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Uttar Pradesh : वकीलों की हड़ताल के कारण नहीं हो सकी IS के आतंकियों को सजा,अब जानिए किस तरह निकलेगा समाधान ?

लखनऊ : हापुड़ में अधिवक्ताओं पर हुए लाठीचार्ज के विरोध में चल रही हड़ताल के कारण सोमवार को इस्लामिक स्टेट के आतंकी आतिफ मुजफ्फर और मोहम्मद फैसल को सजा नहीं सुनाई जा सकी। दोनों आतंकियों को सजा सुनाए जाने की अगली तारीख 14 सितंबर तय की गई है। बीते चार सितंबर को एनआइए और एटीएस के विशेष न्यायाधीश दिनेश कुमार मिश्र ने दोनों आतंकियों को दोषी करार दिया था।

सजा सुनाए जाने की तारीख 11 सितंबर (सोमवार) सुनिश्चित की गई थी। सोमवार को सुबह से भारी बारिश होती रही। वहीं, अधिवक्ताओं की हड़ताल भी चल रही थी। माना जा रहा है कि हड़ताल और बारिश के कारण कोर्ट नहीं बैठी, अधिवक्ता नहीं पहुंचे जिसके कारण कार्रवाई नहीं हो सकी।

दोनों आतंकियों के खिलाफ कानपुर जनपद के चकेरी के रहने वाले अक्षय शुक्ला ने रिपोर्ट दर्ज कराई थी। रिपोर्ट चकेरी थाने में दर्ज की गई थी। उनके मुताबिक दिनांक 24 अक्टूबर 2016 को उनके पिता रमेश बाबू शुक्ला स्कूल से पढ़ा के आ रहे थे, तो किसी उन्हें गोली मार कर उनकी हत्या कर दी थी। सात मार्च 2017 को एक अन्य रिपोर्ट विस्फोटक पदार्थ अधिनियम के अंतर्गत मधघ्यप्रदेश के उज्जैन थाना जीआरपी में ट्रेन के गार्ड द्वारा अज्ञात लोगों के विरुद्ध दर्ज करवाई गई थी।

मामले में आतंकियों की संलिप्ता को देखते हुए उक्त प्रकरण की विवेचना एटीएस को स्थानांतरित हुई। एटीएस ने पुनः मुकदमा दर्ज कर विवेचना प्रारम्भ की थी। विवेचना के दौरान दो अभियुक्त भोपाल व कानपुर से गिरफ्तार किए गए थे। विवेचना के दौरान यह तथ्य आया कि अभियुक्तगण आतिफ मुजफ्फर और मो फैसल प्रतिबंधित आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट से जुड़े है।

अभियुक्तों इस्लामिक स्टेट के खलीफा अबु बकर अल बगदादी के नाम की बैत (शपथ) लेकर भारत के लोगों में दहशत व राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा पहुंचाने एवं काफिरों को जान से मारने की नियत से रिटायर शिक्षक रमेश बाबू शुक्ला को उनके हाथ में बंधे लाल पीले धागे (कलावा) व माथे पर लगे तिलक से उनकी हिंदू पहचान सुनिश्चित करके उनकी हत्या कर दी थी।

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