नई दिल्ली

Bilkis Bano Case : Vrinda Grover कौन हैं? जिसने Bilkis Bano के दोषियों को दिलाया इंसाफ, गुजरात दंगे से जुड़ा है मामला

नई दिल्ली – Bilkis Bano Case : गुजरात दंगों से प्रभावित बिलकिस बानो मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने सभी 11 दोषियों की सजा में छूट देने के गुजरात सरकार के फैसले को खारिज कर दिया है। बताया जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले से याचिकाकर्ता बिलकिस बानो को बड़ी जीत मिली है। ऐसे में आज हम इस याचिका में जीत की हीरो यानी वकील वृंदा ग्रोवर के बारे में जानेंगे। आपको बता दें कि बिलकिस बानो की ओर से दलीलें पेश करने वाली वकील वृंदा ग्रोवर ने फैसले का स्वागत किया।

न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी से कानून की पढ़ाई

वृंदा ग्रोवर एक मानवाधिकार वकील हैं। उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से कानून की डिग्री हासिल की है। इसके अलावा उन्होंने न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी से लॉ में पोस्ट ग्रेजुएशन किया है। वृंदा कई मानवाधिकार संबंधी आंदोलनों में सक्रिय रही है। उन्होंने महिलाओं और बच्चों को घरेलू हिंसा और यौन हिंसा से बचाने के लिए कानूनों का मसौदा तैयार करने में भी योगदान दिया है। वृंदा अत्याचार, सांप्रदायिक और लक्षित हिंसा के खिलाफ कानूनों की वकालत करती रही हैं।

महिलाओं से जुड़े मामलों में मुखर होकर रखती है विचार 

वृंदा को देश की वरिष्ठ वकील के तौर पर जाना जाता है। वह 1989 से सुप्रीम कोर्ट, हाई कोर्ट और अन्य ट्रायल कोर्ट में कानून का अभ्यास कर रही हैं। वह आपराधिक कानून, महिलाओं के अधिकारों और मानवाधिकारों से संबंधित मामलों की जानकार हैं। इन्हें देशभर की पुलिस, अधिकारी और न्यायिक अकादमियों में प्रशिक्षण के लिए बुलाया जाता है। 2013 में टाइम पत्रिका ने उन्हें दुनिया के 100 सबसे प्रभावशाली लोगों की सूची में शामिल किया।

बिलकिस बानो मामले में SC ने दिया ये फैसला

बिलकिस बानो मामले में भी दोषियों की सजा माफ करने के खिलाफ दायर याचिकाओं पर वृंदा ग्रोवर ने दलीलें पेश की। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि मनमाने आदेशों को जल्द से जल्द सही करना और जनता के विश्वास की नींव को कायम रखना इस अदालत का कर्तव्य है। सुप्रीम कोर्ट ने सभी 11 दोषियों को दो सप्ताह के भीतर जेल अधिकारियों को रिपोर्ट करने का निर्देश दिया। सुप्रीम कोर्ट का मानना है कि जिस राज्य में किसी अपराधी पर मुकदमा चलाया जाता है और उसे सजा सुनाई जाती है, वह राज्य दोषियों की क्षमा याचिका पर निर्णय लेने में सक्षम है। सुप्रीम कोर्ट का मानना है कि गुजरात राज्य दोषियों की सजा माफी का आदेश पारित करने में सक्षम नहीं है, लेकिन महाराष्ट्र सरकार सक्षम है।

SC के फैसले पर क्या बोलीं वृंदा ग्रोवर?

सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर वकील वृंदा ग्रोवर ने कहा कि गुजरात सरकार ने इस मामले को महाराष्ट्र भेजा ताकि न्यायोचित फैसला लिया जा सके। लेकिन गुजरात सरकार ने बिना किसी अधिकार के दोषियों को छूट दे दी। सरकार का आदेश कानून के खिलाफ था। सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि दोषियों को पहले ही वह राहत मिल चुकी है जिसके वे हकदार थे। अब कानून को ध्यान में रखते हुए दोषियों को सजा भुगतनी होगी और दो हफ्ते के अंदर जेल में रिपोर्ट करनी होगी।

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