Know Your Legal Rights : धारा 396, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 – जानले पीड़ित मुआवजा योजना (Victim Compensation Scheme) की संपूर्ण जानकारी

Victim Compensation Scheme : भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 की धारा 396 एक महत्वपूर्ण प्रावधान है, जिसका उद्देश्य अपराध पीड़ितों और उनके आश्रितों को वित्तीय सहायता प्रदान करना है। इस प्रावधान के तहत, केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर एक मुआवजा योजना तैयार करती हैं, ताकि अपराध से पीड़ित व्यक्ति की पुनर्वास में सहायता की जा सके। यह प्रावधान पीड़ितों के अधिकारों को सुनिश्चित करता है और उनके दर्द और कठिनाइयों को कम करने के लिए एक संरचनात्मक प्रक्रिया प्रदान करता है।
राज्य सरकारों द्वारा मुआवजा योजना तैयार करना – धारा 396(1)
इस धारा के अनुसार, प्रत्येक राज्य सरकार को केंद्र सरकार के समन्वय से एक मुआवजा योजना तैयार करनी होती है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य उन पीड़ितों और उनके आश्रितों को वित्तीय सहायता देना है, जिन्होंने अपराध के कारण कोई शारीरिक, मानसिक या आर्थिक क्षति झेली है। इसके तहत सरकार को यह सुनिश्चित करना होता है कि पर्याप्त कोष उपलब्ध हो, जिससे पीड़ितों की सहायता की जा सके। उदाहरण के लिए, यदि कोई महिला घरेलू हिंसा का शिकार होती है और उसका जीवन संकट में पड़ जाता है, तो इस योजना के तहत उसे आर्थिक सहायता प्रदान की जा सकती है ताकि वह अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति कर सके।
अदालत द्वारा मुआवजे की सिफारिश – धारा 396(2)
यदि किसी मामले में अदालत यह महसूस करती है कि पीड़ित को मुआवजा मिलना चाहिए, तो वह इस संबंध में सिफारिश कर सकती है। इस स्थिति में, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण या राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण को यह तय करना होता है कि पीड़ित को कितना मुआवजा दिया जाए। यह प्रावधान यह सुनिश्चित करता है कि अदालत द्वारा सुझाए गए मामलों में पीड़ितों को न्याय मिले और उन्हें उचित मुआवजा मिल सके। उदाहरण के लिए, यदि किसी व्यक्ति को जानबूझकर झूठे मामले में फंसा दिया गया और उसे कई वर्षों तक जेल में रहना पड़ा, तो अदालत यह सिफारिश कर सकती है कि उसे मुआवजा दिया जाए, जिससे उसकी क्षति की भरपाई हो सके।
न्यायालय द्वारा अतिरिक्त मुआवजे की सिफारिश – धारा 396(3)
यदि मुकदमे के अंत में ट्रायल कोर्ट यह पाती है कि धारा 395 के तहत दिए गए मुआवजे से पीड़ित का पुनर्वास पूरी तरह नहीं हो सकता, तो वह अतिरिक्त मुआवजे की सिफारिश कर सकती है। साथ ही, यदि किसी मामले में आरोपी को बरी कर दिया जाता है या मुकदमा समाप्त कर दिया जाता है, लेकिन पीड़ित को अब भी पुनर्वास की आवश्यकता है, तो अदालत मुआवजे की सिफारिश कर सकती है। उदाहरण के लिए, एक सड़क दुर्घटना में पीड़ित को गंभीर चोटें आईं, लेकिन आरोपी को अदालत ने सबूतों के अभाव में बरी कर दिया। ऐसी स्थिति में, पीड़ित को मुआवजा मिलना चाहिए ताकि वह अपने इलाज और जीवनयापन की लागत को पूरा कर सके।
अज्ञात अपराधी की स्थिति में मुआवजा – धारा 396(4)
कई बार ऐसा होता है कि अपराधी की पहचान नहीं हो पाती या उसे गिरफ्तार नहीं किया जा सकता। ऐसे मामलों में भी यह आवश्यक है कि पीड़ित को मुआवजा मिले। इस धारा के तहत, पीड़ित या उसके आश्रित जिला या राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण में मुआवजे के लिए आवेदन कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, यदि किसी महिला पर एसिड अटैक होता है और अपराधी फरार हो जाता है या उसकी पहचान नहीं हो पाती, तो यह प्रावधान उसे न्याय दिलाने में मदद करता है। पीड़ित को बिना देरी के मुआवजा दिया जाता है, ताकि वह अपने इलाज और पुनर्वास की प्रक्रिया शुरू कर सके।
मुआवजे के लिए जांच और निर्णय – धारा 396(5)
इस धारा के अनुसार, यदि अदालत द्वारा मुआवजा देने की सिफारिश की जाती है या पीड़ित स्वयं आवेदन करता है, तो राज्य या जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को उचित जांच करने के बाद दो महीने के भीतर मुआवजा देना होगा। इस प्रक्रिया का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि पीड़ित को न्याय मिलने में अधिक समय न लगे और वह शीघ्र राहत प्राप्त कर सके। उदाहरण के लिए, यदि किसी व्यक्ति का अपहरण किया गया और उसे मानसिक व शारीरिक आघात (Trauma) झेलना पड़ा, तो उसे मुआवजा देने की प्रक्रिया में देरी नहीं होनी चाहिए।
पीड़ित को तत्काल सहायता – धारा 396(6)
इस प्रावधान के तहत, यदि पीड़ित की स्थिति गंभीर है, तो राज्य या जिला विधिक सेवा प्राधिकरण उसे तुरंत चिकित्सा सहायता या कोई अन्य आवश्यक सहायता दे सकते हैं। ऐसा करने के लिए, एक पुलिस अधिकारी जो थाना प्रभारी के स्तर से नीचे न हो, या क्षेत्र का मजिस्ट्रेट प्रमाण पत्र जारी कर सकता है, जिसके आधार पर पीड़ित को मुफ्त चिकित्सा सहायता दी जाएगी। उदाहरण के लिए, यदि किसी महिला के साथ यौन उत्पीड़न हुआ है और उसे मानसिक व शारीरिक इलाज की आवश्यकता है, तो उसे बिना किसी वित्तीय बाधा के तत्काल चिकित्सा सुविधा प्रदान की जाएगी।
अन्य मुआवजा प्रावधानों के साथ संबंध – धारा 396(7)
यह धारा स्पष्ट करती है कि राज्य सरकार द्वारा दिया जाने वाला मुआवजा धारा 65, धारा 70 और धारा 124(1) के तहत दिए जाने वाले जुर्माने से अलग होगा। इसका मतलब यह है कि पीड़ित को अदालत द्वारा लगाए गए जुर्माने के अतिरिक्त राज्य सरकार की ओर से भी सहायता मिल सकती है। उदाहरण के लिए, यदि किसी व्यक्ति की हत्या कर दी जाती है और अदालत आरोपी पर भारी जुर्माना लगाती है, तो मृतक के परिवार को यह राशि मिलेगी। इसके अतिरिक्त, राज्य सरकार भी मुआवजा दे सकती है, जिससे पीड़ित परिवार को अधिक आर्थिक सहायता प्राप्त हो सके।
महत्वपूर्ण व्यवस्थाएं शामिल
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 की धारा 396 अपराध पीड़ितों के पुनर्वास के लिए एक प्रभावी और न्यायसंगत प्रणाली प्रदान करती है। यह प्रावधान यह सुनिश्चित करता है कि पीड़ित को उसकी स्थिति के अनुसार उचित मुआवजा मिले और उसे पुनर्वास में सहायता मिले। इस धारा में मुआवजे की राशि तय करने की प्रक्रिया, अज्ञात अपराधियों के मामलों में पीड़ितों की सहायता, चिकित्सा सुविधा, और अन्य मुआवजा प्रावधानों के साथ तालमेल जैसी महत्वपूर्ण व्यवस्थाएं शामिल हैं। अपराध पीड़ितों की सहायता के लिए यह धारा एक महत्वपूर्ण कदम है, जो उन्हें न्याय दिलाने और उनके जीवन को सामान्य बनाने में सहायक होती है।