मुंबई: बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर बेंच ने कहा कि अपने वॉट्सऐप स्टेटस के जरिये लोगों को कुछ संदेश देते हुए आपको जिम्मेदारी का बर्ताव करना चाहिए। इसी के साथ अदालत ने एक धार्मिक समूह के खिलाफ नफरत फैलाने वाले एक पोस्ट पर एक व्यक्ति के खिलाफ मामला खारिज करने से इनकार कर दिया।
जस्टिस विनय जोशी और वाल्मीकि एसए मेनजेस ने 12 जुलाई के अपने आदेश में कहा कि आजकल वॉट्सऐप स्टेटस का मकसद अपने संपर्क के लोगों तक अपनी बात पहुंचाना होता है। लोग अक्सर अपने कांटैक्ट का वॉट्सऐप स्टेटस चेक करते रहते हैं।
हाई कोर्ट ने वॉट्सऐप स्टेटस पर क्या कहा?
हाई कोर्ट ने कहा कि वॉट्सऐप स्टेटस आपके संबंध में एक फोटो या वीडियो हो सकता है जो किसी कार्य या विचार को दर्शाते हुए 24 घंटे बाद गायब हो जाता है। वॉट्सऐप स्टेटस का उद्देश्य आपके संपर्कों को कोई संदेश देना है। यह आपके परिचतों को अपनी बात कहने का एक जरिया है। लोगों को दूसरों से संवाद करते हुए जिम्मेदारी की भावना से बर्ताव करना चाहिए। उल्लेखनीय है कि आरोपित पर मार्च, 2023 में केस दर्ज हुआ था।
ये था मामला
27 वर्षीय याचिकाकर्ता किशोर लांडकर के खिलाफ 23 मार्च को एक शिकायत दर्ज की गई थी। इसमें कहा गया कि किशोर ने एक वॉट्सऐप स्टेटस डाला था, जहां उन्होंने Google पर खोजे जाने के लिए एक सवाल पूछा था। उन्होंने यहां तक दावा किया था कि गूगल पर उनकी पोस्ट सर्च करने वाले को चौंकाने वाला रिजल्ट मिलेगा। जब शिकायतकर्ता गणेश भगत ने Google पर लांडकर के डाले गए स्टेटस के बारे में खोजा, तो उन्होंने एक विशेष वर्ग की धार्मिक भावना को अपमानित करने वाली आपत्तिजनक सामग्री देखी और इसके बाद उन्होंने वाशिम के मंगरुलपीर पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई।