जून 2025 में रिकॉर्ड 1.85 लाख करोड़ GST संग्रह, लेकिन किसानों और युवाओं को लाभ अब भी दूर

नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने जून 2025 में वस्तु एवं सेवा कर (GST) के माध्यम से 1.85 लाख करोड़ रुपये का संग्रह किया है, जो जून 2024 की तुलना में 6.2% अधिक है। पिछले वर्ष इसी महीने में यह आंकड़ा 1.73 लाख करोड़ रुपये था।

यह संग्रह अब तक के मासिक रिकॉर्ड स्तर में से एक माना जा रहा है, जिससे सरकार की आर्थिक स्थिति में मजबूती के संकेत मिलते हैं।
राजस्व वृद्धि लेकिन सामाजिक चुनौतियां बरकरार
जहां एक ओर इस राजस्व वृद्धि को आर्थिक सफलता के रूप में देखा जा रहा है, वहीं दूसरी ओर सवाल यह भी उठ रहे हैं कि
क्या यह लाभ वास्तव में किसानों, मजदूरों और युवाओं तक पहुँच पा रहा है?

विशेषज्ञों का कहना है कि “सरकार को राजस्व बढ़ने के साथ-साथ विकास का लाभ अंतिम व्यक्ति तक पहुँचाने की प्राथमिकता भी तय करनी चाहिए।”
युवाओं के सामने रोजगार की चुनौती
देश में युवा बेरोजगारी आज भी एक गंभीर विषय बना हुआ है। रोजगार के अवसर अपेक्षित गति से नहीं बढ़ रहे हैं, जिससे नई पीढ़ी में असंतोष की भावना पनप रही है।

इसके अतिरिक्त, स्टार्टअप्स और MSME सेक्टर को भी वह सहयोग नहीं मिल पा रहा है, जिसकी उन्हें आवश्यकता है।
कृषि क्षेत्र की स्थिति चिंता का विषय
हालांकि सरकार कई योजनाओं के ज़रिये कृषि क्षेत्र को सहयोग देने की बात करती रही है, लेकिन कृषि उत्पादों की पहुंच, बाज़ारों तक सीधी बिक्री, और सप्लाई चेन में सुधार जैसे मुद्दे अब भी अधूरे हैं।

किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य मिलना सुनिश्चित करना आज भी बड़ी चुनौती बना हुआ है।
देश पर बढ़ता कर्ज भी चिंता का कारण
इतना ही नहीं, आर्थिक वृद्धि के इन आँकड़ों के बीच देश पर बढ़ते कर्ज को लेकर भी विशेषज्ञ चिंतित हैं। जीएसटी संग्रहण में वृद्धि के बावजूद, सरकार की कर्ज पर निर्भरता में कमी नहीं आई है।

इसका सीधा प्रभाव विकास योजनाओं की स्थिरता और भविष्य की आर्थिक नीतियों पर पड़ सकता है।



