
नई दिल्ली । कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) तकनीक का दुरुपयोग अब राजनीतिक विवाद का बड़ा कारण बनता जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दिवंगत मां हीराबेन मोदी का AI-जनरेटेड वीडियो बनाने और उसे सोशल मीडिया पर प्रसारित करने के मामले में दिल्ली पुलिस ने सख्त कार्रवाई करते हुए कांग्रेस के आईटी सेल के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है। यह मामला न केवल राजनीतिक हलकों में हलचल पैदा कर रहा है, बल्कि देशभर में AI तकनीक के गलत इस्तेमाल को लेकर भी गहरी बहस छेड़ रहा है।
मामला कैसे सामने आया?
पिछले हफ्ते सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर एक वीडियो वायरल हुआ जिसमें दावा किया गया कि प्रधानमंत्री मोदी की मां हीराबेन मोदी प्रधानमंत्री की नीतियों और निर्णयों की आलोचना कर रही हैं। जांच में सामने आया कि यह वीडियो डीपफेक तकनीक से तैयार किया गया था, जिसमें वास्तविक आवाज़ और चेहरे की नकल कर एक काल्पनिक संदेश बनाया गया।
बीजेपी नेताओं और कार्यकर्ताओं ने इस वीडियो को “गंभीर साजिश” बताते हुए विरोध जताया और तुरंत कार्रवाई की मांग की। भाजपा आईटी सेल प्रमुख ने कहा कि यह वीडियो न केवल प्रधानमंत्री की व्यक्तिगत भावनाओं को आहत करता है, बल्कि राजनीतिक माहौल को भड़काने और जनता को गुमराह करने का प्रयास भी है।
दिल्ली पुलिस का एक्शन
दिल्ली पुलिस की साइबर सेल ने मामले का संज्ञान लेते हुए जांच शुरू की और तकनीकी जांच के बाद पाया कि यह वीडियो कांग्रेस आईटी सेल से जुड़े अकाउंट्स के माध्यम से साझा किया गया।
पुलिस ने जिन धाराओं के तहत केस दर्ज किया है, उनमें शामिल हैं:
- आईटी एक्ट की धारा 66D (धोखाधड़ी और प्रतिरूपण)
- आईपीसी की धारा 469 (प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने के उद्देश्य से दस्तावेज़ बनाना)
- आईपीसी की धारा 500 (मानहानि)
- आईपीसी की धारा 505 (सार्वजनिक शांति भंग करने वाले बयान फैलाना)
साइबर सेल अधिकारियों ने बताया कि शुरुआती डिजिटल फोरेंसिक रिपोर्ट से पुष्टि हुई है कि वीडियो को एडवांस्ड AI टूल्स के जरिए तैयार किया गया था।
कांग्रेस की सफाई
कांग्रेस ने इस मामले में अपनी सफाई देते हुए कहा कि पार्टी का इस वीडियो से कोई लेना-देना नहीं है। कांग्रेस प्रवक्ता ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा,
“यह भाजपा की सोची-समझी चाल है ताकि विपक्ष को बदनाम किया जा सके। कांग्रेस का आईटी सेल इस तरह की राजनीति पर विश्वास नहीं करता। अगर किसी ने व्यक्तिगत स्तर पर ऐसा किया है तो जांच में सच सामने आ जाएगा।”
हालांकि, भाजपा का आरोप है कि यह “व्यक्तिगत स्तर” का मामला नहीं है बल्कि कांग्रेस की “संगठित रणनीति” का हिस्सा है।
राजनीतिक हलचल
इस मामले ने संसद से लेकर सोशल मीडिया तक राजनीतिक बहस को गर्मा दिया है। भाजपा नेताओं ने कांग्रेस पर “परिवारों को राजनीति में घसीटने” का आरोप लगाया। केंद्रीय मंत्री ने कहा,
“प्रधानमंत्री मोदी की मां का अपमान करके कांग्रेस ने भारतीय संस्कृति और परंपरा का भी अपमान किया है। विपक्ष अपनी हताशा में किस हद तक गिर सकता है, यह इस घटना से साफ है।”
वहीं, कांग्रेस नेताओं ने पलटवार करते हुए कहा कि भाजपा खुद सोशल मीडिया पर फेक न्यूज़ और भ्रामक वीडियो फैलाने का इतिहास रखती है। कांग्रेस ने मांग की कि जांच स्वतंत्र एजेंसी से कराई जाए।
AI और डीपफेक पर बढ़ती चिंता
यह पहला मौका नहीं है जब भारत में डीपफेक वीडियो को लेकर विवाद हुआ हो। पिछले कुछ महीनों में कई नेताओं और अभिनेताओं के नकली वीडियो सामने आए हैं। हालांकि, प्रधानमंत्री की मां जैसे संवेदनशील और दिवंगत व्यक्तित्व को लेकर ऐसा वीडियो बनाना, इस तकनीक के खतरनाक पहलू को और उजागर करता है।
साइबर विशेषज्ञों का कहना है कि डीपफेक तकनीक तेजी से परिष्कृत हो रही है और इसकी पहचान करना मुश्किल होता जा रहा है। अगर जल्द ही कड़े कानून और तकनीकी सुरक्षा उपाय नहीं अपनाए गए, तो लोकतंत्र और चुनावी प्रक्रिया पर गहरा असर पड़ सकता है।
कानून और नियमन की जरूरत
भारत सरकार पहले ही डिजिटल इंडिया एक्ट का मसौदा तैयार कर चुकी है, जिसमें डीपफेक और AI-जनरेटेड कंटेंट के खिलाफ सख्त प्रावधान जोड़े जाने की संभावना है। सुप्रीम कोर्ट ने भी हाल ही में कहा था कि “AI के दुरुपयोग को रोकने के लिए संसद को जल्द कानून बनाने की जरूरत है।”
जनता की प्रतिक्रिया
इस घटना के बाद आम लोगों में भी नाराजगी देखी जा रही है। सोशल मीडिया पर कई यूजर्स ने लिखा कि राजनीति में असहमति रखना अलग बात है, लेकिन किसी की मां को बदनाम करने की कोशिश करना बेहद शर्मनाक है। कुछ लोगों ने यह भी कहा कि AI का इस्तेमाल राजनीति में सीमित और नियंत्रित होना चाहिए, वरना यह लोकतांत्रिक संवाद को नुकसान पहुंचाएगा।
“प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मां का AI वीडियो बनाने का मामला न केवल राजनीति में गरमा-गरमी बढ़ा रहा है बल्कि यह देश में डीपफेक तकनीक के खतरों की ओर भी गंभीर संकेत देता है। दिल्ली पुलिस ने कांग्रेस आईटी सेल के खिलाफ केस दर्ज कर एक मिसाल पेश की है कि ऐसे मामलों को हल्के में नहीं लिया जाएगा। अब देखना यह होगा कि जांच किस दिशा में आगे बढ़ती है और क्या यह मामला भविष्य में AI के नियमन के लिए कड़े कानून बनाने का कारण बनेगा।”