इतिहास

गाँधी जी को ‘महात्मा’ कहने वाले टैगोर की पुण्यतिथि आज, जानिए उनकी लिखीं प्रेरक बातें और जीवन की महत्वपूर्ण घटनाएं

रवींद्रनाथ टैगोर ऐसी शख्सियत हैं जिनका नाम शायद देश का हर बच्चा जानता है। राष्ट्रगान ‘जन गण मन अधिनायक’ के रचयिता रवींद्रनाथ टैगोर की आज 80वीं पुण्यतिथि है। 7 अगस्त 1941 को उन्होंने इस संसार को त्याग दिया। वह एक बहुआयामी प्रतिभा की शख्सियत के मालिक थे। टैगोर ने कविता, साहित्य, दर्शन, नाटक, संगीत और चित्रकारी समेत कई विधाओं में प्रतिभा का परिचय दिया। गुरुदेव बहुआयामी प्रतिभा वाली शख़्सियत थे। वे कवि, साहित्यकार, दार्शनिक, नाटककार, संगीतकार और चित्रकार थे। विश्वविख्यात महाकाव्य गीतांजलि की रचना के लिये उन्हें 1913 में साहित्य के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। साहित्य के क्षेत्र में नोबेल जीतने वाले वे अकेले भारतीय हैं।

रवीन्द्रनाथ टैगोर की पुण्यतिथि पर हम बताएंगे गुरुदेव के बारे में 10 खास बातें

  1. भारतीय राष्ट्रगान के रचयिता और काव्य, कथा, संगीत, नाटक, निबंध जैसी साहित्यिक रचना करने वाले रवीन्द्रनाथ टैगोर का जन्म 7 मई 1861 को जोड़ासांको में हुआ था।
  2. बचपन से ही रवींद्रनाथ की विलक्षण प्रतिभा का आभास लोगों को होने लगा था। उन्होंने सिर्फ 8 साल की उम्र में पहली कविता लिखी और केवल 16 साल की उम्र में उनकी पहली लघुकथा प्रकाशित हुई थी।
  3. साहित्य, संगीत, कला और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में अपनी अनूठी प्रतिभा का परिचय देने वाले नोबेल पुरस्कार से सम्मानित कवि रवीन्द्रनाथ टैगोर ऐसे मानवतावादी विचारक थे जिन्हें प्रकृति का सान्निध्य काफी पसंद था।
  4. टैगोर दुनिया के संभवत: एकमात्र ऐसे कवि हैं जिनकी रचनाओं को दो देशों ने अपना राष्ट्रगान बनाया।
  5. उन्होंने दो हजार से अधिक गीतों की रचना की। रवींद्र संगीत बांग्ला संस्कृति का अभिन्न अंग बन गया है। हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत से प्रभावित उनके गीत मानवीय भावनाओं के विभिन्न रंग पेश करते हैं।
  6. गुरुदेव का मानना था कि छात्रों को प्रकृति के सान्निध्य में शिक्षा हासिल करनी चाहिए। अपनी इसी सोच को ध्यान में रखकर उन्होंने शांति निकेतन की स्थापना की थी।
  7. गुरुदेव बाद के दिनों में चित्र भी बनाने लगे थे। साहित्यिक विधाओं में अपना सर्वश्रेष्ठ देने वाले और चित्रकला के क्षेत्र में भी कलाकार के रूप में अपनी पहचान कायम की थी।
  8. समीक्षकों के अनुसार गुरुदेव की कृति ‘गोरा’ कई मायनों में अद्भुत रचना है। इस उपन्यास में ब्रिटिश कालीन भारत का जिक्र है। राष्ट्रीयता और मानवता की चर्चा के साथ पारंपरिक हिन्दू समाज और ब्रह्म समाज पर बहस के साथ विभिन्न प्रचलित समस्याओं पर प्रकाश डाला गया है।
  9. उनकी रचना ‘गीतांजलि’ के लिए उन्हें साहित्य के नोबल पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था।
  10. रवींद्रनाथ टैगोर का 7 अगस्त 1941 को उनका देहावसान हो गया। उन्होंने अमेरिका, ब्रिटेन, जापान, चीन सहित दर्जनों देशों की यात्राएं की थी। टैगोर सिर्फ महान रचनाधर्मी ही नहीं थे, बल्कि वो पहले ऐसे इंसान थे जिन्होंने पूर्वी और पश्चिमी दुनिया के मध्‍य सेतु बनने का कार्य किया था।

रवींद्रनाथ टैगोर का जन्म 7 मई 1861 को कोलकाता में हुआ था। वह 13 भाई-बहनों में सबसे छोटे थे। उनके पिता ने उनका पालन पोषण किया। बचपन से ही उन्हें लिखने का बहुत शौक था। आठ साल की उम्र में ही कविताओं की रचनाएं शुरू कर दी थी। आगे चलकर टैगोर देश के एक महान कवि, उपन्यासकार, नाटककार, चित्रकार और निबंधकार बने.

साल 1980 तक टैगोर ने कई उपन्यास, कविताएं और कहानियां लिख डाली, जिसे बंगाल के कई पब्लिशर्स ने पब्लिश भी किया। इसके बाद रवींद्रनाथ टैगोर बंगाल में काफी फेमस हो गए थे। उनकी रचनाओं की वजह से उन्हें हर कोई जानने लगा था। अपनी रचनाओं के जरिए टैगोर ने समाज के गलत रीति रिवाजों और कुरीतियों के बारे में लोगों को जागरुक भी किया।

REPUBLIC NOW

Republicnow.in एक स्वतंत्र डिजिटल न्यूज़ चैनल है, जो आपको सबसे तेज और सटीक खबरें प्रदान करता है। हमारा लक्ष्य है कि हम दुनिया भर की महत्वपूर्ण और प्रासंगिक खबरें आप तक पहुँचाएँ। राजनीति, मनोरंजन, खेल, बिज़नेस, टेक्नोलॉजी, और अन्य विषयों पर हमारी निष्पक्ष और प्रमाणिक रिपोर्टिंग हमें सबसे अलग बनाती है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button