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Bhagat Singh की फांसी के 92 साल बाद पाकिस्तान में बवाल, जानिए आखिर क्यों केस खोलने की हो रही मांग?

नई दिल्ली – Bhagat Singh Birth Anniversary : देश की आजादी के लिए खुशी-खुशी फांसी के फंदे को चूम लेने वाले शहीद-ए-आजम भगत सिंह का आज जन्मदिवस है। आज ही के दिन 28 सितंबर 1907 को तत्कालीन पंजाब के बंगा में हुआ था। बंगा गांव उस समय के लैलपुर का हिस्सा था। लैलपुर को आज पाकिस्तान में सियालकोट के नाम से जाना जाता है। 23 मार्च 1931 को भगत सिंह को फांसी दी गई थी। सिर्फ 23 साल की उम्र में देश के नाम अपनी जान न्यौछावर करने वाले भगत सिंह की बहुत सी बातें आज भी युवाओं को प्रेरित करती हैं।

92 साल के बाद पाकिस्तान क्यों कर रहा हंगामा ?

पूरा मामला ये है की 19 मार्च,1931 में भगत सिंह पर ब्रिटिश शासन के विरोध में साजिश रचने के आरोप में मुकदमा चलाया गया था। इसके बाद 23 मार्च, 1931 को भगत सिंह सहित उनके साथी राजगुरु और सुखदेव को एक  साथ फांसी दे दी गई थी। भगत सिंह के इस सजा के खिलाफ 2013 में पाकिस्तान में एक याचिका दायर की गई थी। तब जस्टिस शुजात अली खान ने इस मामले को चीफ जस्टिस के पास भेजा दिया था तभी से ये याचिका लंबित है।

16 सितंबर को लाहौर हाईकोर्ट ने कहा कि ये मामला बड़ी बेंच के लायक नहीं है। वकीलों का कहना है की भगत सिंह की सजा रद्द करने को लेकर कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। पैनल से जुड़े वकील इम्तियाज राशिद कुरैशी ने बताया की हाईकोर्ट ने भगत सिंह के मामले को दुबारा खोलने और इसपर किसी भी तरह के सुनवाई से आपत्ति जताई है,अदालत ने कहा की ये मामला सुनवाई के लायक नहीं है।

याचिका खारिज करते हुए कोर्ट ने क्या तर्क दिया?

वकील इम्तियाज राशिद कुरैशी का कहना है कि लाहौर हाईकोर्ट ने स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह के मामले को दोबारा खोलने के लिए संवैधानिक बेंच के गठन पर आपत्ति जताई है। अदालत का तर्क ये है कि यह मामला अदालत की बड़ी बेंच की सुनवाई के लायक ही नहीं है। हाईकोर्ट के आदेश के बाद लाहौर पुलिस ने अनारकली थाने के रिकॉर्ड खंगाली तो उन्हें वो एफआईआर मिली थी जो सैंडर्स की हत्या के बाद भगत सिंह पर दर्ज की गई थी।

एफआईआर उर्दू में दर्ज हुई थी, उसमे लिखा था कि 17 दिसम्बर 1928 की शाम को 4 बजे दो अज्ञात बंदूकधारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया। यह मामला IPC की धारा 302,120 और 109 के तहत दर्ज हुआ था। याचिका के जरिए स्वतंत्रता संग्राम के नायक भगत सिंह को मरणोंपरांत सम्मानित किए जाने की मांग की गई है। लाहौर की हाइकोर्ट ने भगत सिंह के मामले को दोबारा खोलने पर आपत्ति जताई है और सुनवाई से इंकार कर दिया है। याचिका को लेकर वकीलों के पैनल ने अपने भी तर्क दिए हैं।

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