Aaj Ka Itihaas 03 May : गृहयुद्ध-शांति समझौते से लेकर भारत सिने जगत के लिए बहुत ही यादगार है 3 मई का दिन, जानिए आज का इतिहास

नई दिल्ली – Aaj Ka Itihaas 03 May : भारत की पहली फिल्म ‘राजा हरिश्चंद्र’ 3 मई 1913 को रिलीज हुई थी। इस फिल्म को बनाने में दादा साहेब फाल्के को जिन मुश्किलों का सामना करना पड़ा था, उसकी आज कल्पना करना भी मु्श्किल है।
फ़िल्म निर्माता दादा साहब फाल्के
फिल्म के निर्माण में दादा साहेब फाल्के की पत्नी सरस्वती बाई का भी अतुलनीय योगदान रहा। जब पैसे कम पड़े तो उन्होंने अपने जेवरात बेच दिए। फिल्म की शूटिंग के दौरान सरस्वती बाई अकेले 500 लोगों का खाना बनाती थीं। इतना ही नहीं, कास्ट के कपड़े भी वो खुद धोती थीं। कई बार तो सीन के वक्त वो सफेद शीट लेकर घंटों खड़े रहती थीं। बहरहाल 15 हजार रुपये की लागत और 6 महीने 27 दिन के अथक प्रयास के बाद ‘राजा हरिश्चंद्र’ की शूटिंग पूरी हुई और 21 अप्रैल 1913 को बॉम्बे के ओलंपिया थियेटर में कुछ खास लोगों के लिए फिल्म की स्क्रीनिंग रखी गई। ये वो लोग थे जिन्हें फिल्मों की अच्छी समझ थी। इस स्क्रीनिंग में मिली प्रशंसा के बाद दादा साहेब ने फिल्म को आम लोगों के सामने लाने का फैसला किया।
पहली फिल्म ‘राजा हरिश्चंद्र’
3 मई 1913 वो ऐतिहासिक दिन था, जब बॉम्बे के कॉरोनेशन सिनेमाहॉल में भारत की पहली फिल्म ‘राजा हरिश्चंद्र’ रिलीज की गई। फिल्म सुपरहिट साबित हुई और इसके साथ ही ये तारीख और दादा साहेब फाल्के का नाम इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया।
प्रमोद महाजन ने किया था अलविदा
अटल आडवाणी के बेहद करीबी और बीजेपी के कद्दावर नेता प्रमोद महाजन ने आज ही के दिन दुनिया को अलविदा कहा था। उनके छोटे भाई प्रवीण महाजन ने ही किसी बात पर बहस के बाद प्रमोद महाजन को 3 गोलियां मारी थी, जिससे उनकी मौत हो गई। बात अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्री बनने की हो या लालकृष्ण आडवाणी की रथयात्रा की, महाराष्ट्र में शिवसेना से गठबंधन की हो या शाइनिंग इंडिया का मंत्र देने की, प्रमोद महाजन के जिक्र के बिना अधूरी ही रहती है। एक समय अटल-आडवाणी के करीबी रहे प्रमोद महाजन उस समय पार्टी की सेकंड लाइन के प्रमुख नेता थे।
राम आंदोलन में निभाई थी भूमिका
जब देश में राम मंदिर आंदोलन जोर पकड़ने लगा था। तब आडवाणी का भी इरादा पदयात्रा निकालने का था। लेकिन प्रमोद महाजन ने उन्हें राय दी कि पदयात्रा में समय ज्यादा लगेगा, ज्यादा जगह भी कवर नहीं होगी। पदयात्रा के बजाय रथयात्रा निकालिए। आडवाणी को ये आइडिया जम गया। प्रमोद ने मेटाडोर को रथ में बदला, नाम दिया- रामरथ। आडवाणी की रथयात्रा में प्रमोद की भी बड़ी भूमिका थी। 1996 में वाजपेयी सत्ता में आए। प्रमोद अपना पहला लोकसभा चुनाव जीते। उन्हें रक्षा मंत्री बनाया गया। सरकार केवल 13 दिन ही टिकी। 1998 में बीजेपी फिर सत्ता में आई, पर महाजन हार गए। उन्हें राज्यसभा भेजा गया। सूचना-प्रसारण मंत्री रहे और टेलीकॉम पॉलिसी में कई सुधार किए। हालांकि उन पर वित्तीय गड़बड़ियों और रिलायंस को फायदा पहुंचाने के आरोप भी लगते रहे।
1971 युद्ध के हीरो का हुआ था निधन
1971 की फाइट के हीरो लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा का जन्म 1916 में पाकिस्तान में हुआ था। सन 1938 में उन्हें सेना में कमीशन मिला। सन 1964 में जनरल ऑफिसर कमांडिंग के रूप में उनको पूर्वी कमान की जिम्मेदारी सौंपी गई। 1973 में जनरल अरोड़ा सेना से रिटायर हो गए। उन्हें 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में अपने साहसिक फैसलों के लिए जाना जाता है। इस युद्ध में भारत ने पाकिस्तान के दो टुकड़े कर दिए और एक नए देश बांग्लादेश का जन्म हुआ। पाकिस्तान के लेफ्टिनेंट जनरल नियाजी ने अपनी पूरी सेना के सामने समर्पण पत्र पर हस्ताक्षर किए। उनके सामने थे लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा। 1971 युद्ध के हीरो। आज ही के दिन 2005 में उनका निधन हो गया।
महत्वपूर्ण घटनाएं
- 2019: ओडिशा में तूफान ‘फानी’ का कहर। 33 लोगों की मौत हुई। चेतावनी के बाद सरकार ने हजारों लोगों को सुरक्षित निकाला।
- 2008: पाकिस्तानी जेल में सजा काट रहे भारतीय कैदी सरबजीत सिंह की फांसी टली।
- 1993: संयुक्त राष्ट्र संघ ने विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस की घोषणा की।
- 1913: पहली भारतीय फीचर फिल्म राजा हरिश्चन्द्र प्रदर्शित हुई।
- 1845: चीन के कैंटन में थियेटर में आग लगने से 1600 लोगों की मौत हुई।