Mahashivratri 2024 : महाशिवरात्रि पर कैसे करें भोलेनाथ को प्रसन्न? जानें शिव पूजा के सही नियम और विधि

नई दिल्ली – Mahashivratri 2024 : देवाधिदेव महादेव भगवान शिव-माता पार्वती का स्तुति पर्व महाशिवरात्रि आठ मार्च को पड़ेगा। इस स्नान पर्व के साथ मेले का समापन हो जाएगा। महाशिवरात्रि पर शिव योग पड़ने से पर्व का महत्व बढ़ गया है। महाशिवरात्रि सात मार्च की रात 9.50 बजे लगकर आठ मार्च की शाम 7.42 बजे तक रहेगी। श्रवण नक्षत्र सुबह 8.03 बजे तक रहेगा। इसके बाद घनिष्ठा नक्षत्र लगेगा।
ज्योति स्वरूप है शिवलिंग
महाशिवरात्रि के आध्यात्मिक महत्व को समझने का अवसर है। शिव-लिंग परमात्मा शिव के ज्योति स्वरूप को दर्शाता है। भगवान शिव का कोई मनुष्य स्वरूप नहीं है। शिव एक सूक्ष्म, पवित्र व स्वदीप्तिमान दिव्य ज्योति पुंज हैं। इस ज्योति को अंडाकार रूप से दर्शाया गया है। इसलिए उन्हें ज्योर्तिलिंग अर्थात ‘ज्योति का प्रकार’ के रूप में दर्शाया गया है।
आत्मा और शिव में कोई अंतर नहीं
शिव सत्य हैं, कल्याणकारी हैं और सबसे सुंदर आत्मा हैं। इसी कारण उन्हें सत्यम-शिवम्-सुंदरम कहा जाता है। भगवान शिव हर जगह व्याप्त हैं। हमारी आत्मा और शिव में कोई अंतर नहीं है। शिव सत्य, सौंदर्य और अनंतता के प्रतीक हैं।
महाशिवरात्रि का क्या है अर्थ
महाशिवरात्रि की साधना, शरीर, मन और अहंकार के लिए गहन विश्राम का समय है, जो भक्त को परम ज्ञान के प्रति जागृत करता है। रात्रि का अर्थ है- रात या विश्राम करने का समय है। महाशिवरात्रि के समय हम अपनी चेतना में विश्राम करते हैं। महाशिवरात्रि अपनी अंतरात्मा और चेतना के साथ उत्सव मानाने का पर्व है। इस दिन साधना के माध्यम से हम दिव्य चेतना की शरण में चले जाते हैं।
पूजा के नियम
1. महाशिवरात्रि के दिन व्रती को ब्रह्म मुहूर्त में उठकर दैनिक क्रिया से निवृत होकर स्नान और ध्यान करना चाहिए। सूर्य को जल चढ़ाएं और उसके बाद महाशिवरात्रि व्रत और भगवान भोलेनाथ की पूजा का संकल्प करें।
2. महाशिवरात्रि की पूजा के लिए अपने घर पर पारद के शिवलिंग की स्थापना करें या फिर किसी शिव मंदिर में जाकर शिवलिंग की पूजा करें। सबसे पहले शिवजी का गंगाजल और गाय के दूध से अभिषेक करें।
3. उसके बाद भगवान महादेव को अक्षत्, फूल, बेलपत्र, शक्कर, शमी के पत्ते, धतूरा, भांग, मदार या आक के फूल, बेर, शहद, सफेद चंदन, भस्म आदि अर्पित करें। बेलपत्र का चिकना भाग शिवलिंग से स्पर्श कराएं. घी या तेल का दीपक जलाएं।
4. भगवान शिव की पूजा के लिए उनके पंचाक्षरी मंत्र ओम नम: शिवाय का उच्चारण करें। शिव पंचाक्षर स्तोत्र, शिव चालीसा और महाशिवरात्रि व्रत कथा जरूर पढ़ें। उसके बाद शिव जी की विधि विधान से आरती करें।
आरती के अंत में कर्पूरगौरं करुणावतारं मंत्र पढ़ें –
कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्।
सदा बसन्तं हृदयारबिन्दे भबं भवानीसहितं नमामि।।
5. शिव पूजा में आपको हल्दी, सिंदूर, नारियल, केतकी के फूल आदि नहीं चढ़ाने हैं और न ही तुलसी और शंख का उपयोग करना है। ये चीजें शिव पूजा में सर्वथा वर्जित मानी गई हैं।
पूजा में ध्यान देने वाली बात
महाशिवरात्रि की पूजा माता पार्वती की आराधना के बिना अधूरी है। महाशिवरात्रि पर शिव पूजा के साथ ही मां गौरी की भी पूजा करें। भगवान शिव की पूजा के बाद माता पार्वती को सिंदूर, लाल फूल, अक्षत्, हल्दी, रोली, फल, श्रृंगार की सामग्री, चुनरी आदि अर्पित करें। गणेश जी और नंदी को भी अक्षत्, हल्दी, चंदन, फूल, धूप, दीप, गंध, फल, मिठाई आदि चढ़ाएं। शिव पूजा के बाद भगवान भोलेनाथ को ध्यान करके अपनी मनोकामना व्यक्त कर दें। उनसे इच्छापूर्ति और कष्टों से मुक्ति के लिए आशीर्वाद लें।