नई दिल्ली – Bihar Caste Census Report : अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले बिहार में जाति जनगणना के आंकड़े जारी कर दिए गए हैं। बिहार सरकार की ओर से जारी किए गए आंकड़ों में सबसे ज्यादा संख्या अति पिछड़ा वर्ग की है। पिछड़ा वर्ग और अति पिछड़ा वर्ग मिलाकर कुल 63 फीसदी आबादी है। यादव बिरादरी की संख्या 14 फीसदी है। जबकि ब्राह्मणों की संख्या करीब 4 फीसदी है। करीब 20 फीसदी लोग अनुसूचित जाति से ताल्लुक रखते हैं।
गांधी जयंती के अवसर पर बिहार सरकार की ओर से सोमवार को जारी आंकड़ों में जाति के आधार पर देखा जाए तो यहां पर सबसे अधिक अति पिछड़ा वर्ग (EBC) की आबादी है और इनकी संख्या 36.01 फीसदी है। इसके बाद ओबीसी (पिछड़ा वर्ग) का नंबर आता है और इनकी संख्या 27.13 फीसदी है। तीसरे नंबर पर सामान्य वर्ग (15.52 फीसदी) आबादी है।
बिहार में यादवो का आबादी सबसे ज्यादा
प्रदेश में यादव बिरादरी की आबादी सबसे ज्यादा है। यहां पर यादव बिरादरी के करीब 14 फीसदी लोग रहते हैं। यादव बिरादरी में ग्वाला, अहीर, घासी, सदगोप और मैहर जैसी कई अन्य जाति भी शामिल की गई हैं।
यादव के बाद दूसरे नंबर पर कुशवाहा (कोईरी) आबादी का नंबर है और इनकी संख्या 4.21 फीसदी है। ब्राह्मण समाज की आबादी की बात करें तो यहां पर 3.86 फीसदी आबादी निवास करती है। राजपूत समाज की संख्या 3.45 फीसदी है। जबकि मुसहर जाति के 3.08 फीसदी लोग यहां पर रहते हैं।
कुर्मी जाति की कितनी आबादी
बिहार की राजनीति में कुर्मी समाज की खासी अहमियत रहती है और इनकी संख्या 2.87 फीसदी है। बढ़ई समाज की संख्या 1.45 फीसदी है। इनके अलावा पासी समाज के 0.98 फीसदी लोग यहां पर रहते हैं। मल्लाह के 2.6 फीसदी बिहार के निवासी हैं।
मुस्लिम (जुलाहा/अंसारी)-3.54 प्रजापति(कु्म्हार)-1.40 कानू- 2.2 तेली-2.81 शेख-3.82 दुसाध, धारी, धरही-5.3 धानुक-2.1 नाई- 1.59
जाति जनगणना के मुताबिक, बिहार में बनिया समाज के 2.3 फीसदी तो कानू जाति के 2.6 फीसदी लोग रहते हैं। नोनिया की संख्या राज्य की कुल जनसंख्या का करीब 1.9 फीसदी है, इनके अलावा कुम्हार की संख्या 1.4 फीसदी है। बढ़ई समाज के लोगों की भी संख्या करीब 1.4 फीसदी है।