
US-China Trade War : अमेरिका और चीन के बीच व्यापारिक तनातनी कोई नई बात नहीं है, लेकिन इस बार मामला थोड़ा अलग है। पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, जो चीन पर सख्त रुख अपनाने के लिए मशहूर हैं, अब बीजिंग पर टैरिफ लगाने में हिचकिचा रहे हैं। इसके पीछे कई अहम कारण हैं, जिनमें सबसे महत्वपूर्ण है रेयर अर्थ मिनरल्स पर चीन की पकड़। आइए जानते हैं वो 5 मुख्य वजहें, जिनसे अमेरिका के कदम धीमे पड़ गए हैं—
रेयर अर्थ मिनरल्स पर चीन का दबदबा
रेयर अर्थ मिनरल्स (Rare Earth Minerals) का इस्तेमाल इलेक्ट्रॉनिक्स, रक्षा उपकरणों और हाई-टेक इंडस्ट्री में होता है। दुनिया की 70% से ज्यादा सप्लाई चीन से होती है। अगर बीजिंग इनकी सप्लाई रोक देता है, तो अमेरिकी उद्योगों पर बड़ा असर पड़ेगा।
चुनावी साल में महंगाई का डर
2025 अमेरिकी चुनावी साल है। अगर चीन पर टैरिफ बढ़ा दिए गए, तो इसका सीधा असर अमेरिकी बाजारों और उपभोक्ता कीमतों पर पड़ेगा, जिससे महंगाई बढ़ सकती है और वोट बैंक पर असर पड़ सकता है।
अमेरिकी कंपनियों की चीन पर निर्भरता
Apple, Tesla और अन्य बड़ी अमेरिकी कंपनियां चीन में बड़े पैमाने पर प्रोडक्शन कराती हैं। टैरिफ से लागत बढ़ेगी और कंपनियों को भारी नुकसान हो सकता है।
वैश्विक सप्लाई चेन में बाधा
कोविड-19 के बाद से सप्लाई चेन पहले ही कमजोर है। टैरिफ से यह संकट और गहरा सकता है, जिससे इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटोमोबाइल और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर प्रभावित होंगे।
भू-राजनीतिक समीकरण
चीन सिर्फ व्यापारिक प्रतिद्वंद्वी नहीं, बल्कि रूस, ईरान और अन्य देशों के साथ मजबूत कूटनीतिक संबंध रखता है। सख्ती दिखाने से अमेरिका के खिलाफ नए गठबंधन बन सकते हैं।
“ट्रंप का यह कदम बताता है कि सिर्फ राजनीतिक बयानबाज़ी से काम नहीं चलता, बल्कि आर्थिक और भू-राजनीतिक वास्तविकताओं को भी ध्यान में रखना पड़ता है। अमेरिका भले ही दुनिया की सबसे बड़ी ताकत हो, लेकिन कुछ मामलों में उसे भी सोच-समझकर कदम उठाना पड़ता है।”