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क्या सस्ता होगा पेट्रोल और डीजल? टैक्स को लेकर आई बड़ी खबर,जाने क्या है पूरा मामला

नई दिल्ली – इंटरनेशनल मार्केट में कच्चे तेल के रेट में उतार-चढ़ाव के बीच देश की राजधानी दिल्ली में आज, 20 अगस्त 2023 को भी एक लीटर पेट्रोल की कीमत 96.72 रुपये और एक लीटर डीजल का भाव 89.62 रुपये पर ही टिका है। इसके साथ ही देश की आर्थिक राजधानी मुंबई की बात करें तो यहां पेट्रोल 106.31 रुपये प्रति लीटर और डीजल 94.27 रुपये प्रति लीटर पर स्थिर है। महंगाई को कम करने के लिए कई तरह के प्रयास किए जा रहे हैं। जहां एक ओर टमाटर की कीमतों को कम करने के नेपाल से टमाटर इंपोर्ट कर बाजार में सप्लाई भेजी जा रही है। वहीं प्याज की कीमतों को स्थिर रखने के लिए गोदामों के दरवाजों को खोला जा रहा है। जानकारों का कहना है कि आने वाले दो हफ्तों में सब्जियों की महंगाई काफूर हो जाएगी। सरकार भी इस बात को मानकर चल रही है।

उसके बाद भी केंद्रीय सत्ता के माथे पर चिंताओं की रेखाएं साफ देखी जा रही हैं। उसका कारण है कच्चा तेल। वो भी ऐसे समय पर जब देश रूस से सस्ता क्रूड ऑयल रिकॉर्ड लेवल पर इंपोर्ट कर रहा है। वैसे अभी भी इंटरनेशनल मार्केट में अभी कच्चे तेल की कीमतें 90 डॉलर प्रति बैरल से कम है। फाइनेंस मिनिस्ट्री के एक अधिकारी ने नाम ना प्रकाशित करने की शर्त पर कहा कि एक्साइज ड्यूटी कम करने की कोई प्लानिंग नहीं है। सरकार इंफ्रा पर इंवेस्टमेंट बढ़ा रही है, और प्राइवेट सेक्टर के कैपिटल इंवेस्टमेंट में आना बाकी है।

क्या सरकार को कच्चे तेल की चिंता है?
इस सवाल पर कि क्या सरकार कच्चे तेल की कीमतों में हालिया उछाल को लेकर चिंतित है, अधिकारी ने कहा कि बजट कैलकुलेशन में कच्चे तेल की कीमतें शामिल नहीं हैं क्योंकि सरकार ओएमसीज को सब्सिडी नहीं देती है। इसलिए कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव का राजकोषीय गणित पर कोई असर नहीं पड़ता है। कच्चे तेल की कीमतें फिलहाल 85 डॉलर प्रति बैरल के आसपास चल रही हैं, जबकि बजट के समय यह 70-73 डॉलर प्रति बैरल थी।

90 डॉलर तक कोई चिंता नहीं है
अधिकारी ने कहा कि कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें चिंता का विषय हैं, लेकिन ओएमसी के दृष्टिकोण से वे अभी भी टोलरेबल जोन में हैं। इसमें अभी किसी भी पॉलिसी एडजस्टमेंट की जरुरत नहीं है। बजट की कैलकुलेशन सही रास्ते पर है। अधिकारी ने कहा कि हम सही रास्ते पर हैं तेल लगभग 80-85 अमेरिकी डॉलर पर है, 90 अमेरिकी डॉलर तक हमें चिंतित नहीं होना चाहिए। 90 अमेरिकी डॉलर के पार इसका महंगाई और अन्य चीजों पर असर पड़ता है। अधिकारी ने पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में किसी भी कटौती से इनकार करते हुए कहा कि अभी इस पर विचार नहीं किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हम पेट्रोल, डीजल में किसी उत्पाद शुल्क में कटौती की उम्मीद नहीं कर रहे हैं।

क्या सरकार बढ़ा रही है कैपेक्स
अधिकारी ने कहा कि केंद्र का कैपेक्स जो जून तिमाही के अंत में बजट अनुमान का 28 फीसदी था, सितंबर के अंत तक 50 फीसदी तक पहुंच जाएगा. 2023-24 के बजट में, सरकार ने चालू वित्त वर्ष में कैपेक्स को 33 फीसदी फीसदी बढ़ाकर 10 लाख करोड़ रुपये कर दिया था। अधिकारी ने आगे कहा कि एग्रीकल्चर सेक्टर के फ्लेक्सिबल होने की वजह से 6 फीसदी बारिश की कमी के बावजूद खरीफ की बुआई पर असर पड़ने की संभावना नहीं है। सरकार महंगाई को कंट्रोल करने के लिए कदम उठा रही है, जिसमें भंडार से गेहूं और चावल के स्टॉक को जारी करना, चावल, चीनी के निर्यात पर प्रतिबंध लगाना और दालों और तिलहनों के इंपोर्ट की अनुमति देना शामिल है।

महंगाई को कम करने के लिए उठाए गए है कई अहम कदम
मीडिया रिपोर्ट में अधिकारी ने कहा कि कीमतों को नीचे रखने के लिए लचीली व्यापार नीति अपनाई गई है। हमें याद रखना चाहिए कि यूक्रेन वॉर के कारण ग्लोबल लेवल पर फूड प्राइस काफी अधिक हैं और खाद्यान्न की सप्लाई प्रभावित हुई है और यह एक ग्लोबल फैक्टर है जिससे भारतीय अलग नहीं रह सकते हैं। अधिकारी ने आगे कहा कि हमने देश की आबादी को महंगाई से दूर रखने के लिए कदम उठाए हैं और दूसरों की तुलना में हम काफी बेहतर स्थिति में हैं।

देश जल्द कम होगा महंगाई का दबाव?
अधिकारी ने कहा कि टमाटर की कीमतों को कम करने के लिए हस्तक्षेप किए गए हैं और ये कदम आने वाले महीनों में फल देंगे। टमाटर एक मौसमी फसल है और हमें जल्द ही दूसरी फसल मिलेगी और कीमत का दबाव कम हो जाएगा। अधिकारी ने कहा कि यह महंगाई सब्जियों की ऊंची कीमतों से देखने को मिली है। उम्मीद है कि संभवतः अगले महीने तक सब्जियों की कीमतें कम हो जाएंगी।

जुलाई में खुदरा महंगाई 15 महीने के हाई लेवल 7.44 प्रतिशत पर पहुंच गई, जो जून में 4.87 फीसदी से अधिक है। हालांकि, थोक महंगाई जुलाई में लगातार चौथे महीने माइनस में देखने को मिली। जुलाई में, वेजिटेबल बास्केट में सालाना खुदरा महंगाई 37.44 फीसदी, मसालों में 21.63 फीसदी, दालों और उत्पादों में 13.27 फीसदी और अनाज और उत्पादों में 13 फीसदी थी।

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