
Income Tax Influencers : सोशल मीडिया कंटेंट क्रिएटर्स और इन्फ्लुएंसर्स के लिए रिटर्न दाखिल करने में एक महत्वपूर्ण बदलाव आया है। सोशल मीडिया कंटेंट क्रिएटर्स और इन्फ्लुएंसर्स की आय को अब एक स्पेशल कैटेगरी में रखा गया है। आयकर विभाग ने वित्त वर्ष 2024-25 (असेस्मेंट ईयर 2025-26) के लिए आयकर रिटर्न (आईटीआर) यूटिलिटीज के अंतर्गत ‘16021’ नाम से एक नया कोड पेश किया है, जो उन इन्फ्लुएंसर्स के लिए है जो प्रमोशन, प्रोडक्ट एंडोर्समेंट या डिजिटल कंटेंट क्रिएशन से कमाई करते हैं।
क्या हुआ बदलाव?
- CBDT ने FY 2024‑25 (यानी AY 2025‑26) के लिए ITR फॉर्म्स में नया प्रोफेशन कोड 16021 जोड़ा है, जो Social Media Influencers, ब्लॉगर, ऑनलाइन कोच और डिजिटल क्रिएटर्स को टैक्स रिटर्न में ‘Profession’ श्रेणी (ITR‑3 या ITR‑4) में पहचानने के लिए लागू होगा।
ITR फॉर्म चुनने के विकल्प:
- ITR‑3: उन क्रिएटर्स के लिए जो बिजनेस या प्रोफेशनल इनकम कमाते हैं, जैसे ब्रांड प्रमोशन, मेंशन फिस, आदि, और जिनके पास अन्य स्रोत जैसे कैपिटल गेन, प्रॉपर्टी आदि भी हो।
- ITR‑4 (Sugam): यदि आप Presumptive Taxation अपनाना चाहते हैं — यानी Section 44AD/44ADA के तहत टैक्स‑सिंगल रेट पर— यह चुन सकते हैं। यह पोर्टल उन प्रोफेशनल्स के लिए है जिनकी ग्रॉस रसीदें सीमित स्तर तक हैं (उदाहरण: रु 50 लाख तक या रु 75 लाख, कैश हिस्सा 5% से कम हो)।
टैक्सेशन और कंप्लायंस की जानकारी:
- Presumptive Taxation
- सेक्शन 44ADA (प्रोफेशनल इनकम, जैसे ऑनलाइन कोच/ब्लॉगर): 50% इनकम टैक्सेबल → ITR‑4.
- सेक्शन 44AD (बिजनेस इनकम): 8% टैक्स यदि कैश >5%, वरना डिजिटल पेमेंट के लिए 6% तक, रु 2–3 करोड़ तक तकरीबन स्वीकार्य → ITR‑4.
- अन्यथा → ITR‑3।
- विश्लेषकों की चिंता
टैक्स एक्सपर्ट्स का मानना है कि सोशल मीडिया influencing को ‘Specified Profession’ की सूची में नहीं रखा गया है, इसलिए इसे पेशे के रूप में कैटेगरी करना कानून के लिहाज़ से सही नहीं माना जा सकता। इनमें, आईटीआर utility की यह classification टैक्स कानून (Section 44AA/Rule 6F) से मेल नहीं खाती है। - GST और अन्य कर – नियम:
- यदि आपकी वार्षिक आय ₹20 लाख (विशेष श्रेणी राज्यों में ₹10 लाख) से अधिक है, तो GST रजिस्ट्रेशन आवश्यक हो सकता है, 18% कर के साथ आपकी सर्विस पर बिल देना होगा।
- पार्टनरशिप सौदों / गिफ्ट्स / मुफ्तगिरी (freebies) 30,000 से अधिक हो तो 10% TDS कटता है, इसे taxable income माना जाएगा।
- ऑडिट और बुक्स की ज़रूरत:
- यदि आपका रसीद ₹50 लाख से अधिक है → टैक्स ऑडिट ज़रूरी हो सकता है।
- यदि इनकम ₹1.2 लाख या टर्नओवर ₹10 लाख से अधिक है → तो किताबें रखनी अनिवार्य हैं, लेकिन Presumptive टैक्स के तहत अगर ITR‑4 चुनते हैं, तो यह जरूरत कम होती है।
क्या है महत्वपूर्ण
| पहलू | विवरण |
|---|---|
| नया प्रोफेशन कोड | 16021 — Social Media Influencer (ITR‑3 / ITR‑4) |
| ITR फ़ॉर्म विकल्प | ITR‑3 (business/professional), ITR‑4 (presumptive टैक्स) |
| Presumptive Taxation | 50% (44ADA professional), या 6‑8% biz (44AD) |
| GST / TDS ज़िम्मेदारी | ₹20 लाख > GST, ₹30,000 > 10% TDS freebies पर |
| ऑडिट / बुक्स की ज़रूरत | रसीद ₹50 लाख+, turnover ₹10 लाख+, income >₹1.2 लाख |
क्या पड़ेगा असर
सरकार की यह नई टैक्स व्यवस्था कंटेंट क्रिएटर्स के लिए पारदर्शिता और टैक्स कंप्लायंस को सशक्त बनाने की कोशिश है। प्रोफेशन कोड जोड़ने से न सिर्फ टैक्स विभाग को डेटा समझने में मदद मिलती है बल्कि क्रिएटर्स को सही फॉर्म चुनना आसान होता है। हालांकि, कुछ टैक्स विशेषज्ञ कहते हैं कि यह वर्गीकरण मौजूदा ऐक्ट (Rule 6F) से मेल नहीं खाता, जिससे भविष्य में कॉर्प्लायन्स विवादों की आशंका है।
सलाह
- अभी से अपनी सभी इनकम स्रोतों का रिकॉर्ड रखें—ब्रांड डील्स, एड रेवेन्यू, गिफ्ट्स, आदि।
- यदि संभव हो तो CA या टैक्स प्रोफेशनल से सलाह लें ताकि सही टैक्स फ़ॉर्म (ITR‑3 या ITR‑4) और GST/TDS अनुपालन निर्बाध हो।
- Presumptive टैक्स विकल्प से लाभ उठाना आपके लिए आसान हो सकता है—लेकिन thresholds और नियम पूरी तरह समझ कर ही निर्णय लें।




