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Nipah Virus: केरल में बढ़ रहा निपाह वायरस का प्रकोप, कैसे फैलता है ये संक्रमण, जानिए क्या है इसका इलाज

नई दिल्ली, Nipah Virus: देशभर में लोग अभी तक कोरोना महामारी का दंश झेल रहे हैं। इस गंभीर महामारी से अभी तक पूरी तरह छुटकारा भी नहीं मिला था कि एक और वायरस ने इन दिनों लोगों की चिंता बढ़ा दी है। खासकर केरल में जहां एक के बाद एक इस वायरस के मामले सामने आते जा रहे हैं। यहां निपाह वायरस के मामले सामने आने के बाद से हड़कंप मचा हुआ है। इस संक्रमण से बचाव के चलते केरल के कोझिकोड में सभी शैक्षणिक संस्थानों को 24 सितंबर तक बंद कर दिया गया है। निपाह वायरस एक गंभीर समस्या है, क्योंकि इसकी मृत्यु दर काफी ज्यादा है।

कैसे फैलता है निपाह वायरस?

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक़ निपाह वायरस (NiV) एक तेज़ी से उभरता वायरस है, जो जानवरों और इंसानों में गंभीर बीमारी को जन्म देता है। NiV के बारे में सबसे पहले 1998 में मलेशिया के कम्पंग सुंगाई निपाह से पता चला था। वहीं से इस वायरस को ये नाम मिला. उस वक़्त इस बीमारी के वाहक सूअर बनते थे। लेकिन इसके बाद जहां-जहां NiV के बारे में पता चला, इस वायरस को लाने-ले जाने वाले कोई माध्यम नहीं थे। साल 2004 में बांग्लादेश में कुछ लोग इस वायरस की चपेट में आए। इन लोगों ने खजूर के पेड़ से निकलने वाले तरल पदार्थ को चखा था और इस तरल पदार्थ तक वायरस को लेने जानी वाले चमगादड़ थे जिन्हें फ्रूट बैट कहा जाता है।

अब तक कोई इलाज नहीं?

इस वायरस के एक इंसान से दूसरे इंसान तक पहुंचने की पुष्टि भी हुई। और ऐसा भारत के अस्पतालों में हुआ है। इंसानों में NiV इंफ़ेक्शन से सांस लेने से जुड़ी गंभीर बीमारी हो सकती है या फिर जानलेवा इंसेफ़्लाइटिस भी अपनी चपेट में ले सकता है। इंसानों या जानवरों को इस बीमारी को दूर करने के लिए अभी तक कोई इंजेक्शन नहीं बना है। सेंटर फ़ॉर डिसीज़ कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) के मुताबिक़ निपाह वायरस का इंफ़ेक्शन एंसेफ़्लाइटिस से जुड़ा है, जिसमें दिमाग़ को नुक़सान होता है।

बीमारी के लक्षण क्या?

इस वायरस से संक्रमित होने के बाद व्यक्ति 3 से 14 दिन तक तेज़ बुख़ार और सिरदर्द का सामना कर सकता है। ये लक्षण 24 से 48 घंटों में मरीज़ को कोमा में पहुंचा सकते हैं। इंफ़ेक्शन के शुरुआती दौर में सांस लेने में समस्या होती है जबकि लगभग आधे मरीज़ों में न्यूरोलॉजिकल दिक्कतें भी होती हैं। साल 1998-99 में इस वायरस की चपेट में 265 लोग आए थे। अस्पतालों में भर्ती हुए इनमें से क़रीब 40% मरीज़ ऐसे थे जिन्हें गंभीर नर्वस बीमारी हुई थी और उन्हें बचाया नहीं जा सका था। आम तौर पर इंसानों में ये वायरस इंफेक्शन की चपेट में आने वाले चमगादड़ों, सूअरों या फिर दूसरे इंसानों से फैलता है। मलेशिया और सिंगापुर में इसके सूअरों के ज़रिए फैलने की जानकारी मिली थी जबकि भारत और बांग्लादेश में इंसान से इंसान का संपर्क होने पर इसकी चपेट में आने का ख़तरा ज़्यादा रहता है।

बचने के उपाय

ऐसे में इससे निपटने के लिए स्वास्थ्य अधिकारियों की तरफ से सभी जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं। हालांकि, इसके बाद भी निपाह वायरस के मामलों में बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। इसकी वजह से केरल में दो लोगों की मौत भी हो चुकी है। ऐसे में जरूरी है कि इससे बचने के लिए सावधानी बरती जाए और खुद को सुरक्षित रखा जाए। अगर आप भी इस खतरनाक वायरस से बचकर रहना चाहते हैं, तो सुरक्षा के लिए निम्न कदम उठा सकते हैं।

हाथों को साबुन से धोएं
किसी भी तरह से वायरस आदि से खुद को सुरक्षित रखने का सबसे आसान और आम तरीका अपने हाथों को साफ रखना है। इसके लिए अपने हाथों को बार-बार साबुन और पानी से अच्छी तरह धोएं। इस आदत को अपनाने से आपको संक्रमण के खतरे को कम करने में मदद मिल सकती है।

लोगों के संपर्क में आने से बचें
अगर आप निपाह वायरस (Nipah Virus) से खुद को बचाना चाहते हैं, तो इसके लिए लोगों के निकट संपर्क से बचें। खासतौर पर संक्रमित,बीमार या ऐसे व्यक्तियों के निकट संपर्क से बचें, जिनमें लक्षण दिखाई दे रहे हो।

खुद को क्वारंटाइन करें
अगर आप इस खतरनाक वायरस से संक्रमित हैं या किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आए हैं, तो तुरंत क्वारंटाइन कर लें। यह संक्रमण को रोकने का एक कारगर और प्रभावी तरीका है।

फूड सेफ्टी का पालन करें
निपाह वायरस आमतौर पर चमगादड़ों से फैलता है। ऐसे में उन फलों को खाने से बचें, जो किसी पक्षी या जानवर द्वारा खाया या झूठा किया गया हो। ऐसा इसलिए क्योंकि यह फल चमगादड़ या किसी संक्रमित जानवर का झूठा हो सकता है, जिससे संक्रमण फैल सकता है। फलों को खाने से पहले गर्म पानी से साफ करें और छीलकर खाएं।

सतर्क रहें और डॉक्टर से सलाह लें

अगर आपको अपने अंदर निपाह वायरस के कोई भी लक्षण नजर आ रहे हैं, तो बिना किसी लापरवाही और देरी के तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। साथ ही अपने आसपास के क्षेत्र के हालातों की जानकारी रखें और सभी जरूरी स्वास्थ्य दिशानिर्देशों का पालन करें।

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