यूपी

नोएडा प्राधिकरण में मुआवजा वितरण फर्जीवाड़े मामले को लेकर कमेटी का गठन, दो सप्ताह में देनी होगी रिपोर्ट

नई दिल्ली : Investigation Against Noida Authority : यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को जानकारी दी है कि नोएडा में भूमि मुआवजा धोखाधड़ी की जांच के लिए विशेष जांच दल (एसआइटी) का गठन किया गया है। नोएडा प्राधिकरण के मुआवजा घोटाले में सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी के बाद जांच कमेटी का गठन किया गया है। SC ने कमेटी को तत्काल नोएडा प्राधिकरण का रिकॉर्ड देखने और दो हफ्ते में रिपोर्ट दाखिल करने के लिए कहा है।

जांच के लिए UP सरकार ने गठित की कमेटी

यूपी सरकार ने जो कमेटी बनाई है उसमें चैयरमैन बोर्ड ऑफ एवन्यू के अलावा कमिश्नर मेरठ, ADG मेरठ जोन को भी शामिल किया गया है। तीन अधिकारियों के यह कमेटी मुआवजा वितरण में धांधली की जांच करेगी। अगले दो सप्‍ताह के भीतर जांच को पूरा कर इसकी रिपोर्ट को सुप्रीम कोर्ट में सौंपने को कहा गया है। जिसके बाद इस रिपोर्ट को सुप्रीम कोर्ट दाखिल किया जाएगा।

“जानें इस मामले में SC ने क्या की तल्ख टिप्पणी”

दरअसल नोएडा अथॉरिटी के खिलाफ पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा था कि “नोएडा अथॉरिटी के अफसर इस भूमि मुआवजा वितरण में हुए फर्जीवाड़े में शामिल हैं। प्राधिकरण का पूरा सेटअप इसमें मिला हुआ है। राज्य सरकार ने इस मामले में अब तक जिम्‍मेदार अफसरों के खिलाफ जांच क्यों नहीं की है। सुप्रीम कोर्ट ने सितंबर में यूपी सरकार से यह कहते हुए जवाब मांगा था कि प्रथम ष्टया नोएडा का पूरा अमला इस घोटाले में शामिल लगता है।

जानें क्‍या है पूरा मामला?

दरअसल सुप्रीम कोर्ट उस याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें पता लगा कि कानून में किसी भी अधिकार के बिना भूमि मालिकों को नोएडा प्राधिकरण ने मुआवजा दिया। एक एफआईआर दर्ज की गई, लेकिन नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों के खिलाफ कोई जांच नहीं की गई। जांच नहीं करने के लिए उत्तर प्रदेश राज्य सरकार की कोर्ट ने खिंचाई की थी। थीम सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि यह मामला कोई अकेली घटना नहीं है। जिसमें गलत तरीके से मुआवजा दिया गया, बल्कि ऐसे कई मामले हैं।

“नोएडा अथॉरिटी के अधिकारियों पर गिर सकती है गाज”

दो अधिकारियों ने कथित तौर पर मुआवजा जारी करने के एक मामले में 2021 में उनके खिलाफ एफआइआर दर्ज होने के बाद अग्रिम जमानत की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। उन पर आरोप है कि उन्होंने छेड़छाड़ किए गए दस्तावेज के आधार पर सात करोड़ रुपये मुआवजा जारी कर दिया। इस साल की शुरुआत में शीर्ष अदालत ने उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगा दी, लेकिन उन्हें जांच में सहयोग करने का निर्देश दिया था। सुप्रीम कोर्ट को इस बात का शक है कि एक नहीं ऐसे अनेको मामले ऑथोरिटी के अंदर हो सकते है।

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