नई दिल्ली – Ganesh Visarjan Story : देशभर में 19 सितंबर से गणेश उत्सव (Ganesh Chaturthi) शुरू हो गया है। जिसके बाद से ही देश के अलग-अलग हिस्सों में धूम-धाम से इस पर्व को मनाया जा रहा है। भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को हजारों साल से बप्पा सबके घर इसी दिन विराजते हैं। शिवपुराण के अनुसार, इसी दिन भगवान श्रीगणेश का जन्म हुआ था। वहीं, इसके 10 दिन बाद अनंत चतुर्दशी के दिन गणेश विसर्जन (Ganesh Visarjan) होता है। हालांकि कई जगहों पर लोग डेढ़ दिन, पांच दिन बाद भी गणेश विसर्जन करते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि 10 दिन बाद ही क्यों बप्पा का विसर्जन किया जाता है, तो चलिए जानते हैं इसके बारे में-
शनिवारवाड़ा में मनाया जाता था भव्य गणेशोत्सव
जब भारत में पेशवाओं का शासन था, उस समय इस पर्व को भव्य रूप से मनाया जाने लगा। सवाई माधवराव पेशवा के शासन में पूना के प्रसिद्ध शनिवारवाड़ा नामक राजमहल में भव्य गणेशोत्सव मनाया जाता था। जब अंग्रेज भारत आए तो उन्होंने पेशवाओं के राज्य पर अधिकार कर लिया। इसके कारण गणेश उत्सव की भव्यता में कमी आने लगी, लेकिन ये परंपरा बनी रही। मान्यता है कि भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की गणेश चतुर्थी के दिन गणेशजी का जन्म हुआ था।
इस दिन से शुरू हुआ महाभारत का लेखन
पौराणिक कथाओं में यह भी उल्लेख है कि गणेश चतुर्थी के दिन से ही महाभारत (Mahabharat) का लेखन कार्य शुरू हुआ था। महर्षि वेदव्यास ने महाभारत की रचना के लिए गणेशजी से इसे लिपिबद्ध करने की प्रार्थना की थी और गणेश जी ने कहा था कि वह लिखना आरंभ करेंगे तो कलम नहीं रोकेंगे। यदि कलम रुक गई तो वहीं लिखना बंद कर देंगे। तब महर्षि वेदव्यास ने कहा कि भगवान आप विद्वानों में सबसे आगे हैं और मैं साधारण ऋषि, यदि मुझसे श्लोकों में कोई गलती हो जाए तो आप उसे ठीक करते हुए लिपिबद्ध करते जाएं। इस तरह महाभारत लेखन शुरू हुआ और लगातार 10 दिन तक चला।
गणेश जी के शरीर में जमी धूल-मिट्टी
अनंत चतुर्दशी के दिन जब महाभारत लेखन का काम पूरा हुआ तो गणेश जी का शरीर जड़वत हो चुका था। बिल्कुल न हिलने के कारण उनके शरीर पर धूल-मिट्टी जम गई थी तब गणेश जी ने सरस्वती नदी में स्नान करके अपना शरीर साफ किया। इसलिए गणपति स्थापना 10 दिन के लिए की जाती है और फिर गणेश जी की प्रतिमा का विसर्जन किया जाता है। गणेशोत्सव को आध्यात्मिक दृष्टि से देखें तो यह 10 दिन हमें हमारे मन पर लगे मैल को हटाकर उसे स्वच्छ करने का समय है। इस दौरान व्यक्ति को अपना पूरा ध्यान गणेश जी की भक्ति में लगाना चाहिए।