आदि शंकराचार्य की 108 फीट ऊंची प्रतिमा बनकर तैयार,18 सितंबर को उद्धाटन करेंगे CM शिवराज

मध्यप्रदेश – मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान 18 सितंबर को आदि गुरु शंकराचार्य की 108 फीट की ऊंची प्रतिमा का उद्घाटन करेंगे। इस प्रतिमा का नाम- एकात्मता की मूर्ति रखा गया है। मुख्यमंत्री शिवराज देश के प्रसिद्ध संतों के सान्निध्य में इस भव्य और दिव्य प्रतिमा का उद्घाटन करेंगे। प्रसिद्ध चित्रकार वासुदेव कामत के चित्र पर आधार पर बनी आचार्य शंकर की यह विराट प्रतिमा खंडवा जिले के ओंकारेश्वर में है। 100 टन के मिश्रित धातु से तैयार एकात्मता की मूर्ति में बारह वर्ष के किशोर शंकर का रूप उकेरा गया है। इसका स्वरूप अत्यंत मनोहारी बनाने का प्रयास किया गया है। मूर्तिकारों ने इस अनोखी और विराट प्रतिमा में किशोर शंकर की भाव भंगिमाओं को जीवंत करने की कोशिश की है ताकि देखने वालों पर इसका सकारात्मक प्रभाव पड़े।
जानिए क्या है प्रतिमा की विशेषता?
यह एक प्रकार की बहु धातु प्रतिमा है। इसमें 16 फीट ऊंचे पत्थर से एक कमल का आधार बनाया गया है। वहीं 75 फीट ऊंचा पेडिस्टल का निर्माण किया गया है। 45 फीट शंकर स्तंभ पर आचार्य शंकर की जीवन यात्रा को उकेरा गया है। इस मूर्ति के निर्माण में 250 टन से 316 एल ग्रेड की स्टेनलेस स्टील का उपयोग किया गया है। वहीं 100 टन मिश्रित धातुओं में 88 टन तांबा,4 टन जस्ता और 8 टन टिन है। इसकी वजह से यह प्रतिमा सालों साल तक भक्तों को प्रेरित करती रहेगी।
कब से बन रही है प्रतिमा?
आदि गुरु शंकराचार्य की यह प्रतिमा बनाने की कल्पना 9 फरवरी 2017 को की गई थी। ओंकारेश्वर में नर्मदा सेवा यात्रा के दौरान साध्वी ऋतंभरा, स्वामी अवेधानंद गिरि, स्वामी तेजोमयानंद जैसे साधु और संतों ने इस संबंध में आपस में विचार-विमर्श किया था। इसी दिन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने संतों और जनता से सामने आचार्य शंकर की विशाल प्रतिमा ‘एकात्मता की मूर्ति’ बनवाने का ऐलान किया।
प्रतिमा के लिए एकात्म यात्रा
इसके बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और संतों के बीच वार्ता का दौर चला और फिर 1 मई 2017 को आचार्य शंकर सांस्कृतिक एकता गठन की नींव रखी गई। इसके बाद 25 मई 2017 को संतों और मुख्यमंत्री की बैठक में यह तय किया गया है कि आदि गुरु शंकराचार्य की 108 फीट की ऊंची प्रतिमा बनेगी। इसके बाद 19 दिसंबर, 2017 से एकात्म यात्रा की शुरुआत हुई।
चारों प्रसिद्ध मठों की यात्रा
सबसे पहले ओंकारेश्वर, उज्जैन, पचमठा और अमरकंटक धाम की यात्रा की गई और उसके बाद अगले एक महीने में यह एकात्म यात्रा 51 जिलों में 8500 किलोमीटर की दूरी तय करते हुए 3400 गांवों से निकली। जनसंवाद के साथ-साथ बहु धातु संग्रहण का काम किया गया। यह यात्रा भारत की चारों दिशाओं में स्थित उन चारों मठों में भी की गई, जिन्हें आचार्य शंकर ने स्थापित किया था। इस यात्रा के दौरान कोने-कोने से सभी समुदाय के लोगों ने धातु दान दिये।
बाल रूप में शंकराचार्य
ओंकारेश्वर धाम सनातन धर्म के आचार्य शंकर की ज्ञान और गुरु की भूमि है। पौराणिक स्रोतों के मुताबिक यहीं पर अपने गुरु गोविंद भगवत्पाद के पास रहकर उन्होंने शिक्षा हासिल की थी। तब उनकी उम्र 12 साल थी। यहां वो 4 साल रहे। यही वजह है कि यहां 108 फीट की जो प्रतिमा बनाई जा रही है, वह आचार्य शंकर के बालक रूप की है। यह प्रतिमा ओंकारेश्वर के मान्धाता पर्वत पर स्थापना की जा रही है। प्रतिमा का निर्माण एलएनटी कंपनी की तरफ से किया जा रहा है। इसकी आकृति महाराष्ट्र के सोलापुर के प्रसिद्ध मूर्तिकार भगवान रामपुर ने तैयार की है। साल 2018 में मुंबई के विख्यात चित्रकार वासुदेव कामत ने बाल शंकर का चित्र बनाया था, यहां की प्रतिमा में उसी चित्र का अनुसरण किया गया है।
आचार्य शंकर प्रतिमा की लागत
साल 2017-18 में ही इस प्रतिमा को बनाने के लिए मध्य प्रदेश शासन की तरफ से एकात्म यात्रा निकाली गई थी। इस दौरान 27,000 ग्राम पंचायतों से जनजागरण के माध्यम से अलग-अलग किस्म के धातुओं को संग्रहित किया गया। जानकारी के मुताबिक ये पूरा प्रोजेक्ट 2100 करोड़ रुपए का है। इस विशाल प्रतिमा के निर्माण में करीब 100 टन थातु का उपयोग किया जा रहा है।
संग्रहालय में क्या-क्या होगा?
शंकर संग्रहालय को विश्व ज्ञान का केंद्र बनाने की तैयारी है। यहां आचार्य शंकर के जीवन दर्शन, सनातन धर्म से जुड़ी गैलरी, लेजर लाइट वॉटर साउंड शो, आचार्य शंकर के जीवन पर फिल्म, सृष्टि नाम से अद्वैत व्याख्या केंद्र, अद्वैत नर्मदा विहार, अन्नक्षेत्र, शंकर कलाग्राम आदि प्रमुख केंद्र होंगे। यहां आचार्य शंकर अंतरराष्ट्रीय अद्वैत वेदान्त संस्थान के तहत दर्शन, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान और कला पर केंद्रित चार शोध केंद्रों के अलावा ग्रंथालय, विस्तार केंद्र और एक पारंपरिक गुरुकुल होगा।