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Independence Day 2023: देश की आन-बान और शान है भारतीय तिरंगा, जानें भारतीय तिरंगे का इतिहास

नई दिल्ली – Independence Day 2023: इस साल हम सभी अपना 77वां स्वतंत्रता दिवस मनाने जा रहे हैं। जैसा कि हम आजादी के 76 साल मना रहे हैं, हमें इसके इतिहास, हमारी आजादी पाने के पीछे के संघर्ष, हमारे लिए लड़ने वाले स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में बहुत कुछ जानना बाकी है। यह दिन पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन हम सब अपने घरों को तिरंगे रंग में सजाते हैं, स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में भाषण और कविताएं पढ़ते हैं। साथ ही सबसे महत्वपूर्ण राष्ट्रीय ध्वज फहराते हैं।

भारतीय राष्ट्रीय ध्वज यानी तिरंगे का भी अपना बहुत महत्व है। यह हमारे राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक है। तिरंगा भारत के लोगों की आशाओं और आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करता है। ऐसे में स्वतंत्रता दिवस के मौके पर हमें तिरंगे का इतिहास और महत्व अवश्य जानना चाहिए।

तिरंगे का इतिहास और इसका महत्व
दुनिया में हर देश का अपना राष्ट्रीय ध्वज होता है, जो एक स्वतंत्र देश का प्रतीक होता है। हमारा तिरंगा भी हमारी आजादी का प्रतीक है। 15 अगस्त, 1947 को अंग्रेजों से भारत की आजादी से कुछ दिन पहले 22 जुलाई, 1947 को आयोजित हुई संविधान सभा की बैठक में भारत के राष्ट्रीय ध्वज को इसके वर्तमान स्वरूप में अपनाया गया था। 15 अगस्त, 1947 से 26 जनवरी, 1950 के बीच यह भारत के डोमिनियन के ध्वज के रूप में कार्य करता था। साल1950 के बाद यह भारत गणराज्य का प्रतीक बन गया।

तिरंगे में कितने रंग है


भारतीय राष्ट्रीय ध्वज में तीन रंग हैं। इसमें सबसे ऊपर गहरा केसरिया (केसरी), बीच में सफेद और सबसे नीचे गहरा हरा रंग होता है। इसके अलावा बीच में 24 तीलियों वाला एक नेवी ब्लू व्हील या चक्र होता है। यह अशोक के सारनाथ सिंह स्तंभ के एबेकस पर दिखाई देने वाले डिजाइन के समान है और इसका व्यास सफेद बैंड की चौड़ाई के बराबर है। झंडे की चौड़ाई और लंबाई का अनुपात दो से तीन है।

तिरंगे के तीन रंगों का क्या क्या है अर्थ
हमारे राष्ट्रीय ध्वज का केसरिया रंग देश की ताकत और साहस को दर्शाता है। वहीं सफेद रंग धर्म चक्र के साथ शांति और सच्चाई को दर्शाता है और हरा रंग भूमि की उर्वरता, विकास और शुभता को दर्शाता है। इसके अलावा बीच में मौजूद धर्म चक्र मौर्य सम्राट अशोक द्वारा बनाई गई सारनाथ राजधानी में “कानून के पहिये” को दर्शाया है। यह दर्शाता है कि गति में जीवन है और ठहराव में मृत्यु है।

चक्र

इस धर्म चक्र को विधि का चक्र कहते हैं जो तीसरी शताब्‍दी ईसा पूर्व मौर्य सम्राट अशोक द्वारा बनाए गए सारनाथ मंदिर से लिया गया है। इस चक्र को प्रदर्शित करने का आशय यह है कि जीवन गति‍शील है और रुकने का अर्थ मृत्‍यु है।

ध्‍वज संहिता

26 जनवरी 2002 को भारतीय ध्‍वज संहिता में संशोधन किया गया और स्‍वतंत्रता के कई वर्ष बाद भारत के नागरिकों को अपने घरों, कार्यालयों और फैक्‍ट‍री में न केवल राष्‍ट्रीय दिवसों पर, बल्कि किसी भी दिन बिना किसी रुकावट के फहराने की अनुमति मिल गई। अब भारतीय नागरिक राष्‍ट्रीय झंडे को शान से कहीं भी और किसी भी समय फहरा सकते है। बशर्ते कि वे ध्‍वज की संहिता का कठोरता पूर्वक पालन करें और तिरंगे की शान में कोई कमी न आने दें। सुविधा की दृष्टि से भारतीय ध्‍वज संहिता, 2002 को तीन भागों में बांटा गया है। संहिता के पहले भाग में राष्‍ट्रीय ध्‍वज का सामान्‍य विवरण है। संहिता के दूसरे भाग में जनता, निजी संगठनों, शैक्षिक संस्‍थानों आदि के सदस्‍यों द्वारा राष्‍ट्रीय ध्‍वज के प्रदर्शन के विषय में बताया गया है। संहिता का तीसरा भाग केन्‍द्रीय और राज्‍य सरकारों तथा उनके संगठनों और अभिकरणों द्वारा राष्‍ट्रीय ध्‍वज के प्रदर्शन के विषय में जानकारी देता है।

26 जनवरी 2002 विधान पर आधारित कुछ नियम और विनियमन हैं कि ध्‍वज को किस प्रकार फहराया जाए।

क्‍या करें:

  • राष्‍ट्रीय ध्‍वज को शैक्षिक संस्‍थानों (विद्यालयों, महाविद्यालयों, खेल परिसरों, स्‍काउट शिविरों आदि) में ध्‍वज को सम्‍मान देने की प्रेरणा देने के लिए फहराया जा सकता है। विद्यालयों में ध्‍वज आरोहण में निष्‍ठा की एक शपथ शामिल की गई है।
  • किसी सार्वजनिक, निजी संगठन या एक शैक्षिक संस्‍थान के सदस्‍य द्वारा राष्‍ट्रीय ध्‍वज का अरोहण/प्रदर्शन सभी दिनों और अवसरों, आयोजनों पर अन्‍यथा राष्‍ट्रीय ध्‍वज के मान सम्‍मान और प्रतिष्‍ठा के अनुरूप अवसरों पर किया जा सकता है।
  • नई संहिता की धारा 2 में सभी निजी नागरिकों अपने परिसरों में ध्‍वज फहराने का अधिकार देना स्‍वीकार किया गया है।

क्‍या न करें:

  • इस ध्‍वज को सांप्रदायिक लाभ, पर्दें या वस्‍त्रों के रूप में उपयोग नहीं किया जा सकता है। जहां तक संभव हो इसे मौसम से प्रभावित हुए बिना सूर्योदय से सूर्यास्‍त तक फहराया जाना चाहिए।
  • इस ध्‍वज को आशय पूर्वक भूमि, फर्श या पानी से स्‍पर्श नहीं कराया जाना चाहिए। इसे वाहनों के हुड, ऊपर और बगल या पीछे, रेलों, नावों या वायुयान पर लपेटा नहीं जा सकता।
  • किसी अन्‍य ध्‍वज या ध्‍वज पट्ट को हमारे ध्‍वज से ऊंचे स्‍थान पर लगाया नहीं जा सकता है। तिरंगे ध्‍वज को वंदनवार, ध्‍वज पट्ट या गुलाब के समान संरचना बनाकर उपयोग नहीं किया जा सकता।

भारतीय राष्‍ट्रीय ध्‍वज भारत के नागरिकों की आशाएं और आकांक्षाएं दर्शाता है। यह हमारे राष्‍ट्रीय गर्व का प्रतीक है। पिछले पांच दशकों से अधिक समय से सशस्‍त्र सेना बलों के सदस्‍यों सहित अनेक नागरिकों ने तिरंगे की पूरी शान को बनाए रखने के लिए निरंतर अपने जीवन न्‍यौछावर किए है।

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