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Ladakh : ट्रेनिंग के दौरान एवलांच की चपेट में आए 4 जवान, एक का शव बरामद

Avalanche in Ladakh: भारतीय सेना के पर्वतारोहियों का एक समूह लद्दाख के माउंट कुन (Mount kun) के पास सोमवार को हिमस्खलन की चपेट में आ गई। इससे भारतीय सेना के एक सैनिक की मौत हो गई, जबकि तीन लापता बताए गए हैं। अधिकारियों ने सोमवार को इस बारे में जानकारी दी। सेना के अधिकारियों के अनुसार, रविवार को हाई एल्टीट्यूड वारफेयर स्कूल (HAWS) और भारतीय सेना की आर्मी एडवेंचर विंग के लगभग 40 सैन्य कर्मियों की एक टुकड़ी माउंट कुन (Mount kun) के पास नियमित प्रशिक्षण गतिविधियों में शामिल थी।

दरअसल, रक्षा सूत्रों ने कहा कि हाई-अल्टीट्यूड वारफेयर स्कूल (HAWS) और सेना की आर्मी एडवेंचर विंग के सैन्य कर्मियों की एक टुकड़ी माउंट कुन (लद्दाख) के पास नियमित प्रशिक्षण गतिविधियों में शामिल थी। इस तरह के अभ्यास इस सीज़न के दौरान सैनिकों को पर्वतारोहण प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए नियमित अभ्यास और प्रशिक्षण का हिस्सा हैं।

बचाव अभियान जारी 

फिलहाल खराब मौसम और भारी बर्फ के ढेर के बावजूद बड़े पैमाने पर बर्फ के नीचे फंसे अन्य लोगों का पता लगाने और उन्हें निकालने के लिए खोज और बचाव अभियान जारी है। बताया गया है कि चार सैन्यकर्मी नीचे फंसे हुए थे। फिर तत्काल बचाव अभियान शुरू किया गया और अभी भी जारी है। यह भी बताया गया कि खतरनाक तलाशी अभियान में हिमस्खलन की चपेट में आए एक शख्स का शव बरामद कर लिया गया है।

क्या है हिमस्खलन ?

बर्फ या पत्थर के पहाड़ की ढलान से तेजी से नीचे गिरने को हिमस्खलन या एवलांच कहते हैं। हिमस्खलन के दौरान बर्फ, चट्टान, मिट्टी और अन्य चीजें किसी पहाड़ से नीचे की ओर तेजी से फिसलती हैं। हिमस्खलन आमतौर पर तब शुरू होता है जब किसी पहाड़ की ढलान पर मौजूद बर्फ या पत्थर जैसी चीजें उसके आसपास से ढीली हो जाती हैं। इसके बाद ये तेजी से ढलान के नीचे मौजूद और चीजों को इकट्टा कर नीचे की और गिरने लगती हैं।

क्यों होता है हिमस्खलन?

हिमस्खलन (Avalanche) आमतौर पर सर्दियों के मौसम में होता है। दरअसल जब भारी बर्फबारी होती है तो पहाड़ियों पर जमी बर्फ दबाव के साथ नीचे सरकने लगती है। इसके अलावा कई बार सूरज की गर्मी से पहाड़ियों पर जमी बर्फ पिघलने लगती है और यह भी हिमस्खलन का कारण बनती है। हिमस्खलन कितना खतरनाक हो सकता है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इन हिमस्खलनों में 10 लाख टन से लेकर एक अरब किलो तक बर्फ 120 से 300 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से नीचे गिर सकती है।

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