धर्म व ज्योतिष

Ganesh Chaturthi 2023: जानिए गणेश चतुर्थी कब है, जान लीजिए त्यौहार से जुड़ी हर महत्वपूर्ण जानकरी सही तिथि, पूजा मुहूर्त और इसका महत्व

नई दिल्ली – Ganesh Chaturthi 2023 Date and Shubh Muhurat: सनातन धर्म में भगवान गणेश की उपासना का विशेष महत्व है। भगवान गणेश की उपासना प्रथम देवता के रूप में की जाती है। बता दें कि प्रत्येक वर्ष भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन भगवान गणेश का जन्मोत्सव हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन गणपति बप्पा को गाजे-बाजे के साथ भगवान गणेश को घर लाया है और विधिवत उपासना की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की उपासना करने से साधक को सुख, समृद्धि, बल एवं बुद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है। आइए जानते हैं, वर्ष 2023 में कब मनाया जाएगा गणेश चतुर्थी पर्व?

जानिए गणेश चतुर्थी 2023 सही तिथि
हिंदू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि 18 सितंबर दोपहर 02:09 से 19 सितंबर दोपहर 03:13 तक रहेगी। ऐसे में गणेश चतुर्थी पर्व 19 सितंबर 2023, मंगलवार के दिन धूमधाम से मनाया जाएगा। इस दिन पूजा मुहूर्त सुबह 11:01 से दोपहर 01:26 तक रहेगा।

जानिए गणेश विसर्जन 2023 कब है?
वैदिक पंचांग के अनुसार, अनंत चतुर्दशी के दिन गणपति बप्पा को विदा किया जाता है। पंचांग में बताया गया है कि गणेश चतुर्थी पर्व का समापन इस वर्ष 28 सितंबर 2023, गुरुवार के दिन होगा और इसी दिन देश भर में गणेश विसर्जन किया जाएगा।

जानिए गणेश चतुर्थी पूजा विधान

शास्त्रों के अनुसार, गणेश चतुर्थी पर्व के दिन साधक सुबह स्नान-ध्यान करें और पूजा स्थल की अच्छे से साफ-सफाई करें। इसके बाद भगवान गणेश की विधिवत उपासना करें। शुभ मुहूर्त के समय ईशान कोण में एक साफ चौकी पर नया वस्त्र बिचकर भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित करें और नितदिन सुबह व संध्या काल में विधिवत उपासना करें। पूजा के बाद आरती अवश्य करें।

गणेश उत्सव- 10 दिन तक होती है बप्पा की पूजा

दिन 1 – गणेश जी का स्वागत, मूर्ति स्थापना
गणेश चतुर्थी की शुरुआत घरों या सार्वजनिक पंडालों में भगवान गणेश की मूर्ति की स्थापना और पूजा से होती है। विभिन्न आकारों की मिट्टी की मूर्तियों से बाज़ार सज जाता है। इस दिन गणेश जी की घरों में स्थापना की जाती है। कह सकते हैं, इस दिन गणेश जी का स्वागत किया जाता है उन्हें घर में स्थान दिया जाता है।

दिन 2 – महोत्सव का मुख्य दिन
दूसरे दिन को “चतुर्थी” के रूप में मनाया जाता है। गणेश उत्सव का ये एक महत्वपूर्ण दिन होता है।

दिन 3 – भगवान गणेश की विशेष प्रार्थना और आरती
तीसरे दिन, भक्तगण भगवान गणेश की विशेष प्रार्थना करते हैं और आरती के साथ कहीं कहीं अनुष्ठान भी करने की पंरपरा है।

दिन 4 – आरती- पूजा और प्रसाद वितरण
चौथा दिन भगवान गणेश को विशेष प्रार्थना की जाती है। इसके साथ ही बप्पा की आरती, भजन का आयोजन किया जाता है। इसके बाद मिठाई और प्रसाद का वितरण किया जाता है।

दिन 5 – षोडशोपचार पूजा के साथ भगवान गणेश की पूजा
पांचवें दिन “षोडशोपचार पूजा” करते हैं और भगवान गणेश की विशेष प्रार्थना करते हैं। इस प्रक्रिया का महत्वपूर्ण माना गया है।

दिन 6 – पूजा-आरती
छठे दिन को “षष्ठी” के रूप में जाना जाता है और इसे व्यक्तियों के घरों में विशेष प्रार्थना और आरती के साथ मनाया जाता है। इस दिन दान आदि का भी विशेष महत्व बताया गया है।

दिन 7 – सप्तपदी अर्पित करना
सातवें दिन भगवान गणेश को भक्तगण “सप्तपदी” की क्रिया करते हैं। इस दिन गणेश जी की विशेष पूजा करते हैं।

दिन 8 – अष्टमी
आठवें दिन को “अष्टमी” के रूप में जाना जाता है और इस दिन विशेष प्रार्थना, आरती और भगवान गणेश को मिष्ठान में उनकी प्रिय मोदक और अन्य चीजों को प्रसाद चढ़ाया जाता है।

दिन 9 – नौ पौधों की पूजा
नौवें दिन “नवपत्रिका पूजा” करते हैं।

दिन 10 – गणेश विसर्जन
दसवें और अंतिम दिन भगवान गणेश की मूर्ति का विसर्जन किया जाता है। इस दिन बप्पा को विदाई दी जाती है। इस दिन आरती, भजन और गीत गाकर विदाई दी जाती है। इस दिन दान आदि जैसे पुण्य कार्य किए जाते हैं।

जानिए भारत में यह त्योहार कैसे मनाया जाता है?

गणेशोत्सव महाराष्ट्र, पुणे, गुजरात और कर्नाटक समेत कई राज्यों में भव्यता के साथ मनाया जाता है। इन राज्यों के हर क्षेत्र में लोकप्रिय सामुदायिक पूजाओं के अलावा, लोग गणेश मूर्तियों को घर पर भी लाते हैं और 10 दिनों तक पूजा करते हैं। वे उस स्थान को रोशनी और फूलों से सजाते हैं और अपने प्रिय देवता को अच्छे कपड़े, फूलों के आभूषण और बहुत कुछ पहनाते हैं। भक्त नए कपड़े भी पहनते हैं, घर की सफाई करते हैं और भगवान गणेश की पूजा करते हैं और मीठा और नमकीन भोग लगाते हैं।

Disclaimer: यहां सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। republicnow.in किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह अवश्य लें।

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