नई दिल्ली

Vote For Note Case : अब वोट के बदले नोट देने से पहले 100 बार सोचेंगे सांसद और विधायक, सुप्रीम कोर्ट ने दे दिया बड़ा फैसला, जानिए क्या है पूरा मामला

नई दिल्ली – Vote For Note Case : कैश फॉर वोट मामले में रविवार को अहम फैसला सुनाते हुए देश के सर्वोच्च न्यायालय ने सांसदों और विधायकों को सदन में भाषण देने या वोट डालने के लिए रिश्वत लेने पर कानूनी संरक्षण के मामले में कहा है कि वोट के बदले नोट लेने वाले सांसदों / विधायकों को कानूनी संरक्षण नहीं है।

पूर्व पीएम पी. वी. नरसिम्हा राव केस में 5 जजों के संविधान पीठ के फैसले पलटते हुए सुप्रीम कोर्ट 7 जजों के पैनल ने सहमति से आज यह फैसला सुनाया। इनमें CJI डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस एएस बोपन्ना, जस्टिस एमएम सुंदरेश, जस्टिस पीएस नरसिम्हा, जेबी पारदीवाला, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच शामिल थे।

क्या है पूरा मामला?

मामला ये है कि अगर सांसद पैसे लेकर सदन में वोट या भाषण करते हैं तो उनके खिलाफ केस चलाया जाएगा। इस मामले में उन्हें कोई छूट नहीं मिल पाएगी। दरअसल 1998 में  5 जजों की संविधान पीठ ने 3:2 के बहुमत से तय किया था कि ऐसे मामले में जनप्रतिनिधियों पर मुकदमा नहीं चलाया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने इसी फैसले को पलट दिया है। इसका मतलब साफ है कि अगर कोई सांसद या विधायक सदन में मतदान के लिए रिश्वत लेता है को उस पर मुकदमा होगा। वह कार्रवाई से बच नहीं सकेगा।

क्या है वोट के बदले नोट का मामला

आपको बता दें कि झारखंड की विधायक सीता सोरेन पर साल 2012 में राज्यसभा चुनाव में वोट के बदले रिश्वत लेने के आरोप लगे थे। मामले में उनके खिलाफ आपराधिक मामला चल रहा है। इन आरोपों पर अपने बचाव में सीता सोरेन ने तर्क दिया था कि उन्हें सदन में कुछ भी कहने या किसी को भी वोट देने का अधिकार है और संविधान के अनुच्छेद 194(2) के तहत उन्हें विशेषाधिकार हासिल है। इसके तहत इन चीजों के लिए उनके खिलाफ मुकदमा नहीं चलाया जा सकता। इस तर्क के आधार पर सीता सोरेन ने अपने खिलाफ चल रहे मामले को रद्द करने की मांग की थी। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने 1993 के घूसकांड पर 1998 में दिए पांच जजों की संविधान पीठ के एक फैसले की सात जजों की पीठ द्वारा समीक्षा करने का फैसला किया।

पीएम नरेंद्र मोदी ने फैसले का स्वागत किया

सुप्रीम कोर्ट के फैसले का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वागत किया है। उन्होंने अपने सोशल मीडिया एकॉउंट एक्स पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए लिखा – स्वागतम ! माननीय सर्वोच्च न्यायालय का एक महान निर्णय जो स्वच्छ राजनीति सुनिश्चित करेगा और व्यवस्था में लोगों का विश्वास गहरा करेगा।

पी. वी. नरसिम्हा राव केस में 5 जजों के संविधान पीठ का फैसला पलटा

सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा, “सांसदों/विधायकों पर वोट देने के लिए रिश्वत लेने का मुकदमा चलाया जा सकता है। 1998 के पी. वी. नरसिम्हा राव मामले में पांच जजों के संविधान पीठ का फैसला पलट दिया है। ऐसे में नोट के बदले सदन में वोट देने वाले सांसद/ विधायक कानून के कटघरे में खड़े होंगे। केंद्र ने भी ऐसी किसी भी छूट का विरोध किया था।”

रिश्वतखोरी संसदीय विशेषाधिकारों द्वारा संरक्षित नहीं है, 1998 के फैसले की व्याख्या संविधान के अनुच्छेद 105, 194 के विपरीत है – सुप्रीम कोर्ट

अपराध उस समय पूरा हो जाता है, जब सांसद या विधायक रिश्वत लेता है – सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “अनुच्छेद 105(2) या 194 के तहत रिश्वतखोरी को छूट नहीं दी गई है, क्योंकि रिश्वतखोरी में लिप्त सदस्य एक आपराधिक कृत्य में शामिल होता है, जो वोट देने या विधायिका में भाषण देने के कार्य के लिए आवश्यक नहीं है। अपराध उस समय पूरा हो जाता है, जब सांसद या विधायक रिश्वत लेता है।”

सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में कहा, ऐसे संरक्षण के व्यापक प्रभाव होते है। राजव्यवस्था की नैतिकता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। हमारा मानना ​​है कि रिश्वतखोरी संसदीय विशेषाधिकारों द्वारा संरक्षित नहीं है। इसमें गंभीर ख़तरा है। ऐसा संरक्षण ख़त्म होने चाहिए।

रिश्वतखोरी संसदीय लोकतंत्र की कार्यप्रणाली को नष्ट कर देगी : SC

सीजेआई ने फैसला सुनाते हुए कहा, “एक सासंद/ विधायक छूट का दावा नहीं कर सकता, क्योंकि दावा सदन के सामूहिक कामकाज से जुड़ा है। अनुच्छेद 105 विचार-विमर्श के लिए एक माहौल बनाए रखने का प्रयास करता है इस प्रकार जब किसी सदस्य को भाषण देने के लिए रिश्वत दी जाती है, तो यह माहौल खराब हो जाता है। सांसदों/ विधायकों द्वारा भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी भारतीय संसदीय लोकतंत्र की कार्यप्रणाली को नष्ट कर देती है।”

REPUBLIC NOW

Republicnow.in एक स्वतंत्र डिजिटल न्यूज़ चैनल है, जो आपको सबसे तेज और सटीक खबरें प्रदान करता है। हमारा लक्ष्य है कि हम दुनिया भर की महत्वपूर्ण और प्रासंगिक खबरें आप तक पहुँचाएँ। राजनीति, मनोरंजन, खेल, बिज़नेस, टेक्नोलॉजी, और अन्य विषयों पर हमारी निष्पक्ष और प्रमाणिक रिपोर्टिंग हमें सबसे अलग बनाती है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button