बाद मालदीव की ओर से भी सकारात्मक प्रतिक्रिया सामने आई। मालदीव सरकार ने भारत के सहयोग और सद्भाव की सराहना करते हुए द्विपक्षीय संबंधों को और सुदृढ़ करने की इच्छा जताई। विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि भारत-मालदीव संबंध ऐतिहासिक मित्रता पर आधारित हैं और आने वाले समय में ये संबंध और मजबूत होंगे।
क्या होगा इसका प्रभाव
राजनयिक विशेषज्ञों का मानना है कि यह भाषण दोनों देशों के बीच हालिया तनाव को दूर करने का एक बड़ा प्रयास है। यह संकेत है कि भारत सामरिक धैर्य और संतुलन के साथ अपने पड़ोसियों के साथ संबंधों को मजबूती देने में विश्वास रखता है।
प्रधानमंत्री मोदी के इस भाषण ने भारत-मालदीव संबंधों में विश्वास, सम्मान और सहयोग की नई ऊर्जा का संचार किया है। यह कदम न केवल द्विपक्षीय रिश्तों को सुधारने में मदद करेगा, बल्कि पूरे हिंद महासागर क्षेत्र में स्थिरता और विकास को भी बढ़ावा देगा।




