Samudrayaan Mission: चांद और सूरज मिशन के बाद अब समुद्र खंगालेगा भारत, जानिए क्या है समुद्रयान मिशन?

Samudrayaan: चंद्रयान 3 लॉन्च करने के बाद भारत को मिली सफलता को पूरी दुनिया ने सराहा। इसके बाद इसरो ने अपना मिशन सूर्य तक पहुंचने का रखा और आदित्य L1 लॉन्च किया। अब सागर की बारी है। भारत समुद्र की गहराईयों को नापने की तैयारी में है। जल्द ही मिशन समुद्रयान के तहत भारत समुद्र के रहस्यों की खोज करने वाला है। अंतरिक्ष की तरह ही समुद्र की कोख में काफी अनसुलझे रहस्य समाए हुए हैं। उनका पता लगाने और समुद्री तत्वों की खोज करने के लिए इस मिशन को तैयार किया जा रहा है।
यह होगा पहला मानवयुक्त समुद्री मिशन
भारत समुद्र के रहस्यों की खोज करने के लिए पहला मानव युक्त समुद्री मिशन की तैयारी में जुट चुका है। इस मिशन का नाम समुद्रयान रखा गया है। इस मिशन में 3 लोगों को समुद्र तल में उतारने की योजना है। भारत में बनी पनडुब्बी मत्स्य-6000 को मिशन समुद्रयान पर भेजा जाएगा।
जानिए क्या है समुद्रयान मिशन?
भारत के पहले मानव युक्त समुद्री मिशन ‘समुद्रयान’ की शुरुआत चेन्नई में अक्टूबर 2021 में किया गया था। केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की ओर से इस स्वदेशी मिशन को शुरु किया गया। इस परियोजना के लिए भारत सरकार की ओर से 6 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं।
कब तक भेजा जा सकता है समुद्रयान?
अगले तीन सालों में मिशन समुद्रयान साकार होने की संभावना है। इस वाहन क डिजाइन तैयार हो चुका है। इसके कई उपकरणों और घटकों का निर्माण कार्य जारी है। 2024 के जून-जुलाई तक इस मिशन को अंजाम देने की योजना है।
समुद्र की 6000 मीटर गहराई तक भेजे जाएंगे इंसान
मंत्री ने बताया कि इस समुद्रयान को चेन्नई का नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओशन टेक्नोलॉजी (NIOT) तैयार कर रहा है। इस समुद्रयान के जरिए समुद्र के अंदर 6000 मीटर गहराई तक 3 इंसानों को भेजा जाएगा। जिससे समुद्र की गहराई के स्रोतों और जैव विविधता की स्टडी का जाएगी। रिजिजू ने ये भी दावा किया कि इससे कई लोगों को रोजगार भी मिलेगा क्योंकि इससे समुद्री संसाधनों का प्रयोग होगा।
पूरी तरह से स्वदेशी समुद्रयान मतस्य 6000
भारत के पूर्ण रूप से स्वदेशी ये समुद्रयान एक सबमर्सिबल है। जिसका नाम मतस्य 6000 रखा गया है। टाइटेनियम एलॉय से तैयार किए गए इस यान का व्यास 2.1 मीटर है। ये समुद्रयान 3 व्यक्तियों को 12 घंटे के लिए समुद्र की 6000 मीटर अंदर गहराई तक ले जाएगा। तीन व्यक्तियों की सुरक्षा के लिए इस यान में 96 घंटे इमरजेंसी इंड्यूरेंस मौजूद रहेंगे।
समुद्रयान मिशन का उद्देश्य
समुद्रयान का उद्देश्य गहरे समुद्र में दुर्लभ खनिजों और अन्य खोज के लिए तीन इंसानों को भेजना है। समुद्र के अंदर ये गैस हाइड्रेट्स, मैग्ननीज नॉड्यूल, पॉलिमैटिक और कोबाल्ट क्रस्ट जैसे संसाधान को खोजने के लिए भेजा जाएगा। जानकारों के अनुसार समु्द्र में ये सभी चीजें 1000 से 5000 मीटर की गहराई में पाई जाती हैं। याद रहे पनडुब्बियां केवल समुद्र के 300 या 400 मीटर तक गहराई तक जाती है, भारत का ये समुद्रयान समुद्र की 6000 मीटर की गहराई तक जाएगा।
डीप ओशन मिशन
समुद्री संसाधनों की खोज करने के उद्देश्य से 2021 में पृथ्वी मंत्रालय द्वारा ये ‘डीप ओशन मिशन’ पेश किया गया था। इसका मकसद गहरे समुद्र में संसाधनों का पता लगाने के लिए यान भेजकर भारत सरकार की ब्लू इकोनॉमी में मदद करना था।
कब तक भेजा जाएगा ये समुद्रयान और जानें इसकी लागत
ये समुद्रयान अभी तैयार किया जा रहा है 2026 में इस मिशन को लॉन्च करने की संभावना है। 41000 करोड़ रुपये की लागत का ये प्रोजेक्ट है।
समुद्रयान से पहले NIOT ने पहले बनाया था ये यान
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओशन टेक्नोलॉजी (NIOT) जो ये समुद्रयान बना रहा है, इससे पहले NIOT ने एक ‘पर्सनल स्फेयर यान’ तैयार किया था। ये 2.1 मीटर गोल पनडुब्बी थी जिसे माइल्ड स्टील से तैयार किया गया था। ये पर्सनल स्फेयर यान केवल 500 मीटर समुद्र की गहराई तक जा सकता था और उसमें केवल एक ही व्यक्ति के बैठने की क्षमता थी। पर्सनल स्फेयर यान की टेस्टिंग बंगाल की खाड़ी में सागर निधि जहाज के जरिए किया गया था। ये मिशन सफल हुआ जिसके बाद समुद्रयान मिशन को ग्रीन सिग्नल मिला।