
लखनऊः उत्तर प्रदेश की राजनीति में समाजवादी पार्टी से निष्कासित विधायक पूजा पाल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मुलाकात ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। कौशांबी जिले की चायल विधानसभा सीट से विधायक पूजा पाल का यह कदम महज शिष्टाचार भेंट है या फिर किसी बड़े राजनीतिक बदलाव का संकेत, इसको लेकर चर्चाओं का दौर तेज हो गया है।
कौन हैं पूजा पाल?
पूजा पाल का नाम यूपी की सियासत में बेहद अहम है। उनके पति राजू पाल, जो बहुजन समाज पार्टी से विधायक थे, की हत्या 2005 में माफिया अतीक अहमद द्वारा करवाई गई थी। इस दर्दनाक घटना के बाद पूजा पाल राजनीति में सक्रिय हुईं और पीड़ित वर्ग की आवाज बनकर उभरीं।
हाल ही में उन्होंने विधानसभा में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कानून-व्यवस्था की नीतियों की तारीफ की थी और खुले तौर पर अतीक अहमद को माफिया कहा था। इससे नाराज होकर समाजवादी पार्टी ने उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया था।
बीजेपी के लिए संभावित फायदे
राजनीतिक जानकार मानते हैं कि यदि पूजा पाल भारतीय जनता पार्टी (BJP) में शामिल होती हैं, तो पार्टी को दो बड़े फायदे हो सकते हैं:
- संगठनात्मक मजबूती – कौशांबी और आस-पास के क्षेत्रों में भाजपा की पकड़ और मजबूत होगी।
- राजनीतिक संदेश – भाजपा यह दिखा सकेगी कि वह अपराध और माफियाओं के खिलाफ मजबूती से खड़ी है और पीड़ितों के साथ खड़ी रहती है।
साथ ही, पूजा पाल का भाजपा में शामिल होना भावनात्मक और सामाजिक असर भी डालेगा। खासकर पिछड़े और दलित समुदाय के बीच यह संदेश जाएगा कि भाजपा पीड़ित वर्ग की आवाज को महत्व देती है।
समाजवादी पार्टी के लिए झटका
वहीं दूसरी ओर, पूजा पाल का समाजवादी पार्टी से बाहर होना और अब योगी आदित्यनाथ से मुलाकात करना, सपा के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है।
- सपा खुद को हमेशा पीड़ितों और वंचितों की आवाज बताती रही है।
- लेकिन राजू पाल जैसे हाई-प्रोफाइल हत्याकांड से जुड़ी पीड़िता को पार्टी से निकालना उसके लिए मुश्किल सवाल खड़े करता है।
पूजा पाल का बयान
हालांकि पूजा पाल ने अभी तक भाजपा ज्वाइन करने की पुष्टि नहीं की है। उनका कहना है कि वे केवल अपने समाज और जनता के लिए संघर्ष कर रही हैं। लेकिन भारतीय राजनीति में अक्सर ऐसे संकेत ही भविष्य के बड़े बदलाव की भूमिका तय करते हैं।
“पूजा पाल और योगी आदित्यनाथ की मुलाकात उत्तर प्रदेश की राजनीति में आने वाले समय में बड़े बदलाव का संकेत हो सकती है। अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि क्या पूजा पाल सचमुच भाजपा का दामन थामेंगी या फिर यह मुलाकात केवल एक शिष्टाचार भेंट थी।”