Ramabhadracharya Clarifies Controversy : रामभद्राचार्य ने प्रेमानंद जी महाराज को लेकर विवाद पर दी सफाई, संत समाज में एकता और संस्कृत अध्ययन पर दिया जोर

Ramabhadracharya Clarifies Controversy : जगद्गुरु रामभद्राचार्य हाल ही में एक विवाद के चलते चर्चा में रहे। कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि उन्होंने संत प्रेमानंद जी के प्रति अनुचित टिप्पणी की थी। इस विषय पर उन्होंने सामने आकर स्थिति स्पष्ट की और कहा कि उन्होंने कभी भी प्रेमानंद जी या किसी अन्य संत के प्रति अभद्र टिप्पणी नहीं की। उन्होंने कहा कि उनका उद्देश्य हमेशा संतों का सम्मान करना और आशीर्वाद देना ही रहा है।
विवाद पर सफाई
रामभद्राचार्य ने स्पष्ट किया कि उनके बयान को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया है। उन्होंने कहा कि “मैंने केवल आशीर्वाद देने की बात कही थी, किसी भी संत के प्रति अपमानजनक या अशोभनीय शब्द का प्रयोग नहीं किया।” उन्होंने संतों के बीच भेदभाव और विवाद पैदा करने वाली शक्तियों की निंदा करते हुए कहा कि यह सनातन धर्म के लिए हानिकारक है।
संस्कृत अध्ययन का महत्व
अपने संबोधन में रामभद्राचार्य ने विशेष रूप से संस्कृत भाषा के महत्व पर बल दिया। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति और सनातन परंपरा को गहराई से समझने के लिए संस्कृत का ज्ञान आवश्यक है। उन्होंने युवाओं से आग्रह किया कि वे संस्कृत का अध्ययन करें ताकि धर्म, शास्त्र और परंपराओं की वास्तविक समझ विकसित हो सके।
सनातन धर्म की रक्षा का आह्वान
रामभद्राचार्य ने सभी हिंदुओं से एकजुट होकर सनातन धर्म की रक्षा करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि बाहरी शक्तियाँ और कुछ आंतरिक मतभेद सनातन संस्कृति को कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसे समय में संत समाज और श्रद्धालुओं को मिलकर धर्म की रक्षा करनी होगी।
चमत्कारों पर विचार
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वे चमत्कारों में विश्वास नहीं रखते। उनके अनुसार, धर्म और अध्यात्म का आधार ज्ञान, भक्ति और साधना है, न कि अंधविश्वास या दिखावे वाले चमत्कार।
“रामभद्राचार्य का यह बयान न केवल विवाद को शांत करने का प्रयास है बल्कि संत समाज और श्रद्धालुओं के बीच एकता का संदेश भी है। उन्होंने सभी को यह याद दिलाया कि भारतीय संस्कृति की असली पहचान संस्कृत, शास्त्र और सनातन परंपरा में निहित है।”