धर्म व ज्योतिष

Pithori Amavasya 2023: आज पिठोरी अमावस्या पर करें ये आसान उपाय, पितृ दोष से होने वाली परेशानियों से मिलेगी मुक्ति

Pithori Amavasya 2023: हिंदू पंचांग के अनुसार, हर महीने में अमावस्या तिथि पड़ती है, जिसे अलग-अलग नामों से जाना जाता है। भाद्रपद माह में पड़ने वाली अमावस्या को पिठोरी अमावस्या कहा जाता है। सनातन धर्म में पिठोरी अमावस्या पर स्नान, दान, पूजा-पाठ और पितरों के तर्पण का विशेष महत्व बताया गया है. इस सला ये अमावस्या आज यानी 14 सितंबर को है। इस दिन महिलाएं मां दुर्गा की उपासना करती हैं और अपनी संतान की लंबी आयु की कामना करती हैं। आइए आपको पिठोरी अमावस्या से जुड़े विशेष उपाय बताते हैं।

पितरों की आत्मा को शांति मिलती है
कहा जाता है कि पिठोरी अमावस्या के दिन पितरों का तर्पण करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है। पितृ तर्पण आदि धार्मिक कार्यों में कुश का प्रयोग करने की वजह से इसे कुशाग्रहणी अमावस्या (Kushagrahani Amavasya) भी कहा जाता है। मान्यता है कि पितरों का तर्पण करने से पितृ दोष से होने वाली परेशानियों से मुक्ति मिलती है साथ ही श्री हरि भगवान विष्णु की पूजा से बड़े से बड़ा संकट दूर हो जाता है। इसके अलावा इस दिन पीपल के पेड़ की पूजा भी की जाती है।

सुबह करें ये उपाय

पिठोरी अमावस्या के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करे और फिर सफेद कपड़े पहनें। स्टील के लोटे में जल और चावल डालकर सूर्य को जल चढ़ाएं। इसके बाद सूर्य से सुखद जीवन की कामना करें। ॐ सूर्य देवाय नमः मंत्र का जाप करें।

शाम को करें ये उपाय

पिठोरी अमावस्या पर शाम को सूर्यास्त से पहले मंदिर और मुख्य द्वार पर दीपक जलाएं। शाम को एक थाली में दीपक जलाएं और उसमें मिठाई, फल, चावल रखकर पूरे घर में घुमाएं। ऐसे करने से आपके जीवन के सारे दुख, संकट खत्म हो जाएंगे।

धन प्राप्ति के लिए करें उपाय
अमावस्या के दिन पूरे घर की साफ-सफाई करें और कचरा न रखें। घर में अंधेरा ना करें, हो सके तो पर्याप्त रोशनी की व्यवस्था करें। घर के हर एक कोने में बल्ब जलाएं। ऐसा करने से धन-धान्य की कमी नहीं होगी।

पीपल के पेड़ के नीचे जलाएं दीपक

भाद्रपद अमावस्या को पिथौरा अमावस्या भी कहा जाता है, इसलिए इस दिन देवी दुर्गा की पूजा की जाती है। इस संदर्भ में पौराणिक मान्यता है कि इस दिन माता पार्वती ने इंद्राणी को इस व्रत का महत्व बताया था। विवाहित स्त्रियों की ओर से संतान प्राप्ति और अपनी संतान के कुशल मंगल के लिए उपवास किया जाता है और देवी दुर्गा की पूजा की जाती है। इस अमावस्या को पिठोरी या कुशोत्पाटिनी अमवास्या भी कहते हैं। आज शाम को पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाएं और अपने पितरों को स्मरण करें। इसके साथ ही पीपल की परिक्रमा लगाए इससे पितरों की आत्मा को शांति मिलती है।

आज स्नान-ध्यान का है बड़ा महत्व

आज सुबह उठकर किसी नदी, जलाशय या कुंड में स्नान करें और सूर्य देव को अर्घ्य देने के बाद बहते जल में तिल प्रवाहित करें। नदी के तट पर पितरों की आत्म शांति के लिए पिंडदान करें और किसी गरीब व्यक्ति या ब्राह्मण को दान-दक्षिणा दें। इस दिन कालसर्प दोष निवारण के लिए पूजा-अर्चना भी की जा सकती है। अमावस्या के दिन शाम को पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक लगाएं और अपने पितरों को स्मरण करें। पीपल की सात परिक्रमा लगाएं। अमावस्या शनिदेव का दिन भी माना जाता है। इसलिए इस दिन उनकी पूजा करना जरूरी है।

कपड़े और अन्न का करना चाहिए दान

अमावस्या को स्नान, दान और तर्पण के लिए सबसे शुभ दिन माना गया है। मान्यता है कि इस दिन हाथों में कुश लेकर तर्पण करने से कई पीढ़ियों के पितर तृप्त हो जाते हैं। यदि कुंडली में पितृदोष या कालसर्प दोष हो तो इससे मुक्ति के लिये अमावस्या का दिन सबसे शुभ माना जाता है। आज के दिन अपनी सामर्थ्य के अनुसार, कपड़े और अन्न का दान करना चाहिए। ऐसा करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है।

( Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी ज्योतिषियों, पंचांग, धार्मिक मान्यताओं, धर्मग्रंथों से लेकर आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है। किसी भी तरह की जिम्मेदारी republicnow.in नहीं लेगा।)

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