
नई दिल्ली: भारतीय सेना के शौर्य और बलिदान का गौरवपूर्ण क्षण तब सामने आया जब ऑपरेशन सिंदूर में अदम्य साहस दिखाने वाले जांबाज सैनिकों को वीर चक्र से सम्मानित किया गया। राष्ट्रपति भवन में आयोजित इस सम्मान समारोह में ग्रुप कैप्टन आरएस सिद्धू समेत कुल 9 वीर सैनिकों को यह वीरता पदक प्रदान किया गया।
क्या है ऑपरेशन सिंदूर?
ऑपरेशन सिंदूर भारतीय सशस्त्र बलों का एक विशेष सैन्य अभियान था, जिसे दुश्मन के ठिकानों और आतंकवादी ठिकानों को ध्वस्त करने के उद्देश्य से अंजाम दिया गया। यह ऑपरेशन न केवल सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण था, बल्कि इसने आतंकवाद के खिलाफ भारत की दृढ़ नीति को भी स्पष्ट किया।
किसे मिला वीर चक्र?
राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित 9 सैनिकों में वायुसेना, थलसेना और नौसेना के जवान शामिल थे।
- ग्रुप कैप्टन आरएस सिद्धू – अद्वितीय हवाई रणनीति और मिशन की सफलता में निर्णायक योगदान।
- शेष 8 सैनिक – दुश्मन के भारी प्रतिरोध के बावजूद मोर्चे पर डटे रहे और अपने साथियों की जान बचाई।
समारोह का माहौल
राष्ट्रपति भवन का दरबार हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा जब वीर सैनिकों को मंच पर बुलाकर पदक पहनाए गए। इस अवसर पर प्रधानमंत्री, रक्षा मंत्री, तीनों सेनाओं के प्रमुख, सैनिकों के परिवारजन और कई गणमान्य लोग उपस्थित रहे।
वीर चक्र का महत्व
वीर चक्र भारत का तीसरा सर्वोच्च वीरता पुरस्कार है, जो युद्ध के समय असाधारण बहादुरी और शौर्य दिखाने के लिए दिया जाता है। यह सम्मान प्राप्त करना किसी भी सैनिक के लिए गर्व और देश के लिए गौरव की बात है।
नेताओं की प्रतिक्रिया
प्रधानमंत्री ने ट्वीट कर कहा, “ऑपरेशन सिंदूर के जांबाजों ने देश की सुरक्षा के लिए जो बलिदान और साहस दिखाया, वह आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा है।”
रक्षा मंत्री ने इसे “भारत के वीरों का सम्मान और शौर्य की मिसाल” बताया।