G-20 Summit में भारत का क्या है रोल और इससे भारत को क्या होगा फायदा ? जानिए किन चुनौतियों से पाना होगा पार ?

नई दिल्ली – G-20 Summit : G-20 की अध्यक्षता संभाले हुए भारत ने आज विश्व को हमारे देश का सुन्दर आईना दिखाया है। जी-20 शिखर सम्मलेन के दौरान विश्व की सभी महा शक्तियां एक साथ एक ही मंच को राजधानी दिल्ली में साझा कर रही थी। जी 20 के कारण ही तमाम बड़े देशों ने भारत की छवि देखि और भारत द्वारा आयोजित किये गए इस समारोह का हिस्सा बने। लेकिन देश की जनता के बीच कई सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि जी 20 का समापन अब हो चुका है , जिसके बाद देश की जनता जानना चाहती है की आखिरकार जी 20 से देश को फायदा क्या हुआ है ? अगर आपके मन भी कुछ ऐसे ही सवाल हैं तो आज आपके लिए हमारा ये लेख काफी फायदेमंद होने वाला है। निचे दिए गए 5 मुख्यबिंदुओं आप समझ पाएंगे की आखिरकार इससे देश को क्या लाभ प्राप्त हुआ है।
हुआ ग्लोबल बायोफ्यूल अलायंस लॉन्च
देश के पीएम नरेंद्र मोदी ने इस सम्मलेन के शुरुआत में ही कहा था की वे स्वच्छ ऊर्जा के मामले में भारत की ओर से एक महत्वपूर्ण ऐलान करने वाले हैं। जी हाँ इस मौके पर पीएम मोदी ने ग्लोबल बायोफ्यूल अलायंस लॉन्च को किया। इसके साथ ही आपको बता दें की इस अलायंस के अमेरिका और ब्राजील फाउंडिंग मेंबर हैं। हालांकि ग्लोबल बायोफ्यूल अलायंस के लॉन्च होने के बाद से ही भारत , अमेरिका और ब्राज़ील तीनों देश ही इस फाउंडिंग मेंबर्स में अर्जेंटीना और इटली को मिलाकर कुल 11 देश इससे जुड़ चुके हैं।
G-20 बना अब G-21
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस सम्मलेन के पहले ही दिन ये ऐलान किया था की अब जी-20, जी-21 कहलायेगा। जिसमें अफ्रीकन यूनियन इसका हिस्सा बना है।जिसमें पीएम मोदी का बड़ा सहयोग था।
32 पन्नों वाली घोषणा पत्र हुई हासिल
जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान रूस-यूक्रेन युद्ध पर पार पाते हुए एक सर्वसम्मत घोषणापत्र को भी अपनाया गया। जिसमें देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वैश्विक विश्वास की कमी को पूरी तरह से खत्म करने का आह्वान किया। साथ ही 32 पन्नों वाली घोषणा पत्र भी हासिल हुई।
ये हुई बड़ी घोषणा
इस अम्मेलन के दौरान भारत से यूरोप तक ट्रेड रूट बनाने तक की संकल्पना को काफी ख़ास माना गया। जहां भारत की ओर से रूस ट्रेड बनाने की पेशकश रखी गयी।
नहीं होंगे परमाणु हथियारों का इस्तेमाल
दिल्ली के घोषणापत्र में यूक्रेन और रूस के युद्ध का जिक्र करते हुए इन दोनों देशों में व्यापक, न्यायसंगत और स्थायी शांति का आह्वान किया गया।साथ ही ये भी कहा गया की इन युद्धों में परमाणु हथियारों का इस्तेमाल या उनके इस्तेमाल की धमकी देना बिलकुल अस्वीकार्य होनी चाहिए।
1. वैश्विक मंच पर भारत की स्वीकार्यता बढ़ी
डेढ़ साल से अधिक समय से चल रहे रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान शायद ही कभी ऐसा हुआ हो कि रूस, अमेरिका एवं पश्चिमी देश किसी एक बात पर कभी सहमत हुए हों। हालत यह है कि अगर इन देशों से पूछा जाए कि अभी क्या समय हो रहा है तो ये अपने-अपने टाइमजोन का समय बता देगें मगर दूसरे के टाइमजोन को ही सिरे से ख़ारिज कर दें। दिल्ली घोषणा पत्र में रूस-यूक्रेन युद्ध समेत सभी मुद्दों पर सर्वसम्मति लाकर भारत ने वैश्विक राजनीति में एक अमिट छाप छोड़ दी है। विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर भारत को अब और अधिक सम्मान के साथ देखा एवं सुना जाएगा।
- भारत अब अमेरिका और रूस के और अधिक हुआ नज़दीक
जी-20 के शानदार आयोजन एवं उसके बाद जारी घोषणापत्र ने भारत को अमेरिका और रूस के और क़रीब ला दिया है। भारत अब बिना किसी हिचक के दोनों महाशक्तियों के साथ अपने हितों को आगे बढ़ा सकता है। चाहे अमेरिका से नयी तकनीक हस्तांतरण या व्यापारिक समझौते की बात हो या फिर रूस के साथ परंपरागत तेल, फर्टिलाइजर, रक्षा सौदों एवं दूसरी चीजों को लेकर व्यापार, भारत के लिए अब यह और अधिक आसान होगा। दोनों सुपरपावर भारत पर एक समान रूप से भरोसा करने के लिए तैयार हैं, यानी कि दुश्मन का दोस्त हमेशा दुश्मन नहीं होता है।
- भारत सरकार की अपने लोगों के प्रति जवाबदेही बढ़ी
कहते हैं कि बड़ी ताक़त के साथ ज़िम्मेदारी भी आती है। जी-20 की शानदार सफलता से दुनिया में भारत का क़द बढ़ा। अब भारत को एक बड़े प्लेयर के तौर पर देखा जा रहा है। ऐसे में भारत अपने घरेलू मसलों पर किस तरह से आगे बढ़ता है उस पर दुनिया भर की नज़रें होगी। चाहे भारतीय लोकतंत्र हो या देश की विविधता एवं बहुलतावादी संस्कृति, इन पहलुओं पर सरकारी नीतियाँ एवं एक्शन को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लगातार परखा जाएगा।
- इंडिया-मिड्ल ईस्ट-यूरोप काँरिडोर ने खोला नया रास्ता
अगर भारत एक बड़ा बाज़ार है और तो भारतीय उत्पादकों को भी नये बाज़ार की ज़रूरत है। जी-20 के दौरान भारत को व्यापारिक तौर पर बाक़ी दुनिया के साथ कनेक्ट करने के लिए इंडिया-मिड्ल ईस्ट-यूरोप कॉरिडोर का ऐलान हुआ। इसके तहत रेल, पोर्ट, ट्रांसपोर्ट, हवाई मार्ग, डेटा केबल एवं दूसरी तकनीकों के ज़रिए तीनों क्षेत्रों को जोड़ने का फ़ैसला हुआ है। इसके कारण रोज़गार, निवेश एवं व्यापार क्षेत्र में होने वाले अपार संभावनाओं से लोगों के लिए नये अवसर पैदा होंगे।
- भारत को वित्तीय मदद मिलने में होगी आसानी, विकास कार्यों में आयेगी तेज़ी
जी-20 के दिल्ली घोषणापत्र में अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों में व्यापक सुधार पर ज़ोर दिया गया है। नये नियमों एवं ढांचागत सुधार से भारत को इन वित्तीय संस्थानों से विकास कार्यों के लिए फंड मिलने में आसानी होगी। सरकार कल्याणकारी योजनाओं के तहत खर्च कर पायेगी जिसका सीधा फ़ायदा देश के आख़िरी छोर पर मौजूद व्यक्ति को मिल सकेगा।
भारत के सामने कई चुनौतियां भी
- चीन है सबसे बड़ा थ्रेट:
भारत कई मोर्चों पर चीन को लगातार पटखनी दे रहा है। ऐसे में इंटरनेशनल मार्केट और वर्ल्ड प्लेटफॉर्म पर चीन भारत के लिए सबसे बड़ा थ्रेट बन गया है। जिस तरह से भारत की दोस्ती पश्चिमी देशों से बढ़ रही है, चीन भारत से उतना ही दूर होता जा रहा है। मुमकिन है कि आने वाले दिनों में चीन इंटरनेशनल प्लेटफॉर्म पर भारत की मुखालफत खुले तौर पर करना शुरू कर दे। ऐसे में भारत को चीन से सिर्फ लाइफ ऑफ एक्चुअल कंट्रोल के साथ अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भी निपटने की चुनौती होगी। - चीनी बेल्ट में 90 देश बन सकती है चुनौती :
भले ही भारत, अमेरिका, यूरोपीय यूनियन और खाड़ी देश इकोनॉमिक कॉरिडोर बनाने पर सहमत हो चुके हों, लेकिन दूसरी ओर चीन का बीआरआई बड़ी चुनौती अभी भी इसलिए है, क्योंकि उसमें 90 देश शामिल हैं। जिसमें सबसे बड़ा भागीदार रूस भी है। ये संख्या भारत, खाड़ी और पश्चिमी देशों के गुट से ज्यादा बड़ा है। - रिनुएबल एनर्जी सेक्टर में चुनौती:
क्लाइमेट को लेकर रिनुएबल एनर्जी की कैपेसिटी को 2030 तक तीन गुना करना भी एक बड़ी चुनौती है। 2030 तक कुल क्षमता को तीन गुना करने के लिए दुनिया को हर साल लगभग 1,000 गीगावॉट नई क्षमता को जोड़ना होगा। आईआरईएनए या आईईए के अनुसार 2030 तक नवीकरणीय क्षमता को तीन गुना करना एक महत्वाकांक्षी योजना है। जिसे पूरा करना बड़ी चुनौती बन सकती है। - बेरोजगारी अब भी बड़ी चुनौती:
जी20 में गरीब देशों को लेकर और उनके कर्ज को लेकर भी चर्चा हुई थी। जिसे भारत ने पुरजोर तरीके से उठाया भी। लेकिन भारत में बेरोजगारी और महंगाई जैसे मुद्दे बड़ी चुनौतियां सरकार के सामने हैं। जिनसे पार पाना सरकार के लिए बेहद जरूरी है। ऐसे में दूसरे देशों के साथ खुद अपने देश में महंगे कर्ज, महंगाई और बेरोजगारी को कम करना काफी बड़ी चुनौती बनी हुई है। - ग्लोबल साउथ ब्लॉक के 55 देशों की जिम्मेदारी :
भारत ने जी20 में 55 अफ्रीकी देशों को शामिल कराया है। साथ ही खुद को साउथ के ग्लोबल लीडर के तौर पर प्रमोट किया है। ऐसे में भारत के हर इंटरनेशनल प्लेटफॉर्म पर उन देशों के मुद्दों को उठाने की बड़ी चुनौती होगी। ये 55 देश हर मुद्दे पर भारत को ही अपने लीडर के तौर पर देखेंगे।