
लखनऊ – प्रदेश में संपत्ति का ब्यौरा न देने वाले कार्मिकों की पदोन्नति पर विचार नहीं किया जाएगा। उन्हें 31 दिसंबर तक हर हाल में मानव संपदा पोर्टल पर अपनी चल-अचल संपत्ति घोषित करनी होगी। इस संबंध में मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र की ओर से कार्मिक विभाग ने शासनादेश जारी कर दिया है।
उत्तर प्रदेश में 1 अक्तूबर 2023 से सरकारी कार्मिकों के सेवा संबंधी कार्य मानव संपदा पोर्टल से ही किए जाने के निर्देश पहले ही जारी किए जा चुके हैं। अब राज्य सरकार ने निर्णय लिया है कि राज्य के सभी अधिकारी और कर्मचारी उत्तर प्रदेश सरकारी कर्मचारी आचरण नियमावली के नियम-24 के तहत मानव संपदा पोर्टल पर 31 दिसंबर 2023 तक अपनी चल एवं अचल संपत्ति का ब्यौरा अनिवार्य रूप से देंगे।
इस तिथि तक चल-अचल संपत्ति का विवरण न देना उस कार्मिक के लिए प्रतिकूल रूप में लिया जाएगा। एक जनवरी 2024 और उसके बाद होने वाली विभागीय चयन समितियों (डीपीसी) की बैठकों में इस बात का खास तौर पर संज्ञान लिया जाएगा। ऐसे कार्मिक जब तक अपनी चल एवं अचल संपत्ति का विवरण पोर्टल पर प्रस्तुत नहीं करेंगे, उनकी पदोन्नति के प्रकरणों पर विचार ही नहीं होगा।
मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र ने सभी विभागों को शासनादेश जारी कर दिया है। इसमें कहा गया है कि 31 दिसंबर तक पोर्टल पर चल व अचल संपत्ति का विवरण नहीं प्रस्तुत किए जाने को प्रतिकूल रूप में लिया जाएगा। इस संबंध में पहली जनवरी 2024 और उसके बाद होने वाली विभागीय चयन समितियों की बैठकों में ऐसे कार्मिकों की पदोन्नति के मामलों पर तब तक विचार नहीं किया जाएगा।
शासन ने राज्य सरकार के सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को उप्र सरकारी कर्मचारी आचरण नियमावली, 1956 के तहत मानव संपदा पोर्टल पर 31 दिसंबर तक अपनी चल व अचल संपत्ति का विवरण अनिवार्य रूप से प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।
मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र ने मंगलवार को इस बारे में सभी विभागों को शासनादेश जारी कर दिया है। इसमें कहा गया है कि 31 दिसंबर तक पोर्टल पर चल व अचल संपत्ति का विवरण नहीं प्रस्तुत किए जाने को प्रतिकूल रूप में लिया जाएगा। इस संबंध में पहली जनवरी 2024 और उसके बाद होने वाली विभागीय चयन समितियों की बैठकों में ऐसे कार्मिकों की पदोन्नति के मामलों पर तब तक विचार नहीं किया जाएगा जब तक वे अपनी संपत्ति का विवरण पोर्टल पर प्रस्तुत नहीं कर देते।