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ISRO New Mission Gaganyaan : चंद्रयान-3 और आदित्य एल 1 के बाद अब गगनयान की बारी, जानें कब भरेगा उड़ान

बेंगलुरु – Mission Gaganyaan: भारतीय स्‍पेस एजेंसी इसरो (ISRO) गगनयान मिशन से पहले 21 अक्टूबर को पहली परीक्षण उड़ान के जरिये क्रू एस्केप सिस्टम (Crew escape system) का इनफ्लाइट एबार्ट टेस्ट करेगा। स्पेस एजेंसी ने सौर मिशन के तहत आदित्‍य एल-1 (Aditya L1) को सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में भेज दिया है। पीएसएलवी-सी57 (PSLV-C57) रॉकेट के जरिए आदित्‍य एल-1(Aditya L1)   स्‍पेसक्राफ्ट ने उड़ान भरी, जो अब 120 दिनों के लंबे सफर पर है। अब स्पेस एजेंसी की नजरें इससे भी आगे गगनयान मिशन (Gaganyaan) पर टिक गई हैं। आइए जानते हैं इसरो का ये मिशन क्या है, और इसकी तैयारी कहां तक की जा चुकी है।

चाँद, सूरज और अब गगन 

चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) के तहत चांद पर चहलकदमी करने में कामयाब हुई इसरो ने आदित्‍य एल-1 को भी सूर्य पर नजर रखने के लिए सफलतापूर्वक लॉन्च कर दिया है। अब बारी गगनयान (Gaganyaan) की है। केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री जितेंद्र सिंह (Jitendra Singh) ने इस बारे में जानकारी दी उन्होंने कहा है कि गगनयान के लिए पहला ट्रायल अक्टूबर में किया जा सकता है। गगनयान (Gaganyaan) भारतीय स्‍पेस एजेंसी इसरो (ISRO) का एक महत्वाकांक्षी मिशन है। जिसमें गगनयान मिशन के तहत तीन अंतरिक्षयात्रियों के दल को तीन दिवसीय मिशन के लिए 400 किमी की कक्षा में ले जाया जाएगा। इसके बाद उन्हें सुरक्षित पृथ्वी पर वापस लाकर भारत मानव अंतरिक्ष उड़ान क्षमता का प्रदर्शन करेगा।

ISRO के चेयरमैन ने क्या कहा था?

इससे पहले इसरो के चेयरमैन एस सोमनाथ (S Somnath) भी कह चुके हैं कि सितंबर के अंत या अक्टूबर की शुरुआत में एक मिशन लॉन्च किया जा सकता है। जिसमें क्रू मॉड्यूल और क्रू एस्केप (Crew module and crew escape) क्षमताओं का प्रदर्शन किया जा सकता है।

मानवरहित होगा मिशन

गगनयान मिशन (Gaganyaan Mission) के तहत ISRO का लक्ष्य स्पेस में तीन व्यक्तियों को भेजने का रहेगा। हालांकि मिशन को 2021 के लिए प्लान किया गया था लेकिन हम आपको बता दें की उस वक्त चल रही कोरोना महामारी (COVID-19) के कारण इसमें देरी हो गई। मिशन के तहत इसरो तीन फ्लाइट स्पेस में भेजेगी। इनमें से दो फ्लाइट्स मानव रहित होंगी जबकि एक फ्लाइट मानव सहित होगी। प्लान में पृथ्वी के निचले ऑर्बिट में कुछ दिनों तक 300-400 किलोमीटर की ऊंचाई पर मनुष्य को रखना है। इसके लिए इसरो कुछ टेस्ट भी कर चुकी है जिसमें सर्विस मॉड्यूल प्रॉपल्शन सिस्टम (SMPS) और पैराशूट डिप्लोयमेंट (Parachute deployment) टेस्ट शामिल है।

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