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New Income Tax Bill 2025 : आज लोकसभा में पेश हो रहा है न्यू आयकर विधेयक 2025, जानिए इनमें क्या-क्या अहम बदलाव हैं?

New Income Tax Bill 2025 : 11 अगस्त 2025 को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण लोकसभा में संशोधित Income Tax Bill, 2025 पेश करेंगी। यह बिल पुराने आयकर अधिनियम, 1961 को बदलकर एक सरल, पारदर्शी और समयानुकूल कर ढांचा लाने की दिशा में बड़ा कदम है। आइए जानते हैं इस बिल में शामिल प्रमुख सुधार:

मुख्य बदलाव

  1. कम शब्द और धारा
    • पहले वाले अधिनियम में 5.12 लाख शब्द और 819 धाराएं थीं। नए बिल में इसे घटाकर 2.6 लाख शब्द और 536 धाराएं लिया गया है। अध्यायों की संख्या 47 से घटकर 23 हो गई है।
  2. सरल और स्पष्ट भाषा
    • शब्दों तथा वाक्य संरचना में ढेरों तकनीकी सुधार, क्रॉस-रेफरेंसिंग और ड्राफ्टिंग को सुधारा गया है।
  3. कर वर्ष (Tax Year) की अवधारणा
    • अब पुराने ‘पिछला वर्ष’ और ‘आकलन वर्ष’ के बजाय सिर्फ ‘कर वर्ष’ का प्रयोग होगा, जिससे कर व्यवस्था में स्पष्टता आएगी।
  4. प्रवर समिति के सुझाव शामिल
    • संसदीय चयन समिति (चेयर: बैजयंत पांडा) द्वारा दिए गए 285 सुझावों को नए बिल में शामिल किया गया है।
  5. पेंशनधारकों को समान कर छूट
    • अब सरकारी, निजी या स्वयं निवेश करने वाले सभी पेंशनधारकों को एकमुश्त पेंशन निकासी पर समान कर लाभ मिलेगा।
  6. पेंशनदाताओं की कर प्रक्रिया में समानता
    • गैर-नौकरीपेशा निजी पेंशनधारकों को अब कर में समान उपचार मिलेगा।
  7. अनजाने में हुई त्रुटि पर जुर्माने से छुटकारा
    • यदि कोई करदाता त्रुटिवश गलती करता है तो उस पर जुर्माना नहीं लगेगा। इससे ईमानदार करदाताओं को प्रोत्साहन मिलेगा।
  8. खाली घरों पर करवृद्धि नहीं
    • चयन समिति के सुझावों की वजह से खाली पड़ी रियल एस्टेट पर बढ़ा हुआ टैक्स नहीं लगेगा। नियम वही रहेगा जैसा 1961 के कानून में था।
  9. गुटमान्य ट्रस्टों को अनाम दान में राहत
    • ग़ैर-लाभकारी धर्मार्थ ट्रस्टों को प्राप्त अनाम दान पर कर में छूट जारी रहेगी, जबकि सतत कार्य करने वाले अन्य ट्रस्टों को इसका लाभ नहीं मिलेगा
  10. सरकार का उद्देश्य
    • चयन समिति की रिपोर्ट पर काम सुरक्षित रखने, समय बचाने और विधायी स्पष्टता कायम करने के लिए पुराने बिल को वापस लेकर नया, बेहतर और परिष्कृत संस्करण पेश किया जा रहा है।

“नया आयकर विधेयक, 2025, भारत के कर प्रणाली में एक बड़ा सुधार लाने वाला कदम है। यह करदाताओं और छोटे व्यवसायों के लिए सरल, सुविधाजनक और निष्पक्ष कर व्यवस्था की ओर बढ़ने का संकेत है। अब यह देखना बाकी है कि संसद में इसे मंजूरी मिलती है या नहीं और आम व्यक्ति पर इसका असली प्रभाव क्या होगा।”

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