नई दिल्ली – पूरा देश चंद्रयान-3 की सफलता का जश्न मना रहा है। चांद के साउथ पोल पर सॉफ्ट लैंडिंग के बाद पूरा देश खुशी में डूबा है। भारत ऐसा करने वाला विश्व का पहला देश बन गया है। हालांकि देश इतनी सफलता पर रुका नहीं है, इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने जानकारी दी है कि भारत अब चांद के बाद सूर्य पर पहुंचने की कोशिश कर रहा है और इसके लिए आदित्य मिशन की तैयारी में जुटा हुआ है।
मिशन सूर्य को लेकर इसरो चीफ ने बताया
इसरो चीफ ने बताया कि, ‘भारत सूर्य के लिए आदित्य मिशन की तैयारी कर रहा है। देश का ये मिशन सितंबर में लॉन्च होने के लिए पूरी तरह तैयार हो रहा है। वहीं अभी गगनयान मिशन पर काम चल रहा है। इसके क्रू मॉड्यूल ऐर क्रू एस्केप क्षमता को प्रदर्शित करने के लिए करीब सितंबर या अक्टूबर के अंतिम दिनों में एक मिशन किया जा सकता है और इसके बाद कई परीक्षण मिशन किए जाएंगे, जब तक संभवतः 2025 तक देश का पहला मानव मिशन नहीं हो जाता।
दरअसल, इसरो (ISRO) जल्द ही सूरज के बारे में जानने के लिए एक मिशन की शुरुआत कर रहा है। इस सोलर मिशन का नाम है आदित्य एल-1 । इसका ऐलान खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया। आदित्य एल-1 सूरज के रहस्यों का अध्ययन करने वाला भारत का पहला मिशन होगा। ये स्पेसक्राफ्ट लॉन्च किए जाने के पूरे चार महीने बाद सूरज-पृथ्वी के सिस्टम में लैगरेंज पॉइंट-1 तक पहुंचेगा, जो कि धरती से 15 लाख किलोमीटर दूर है। लैगरेंज प्वाइंट 1 के चारों तरफ एक हेलो ऑर्बिट में होने के कारण इस प्वाइंट पर सूरज के ग्रहण का असर नहीं पड़ता। जिसके कारण वहां पर आसानी से शोध किया जा सकेगा।
ISRO के अध्यक्ष एस. सोमनाथ ने बताया कि सूर्य मिशन के लिए ‘आदित्य-एल1’ उपग्रह (ISRO Surya Mission 2023) सितंबर के पहले सप्ताह में लॉन्च किया जाएगा। यह मिशन करीब 120 दिन यानी 4 महीने में 15 लाख किमी की दूरी तय करके सूर्य की कक्षा में पहुंचेगा। वहां पर सौर वातावरण का अध्ययन करेगा और आंकड़े इकट्ठे करके पृथ्वी पर भेजेगा।
इस जगह से होगा आदित्य-एल1 लॉन्च
उन्होंने बताया कि ‘आदित्य-एल1’ का प्रक्षेपण (ISRO Surya Mission 2023) श्रीहरिकोटा से किया जाएगा। वहां पर सूर्य का अध्ययन करने वाली पहली अंतरिक्ष-आधारित भारतीय वेधशाला तैयार की जा रही है। इसरो के अनुसार, सूर्य मिशन पर जाने वाले अंतरिक्ष यान को सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के पहले लैग्रेंज बिंदु, एल1 के आसपास एक प्रभामंडल कक्षा में स्थापित किया जाएगा एल1 बिंदु के आसपास उपग्रह को बिना किसी ग्रहण/ग्रहण के लगातार सूर्य को देखने का प्रमुख लाभ है।
सूर्य देव के नाम पर यह मिशन
आदित्य-एल1′ उपग्रह (Aditya-L1 Satellite) का नाम सूर्य देव के नाम पर रखा गया है। उसे भारतीय रॉकेट ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) द्वारा ले जाया जाएगा। इस उपग्रह को जल्द ही रॉकेट के साथ एकीकृत करने का काम शुरू हो जाएगा। सूर्य मिशन के बाद गगनयान मिशन आगे बढ़ेगा। यह मिशन भारत के मानव अंतरिक्ष मिशन का हिस्सा है।