
History of Imarti: इंसान के लिए स्वाद बड़ी चीज है। दुनिया में ऐसा कोई शख्स न होगा, जिसने स्वाद में मीठा चखा ही न हो। मिठाई के मामले में भारत देश में 56 भोग से लेकर कई तरह की वैरायटी की मिठाइयां हैं। इसी में एक मिठाई है इमरती। इमरती, जिसे रबड़ी या दही के साथ खाने में इंसान के चेहरे के भाव ही बदल जाते हैं। टेस्ट इतना लाजवाब कि हर रोज इसे खाने के लिए जी ललचाता है। जितनी मीठी और स्वादिष्ट इमरती होती है, उतना ही मीठा और पुराना इसका इतिहास भी है।
चलिए जानते हैं कैसे बनाई गई इमरती और इसका पूरा इतिहास…
जलेबी की चचेरी बहन है इमरती
ज्यादातर लोग जलेबी और इमरती को एक ही समझते हैं, लेकिन बहुत कम लोग ही यह जानते होंगे कि दोनों में जमीन आसमान का अंतर है। दोनों का न सिर्फ स्वाद अलग है, बल्कि इनको बनाने का तरीका और इनकी बनावट भी एक-दूसरे से काफी अलग होती है। इनकी आकृति एक समान होने की वजह से कई लोग इमरती को जलेबी की चचेरी बहन कहते हैं।
कैसे हुआ इमरती का अविष्कार
इमरती और रबड़ी का स्वाद तो सभी ने चखा होगा, लेकिन क्या आपने कभी यह सोचा है कि आखिर गोल और घुमावदार यह मिठाई कब, कैसे और किसके लिए बनाई गई थी। अगर नहीं तो आज इस आर्टिकल में हम आपको इमरती का ऐसा ही घुमावदार, लेकिन दिलचस्प इतिहास बताने जा रहे हैं।
अगर हम आपसे यह कहें कि इमरती का ईजाद महज बोरियत मिटाने की लिए किया गया था, तो क्या आप इस पर यकीन करेंगे? दरअसल, ऐसा कहा जाता है कि मुगल सम्राट अकबर के बेटे सलीम के लिए सबसे पहले इमरती बनाई गई थी, लेकिन इसे बनाने की पीछे की वजह काफी दिलचस्प और मजेदार है।
दरअसल, राजकुमार सलीम को मीठा खाने का काफी शौक था। यही वजह थी कि उन्हें अक्सर खाने के बाद लड्डू, खीर जैसी कई मिठाइयां पेश की जाती थीं, लेकिन एक दिन ऐसा आया जब उन्होंने मीठे के तौर पर पेश की गई मिठाई को खाने से इनकार कर दिया। शहजादे के इस इनकार से खानसामा काफी परेशान हो गए, लेकिन बाद में उन्हें यह पता चला कि रोज-रोज एक ही तरह की मिठाई खाकर सलीम ऊब चुके थे और अब वह कुछ नया और अलग खाना चाहते थे।
तब इमरती को जांगरी कहा गया
ऐसे में शहजादे सलीम की इस बोरियत को मिटाने के लिए खानसामा ने इमरती जैसे ही एक व्यंजन जिसे फारसी में जुलबिया कहा जाता है, को एक नया ट्विस्ट देकर तैयार किया। इमरती बनाने के लिए उन्होंने उड़द की दाल का बैटर बनाकर पहले उसे फ्राई किया और फिर चाशनी में डुबोकर राजकुमार सलीम के सामने पेश किया। यह नई तरह की मिठाई राजकुमार सलीम को बेहद पसंद आई और इसी वजह से उस समय इसका नाम जांगरी पड़ा था।
History of Imarti: तो इसे जलेबी नहीं कहें…इमरती के हैं कई नाम
History of Imarti: मुगल शहजादे की बोरियत मिटाने के लिए बनाई गई यह मिठाई बाद में लोगों के बीच काफी मशहूर हो गई। आज एक लोकप्रिय मिठाई के रूप में देशभर में खाई जाती है। इसे अलग-अलग जगहों पर तरह-तरह के नामों से जाना जाता है। कहीं इमरती को अमीटी कहते हैं, तो कुछ लोग अमरीती कहते हैं, कुछ जांगरी तो कुछ जांगिरी भी कहते हैं। आप क्या कहते हैं… कमेंट जरूर करें…