PM KISAN : 81 हजार अयोग्य किसानों को लौटानी होगी धनराशि, जानिए क्या है इसकी वजह

नई दिल्ली, PM Kisan Yojana: केंद्र सरकार की ओर से हाल में बड़ा कदम उठाते हुए पीएम किसान योजना का लाभ ले रहे बिहार के 81,595 अपात्र किसानों को स्कीम से बाहर कर दिया है। इसके साथ ही उनके रिकवरी का भी प्रोसेस शुरू कर दिया है। ऐसे में अगर आप भी पीएम किसान योजना का लाभ ले रहे हैं तो इसकी पात्रता की शर्त को अच्छे से समझ लेना चाहिए।
पीएम किसान किसान योजना के लिए कौन होगा अपात्र
- सभी संस्थागत जमीन के मालिक।
- पूर्व या वर्तमान में संवैधानिक पद रखने वाला व्यक्ति।
- पूर्व या वर्तमान में केंद्र और राज्य सरकार में मंत्री।
- 10,000 रुपये या उससे अधिक की मासिक पेंशन पाने वाला व्यक्ति।
- वे व्यक्ति जो इनकम टैक्स जमा करते हैं।
- इसके डॉक्टर, इंजीनियर, वकील, सीए आदि को भी इसका लाभ नहीं मिलता है।
PM Kisan योजना के लिए कौन होगा पात्र
पीएम किसान योजना की वेबसाइट दी गई जानकारी के मुताबिक, पीएम किसान योजना का लाभ सभी किसान परिवारों को मिलता है। इस योजना में शुरुआत में केवल 2 हेक्टेयर तक की भूमि रखने वाले किसानों को ही योजना का लाभ दिया जाता था, लेकिन एक जून,2019 से इसे सभी किसानों के लिए लागू कर दिया गया।
क्या है PM Kisan Yojana?
पीएम किसान योजना को केंद्र सरकार की ओर से किसानों को सीधी मदद पहुंचाने के लिए 24 फरवरी, 2019 को शुरू किया गया था। इस स्कीम के तहत सभी पात्र किसानों को 6000 रुपये प्रति वर्ष दो-दो हजार की तीन किस्तों में दिए जाते हैं। इस स्कीम का लाभ देश में करोड़ों किसानों की डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर के जरिए दिया जाता है।
सरकार की ओर से कब तक पीएम किसान की 14 किस्तें किसानों को जारी की जा चुकी हैं। पीएम किसान योजना का लाभ लेने के लिए ईकेवाइसी करना जरूरी है। अधिक जानकारी के लिए आप पीएम किसान की आधिकारिक वेबसाइट www.pmkisan.gov.in पर जा सकते हैं।
PM KISAN: छोटे और सीमांत किसानों के लिए शुरू की गई थी योजना
केंद्र सरकार ने देश के छोटे और सीमांत किसानों को न्यूनतम आय सहायता देने के लिए यह योजना (PM KISAN) शुरू की थी, लेकिन योजना के तहत हजारों अपात्र किसानों को भी राशि बांट दी गयी । इस योजना का उद्देश्य प्रत्येक फसल चक्र के दौरान उचित फसल रख-रखाव और उचित पैदावार सुनिश्चित करने के लिए छोटे और सीमांत किसानों की वित्तीय जरूरतों को पूरा करना है। यह उन्हें ऐसे खर्चों को पूरा करने के लिए साहूकारों के चंगुल में फंसने से भी बचाता है और कृषि गतिविधियों में उनकी निरंतरता सुनिश्चित करता है।