Prayagraj Bulldozer Action : बुलडोजर एक्शन पर यूपी सरकार को SC की फटकार, कहा- जिनके घर गिराए उन्हें 10-10 लाख का हर्जाना दो

Prayagraj Bulldozer Action : उत्तर प्रदेश समेत देशभर में बुलडोजर एक्शन को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) सख्त रवैया अपनाए हुए है। प्रयागराज में एक वकील, एक प्रोफेसर और तीन महिला याचिकाकर्ताओं के घरों को 2021 में बुलडोजर से ध्वस्त कर दिया गया था। इस मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि घर गिराने की प्रक्रिया असंवैधानिक थी। कोर्ट ने कहा कि घर ध्वस्त करने की ये मनमानी प्रक्रिया नागरिक अधिकारों का असंवेदनशील तरीके से हनन भी है।
सभी पीड़ितों को मिलेगा 10 लाख मुआवजा
इस फैसले के तहत, यूपी सरकार को सभी पीड़ितों को एक वकील, एक प्रोफेसर और दो महिलाओं को 10-10 लाख रुपए का मुआवजा देने का आदेश दिया गया है। ये सभी लोग प्रयागराज के लूकरगंज इलाके में अपने घरों में रहते थे, जिन्हें बिना किसी उचित प्रक्रिया के ढहा दिया गया था।
पहले भी की थी यूपी सरकार की आलोचना
सुप्रीम कोर्ट ने पहले भी यूपी सरकार की आलोचना की थी, क्योंकि बिना किसी नोटिस के मात्र 24 घंटे के अंदर घरों को ध्वस्त कर दिया गया था। इससे पीड़ितों को अपनी अपील या चुनौती देने का कोई मौका नहीं मिला। यह फैसला सरकार को न केवल कानूनी बल्कि नैतिक रूप से भी जिम्मेदार ठहराने वाला है।
नोटिस के 24 घंटे बाद चला बुलडोजर
याचिकाकर्ताओं ने कहा कि उनको एक्शन से पहले कोई नोटिस नहीं मिला। यहां तक कि नोटिस भेजने के 24 घंटे के भीतर ही बुलडोजर चला दिया गया। याचिकाकर्ताओं के मुताबिक साल 2021 में पहले एक मार्च को उन्हें नोटिस जारी किया गया था, उन्हें 6 मार्च को नोटिस मिला। फिर अगले ही दिन 7 मार्च को मकानों पर बुलडोजर एक्शन लिया गया।
याचिकाकर्ताओं ने कहा
अधिवक्ता जुल्फिकार हैदर, प्रोफेसर अली अहमद और अन्य लोगों की याचिका पर कोर्ट ने सुनवाई की जिनके मकान ध्वस्त कर दिए गए थे। याचिकाकर्ताओं ने दलील दी कि प्रशासन और शासन को ये लगा कि ये संपत्ति गैंगस्टर और राजनीतिक पार्टी के नेता अतीक अहमद की है। इन सभी लोगों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में फरियाद की थी। लेकिन हाईकोर्ट ने घर गिराए जाने की कार्रवाई को चुनौती देने वाली उनकी याचिका खारिज कर दी थी। हाईकोर्ट से याचिका खारिज होने के बाद याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था।
सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने राज्य सरकार की कार्रवाई का बचाव करते हुए नोटिस देने में पर्याप्त उचित प्रक्रिया का पालन करने का भरोसा दिलाया। उन्होंने बड़े पैमाने पर अवैध कब्जों की ओर इशारा करते हुए कहा कि राज्य सरकार के लिए अनधिकृत कब्जा छुड़ाना और इसे रोकना मुश्किल काम है।