
दिल्ली – दिल्ली सेवा बिल राज्यसभा से पास हो गया और सदन में चर्चा देखने को मिली। इस बहस के बीच एक विवाद आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा को लेकर हुआ, उन पर आरोप लगे है कि उन्होंने बिना सांसदों की सहमति के उनका नाम कमेटी को सौंप दिया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी इस मामले को उठाया है, साथ ही चार सांसदों ने भी राज्यसभा चेयरमैन को इसकी शिकायत की है। अब सवाल यह उठता है कि क्या राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा ने संसद के नियमों का उल्लंघन किया है और किया है तो किस नियम के तहत उनपर कार्यवाही की बात हो रही है।
सेलेक्ट कमेटी के गठन में क्या हैं नियम?
यह मामला सोमवार का है, जब दिल्ली सेवा बिल पर सदन में चर्चा हो रही थी। इस दौरान राघव चड्ढा पर आरोप लगे है कि उन्होंने दिल्ली सेवा बिल को सेलेक्ट कमेटी में भेजने का प्रस्ताव रखा था, साथ ही उन्होंने सेलेक्ट कमेटी के सदस्य भी प्रस्तावित कर दिए। राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा समेत अन्य जिन चार सांसदों का नाम इसमें है उनका कहना है कि ये सब उनकी सहमति के बिना हुआ है।
सेलेक्ट कमेटी के गठन क्या कहते है नियम ?
राज्यसभा के नियमों के मुताबिक नियम 125 के तहत कोई भी सदस्य यह प्रस्ताव दे सकता है कि किसी बिल को सेलेक्ट कमेटी को दिया जाए। अगर इस प्रस्ताव पर मुहर लगती है तो इसे सेलेक्ट कमेटी को सौंप दिया जाता है। इन नियम के मुताबिक, जो भी सदस्य किसी बिल को सेलेक्ट कमेटी में भेजने का प्रस्ताव रखता है उसे कमेटी के सदस्यों का भी नाम देना होता है, ऐसा वह सदस्यों की सहमति और बिना सहमति के भी कर सकता है। अगर किसी सदस्य ने प्रस्ताव में हस्ताक्षर किए हैं, तब भी वह अपना नाम वापस ले सकता हैं।
राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा के मामले में बवाल हस्ताक्षर को लेकर हो रहा है, आरोप है कि राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा ने फर्जी हस्ताक्षर या बिना सहमति के हस्ताक्षर करवाए हैं। अगर राज्यसभा का नियम देखें तो चयन समिति में सदस्य बनाए जाने के प्रस्ताव के साथ यह जरूरी नहीं है कि नामित सदस्यों का साइन करवाए। यह सिर्फ नाम सुझाए जाने तक सीमित है।
राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा पर लगे आरोपो पर क्या बोली आम आदमी पार्टी?
सदन में जब राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा के खिलाफ बयान आया, तो उन पर हमले शुरू हो गए। राघव चड्ढा ने इन आरोपों के जवाब में इतना ही कहा कि जब प्रिविलेज कमेटी उन्हें इससे जुड़ा कोई नोटिस देगी तब वह इसका जवाब देंगे। वहीं आम आदमी पार्टी के सूत्रों ने इसपर जवाब दिया है की राघव चड्ढा ने जो प्रस्ताव रखा है उसमें नियम के मुताबिक कहीं भी ऐसा नहीं है कि किसी सदस्य के साइन या सहमति की जरूरत है। यानी प्रस्ताव करने वाले सदस्य किसी भी सदस्य का सुझाव दे सकता है, आम आदमी पार्टी ने फर्जीवाड़े को आरोप को पूरी तरह निराधार बताया है।
आम आदमी पार्टी ने कहा है कि राघव चड्ढा ने जो सुझाव दिया है वह सिर्फ प्रस्ताव है, जिसे स्वीकारा और नकारा जा सकता है। जिन सदस्यों का नाम दिया गया है, वह बिना किसी पक्षपात के दिया गया है और इसमें सभी पक्षों को रखा गया है। नियम में साफ लिखा गया है कि अगर कोई सांसद कमेटी का सदस्य नहीं बनना चाहता है तो वह अपना नाम वापस भी ले सकता है।
राघव चड्ढा ने अपने प्रस्ताव में कमेटी के लिए जिन सदस्यों के नाम दिए थे उनमें एस. कोन्याक, नरहरी अमीन, सुधांशु त्रिवेदी, सस्मित पात्रा और एम. थंबीदुरई शामिल थे। दिल्ली सेवा बिल को लेकर आम आदमी पार्टी लगातार आक्रामक रही है और इसका विरोध कर रही है। लोकसभा में पारित होने के बाद सोमवार को यह बिल राज्यसभा में भी पारित हो गया और विपक्ष को जोरदार झटका लगा है।