नई दिल्ली/ अमरावती: अयोध्या में रामलला का भव्य मंदिर निर्माण कार्य तेजी के साथ चल रहा है। अगले साल जनवरी में इसका उद्घाटन भी हो जाएगा। देश ही नहीं, विदेश तक प्रभु के अलौकिक मंदिर की चर्चा जोर शोर से है। अभी से देसी और विदेशी पर्यटक और श्रद्धालुओं की बड़ी भीड़ अयोध्या पहुंच रही है। ऐसे में अब प्रभु श्रीराम की अद्भुत प्रतिमा की स्थापना का ऐलान केंद्र सरकार की ओर से किया गया है। यह प्रतिमा 108 फीट ऊंची होगी। चलिए जानते हैं, प्रतिमा की स्थापना कहां होगी….
दक्षिण भारत में भगवान श्रीराम की 108 फीट ऊंची प्रतिमा स्थापित होने जा रही है। आंध्र प्रदेश के कुरनूल में स्थापित होने जा रही भगवान राम की ऊंची भव्य प्रतिमा की केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आधारशिला रखी। शाह ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कहा कि यह प्रतिमा क्षेत्र में सनातन धर्म के प्रसार और मजबूती की दिशा में मील का पत्थर साबित होगी। भगवान श्रीराम की यह प्रतिमा 500 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से बनाई जाएगी।
शाह ने कहा कि कुरनूल के मंत्रालयम गांव में स्थापित होने वाली भगवान श्री राम की यह 108 फीट ऊंची प्रतिमा पूरे विश्व को युगों-युगों तक ‘सनातन धर्म’ का संदेश देगी और देश-दुनिया में वैष्णव परंपरा को मजबूत करेगी।
तुंगभद्रा नदी के तट पर स्थापित होगी अलौकिक प्रतिमा
- भगवान राम की मूर्ति तुंगभद्रा नदी के तट पर स्थापित होगी।
- केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री ने कहा कि इस परियोजना के लिए तुंगभद्रा नदी तट पर स्थित मंत्रालयम गांव में 10 एकड़ क्षेत्र में काम होगा, जोकि ढाई साल में पूरा हो जाएगा।
- इस स्थान का ऐतिहासिक महत्व है क्योंकि तुंगभद्रा नदी के तट पर उत्पन्न हुए महान विजयनगर साम्राज्य ने पूरे दक्षिण से आक्रमणकारियों को खदेड़कर “स्वदेश और स्वधर्म” को बहाल किया था।
‘सैकड़ों साल बाद रामलला लेंगे अपनी जगह’
अमित शाह ने कहा कि मंत्रालयम दास साहित्य प्रकल्प के तहत आवास, अन्न दानम, प्राण दानम, विद्या दानम, पेयजल और गोरक्षा जैसी कई पहल की गई हैं। गृह मंत्री ने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी ने कई सालों से लंबित रहे राम मंदिर का शिलान्यास कर अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त कर दिया है।
अब जल्द ही रामलला की मूर्ति मंदिर में स्थापित होगी और सैकड़ों साल बाद एक बार फिर भगवान श्री राम अपने स्थान पर होंगे। भगवान राम की भव्य प्रतिमा की आधारशिला रखने के अवसर पर, मंत्री ने मठ के मठाधीश, संत माधवाचार्य जी, संत राघवेंद्र स्वामी जी सहित दक्षिण की बहु समृद्ध वैष्णव परंपरा और उसके सभी संतों को सम्मान दिया।