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Aditya-L1: अंतरिक्ष से आ गई खुशखबरी! आदित्य L-1 ने शुरू किया वैज्ञानिक प्रयोग

बेंगलुरू – Aditya-L1 : सूर्य का अध्ययन करने के लिए स्पेस में भेजे गए इसरो (ISRO) के पहले अंतरिक्ष मिशन आदित्य एल1 (Aditya L-1) ने बड़ी खुशखबरी दी है। आदित्य-एल1 ने अपना वैज्ञानिक प्रयोग शुरू कर दिया है. सूर्य का अध्ययन करने के लिए भारत की पहली अंतरिक्ष-आधारित सौर वेधशाला पर एक रिमोट सेंसिंग पेलोड ने पृथ्वी से 50,000 किलोमीटर से अधिक दूरी पर सुपरथर्मल आयनों, या बहुत ऊर्जावान कणों और इलेक्ट्रॉनों को मापना शुरू कर दिया है।

आदित्य-एल1 ने शुरू किया अपना काम
इसरो ने ‘एक्स’ पर किए अपने एक पोस्ट में बताया कि आदित्य-एल1 (Aditya-L1) में लगे STEPS उपकरण के सेंसर ने पृथ्वी से 50 हजार किमी से अधिक दूरी पर सुपर-थर्मल और ऊर्जावान आयनों और इलेक्ट्रॉनों को मापना शुरू कर दिया है।

डाटा से वैज्ञानिकों को मिलेगी मदद

https://twitter.com/isro/status/1703656190549622826?s=19

इसरो के मुताबिक, आदित्य-एल1 जिन डेटा को एकत्र करेगा, उससे वैज्ञानिकों को पृथ्वी के आसपास के कणों के व्यवहार का विश्लेषण करने में मदद मिलेगी। यह आंकड़ा किसी एक इकाई द्वारा एकत्र किए गए ऊर्जावान कण वातावरण में भिन्नता को प्रदर्शित करता है।

आदित्य-एल1 ने अब तक कितनी बार कक्षा बदली?
आदित्य-एल 1 ने अब तक चार बार (तीन सितंबर, पांच सितंबर, 10 सितंबर और 15 सितंबर को) कक्षा बदली है। अब पांचवीं बार यह 19 सितंबर को अपनी कक्षा बदलेगा। इसरो के मुताबिक, आदित्य एल1 की नई कक्षा 256 किमी x 121973 किमी है। यानी अब यह जिस कक्षा में है, उससे पृथ्वी की न्यूनतम दूरी 256 किमी और अधिकतम दूरी 121973 किमी है।

आदित्य एल-1 को कब लॉन्च किया गया?
आदित्य एल-1 को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से दो अगस्त को सुबह 11 बजकर 50 मिनट पर लॉन्च किया गया। यह भारत का पहला सूर्य मिशन है। इससे सूर्य के रहस्यों को समझने में वैज्ञानिकों को मदद मिलेगी।

आज रात हमेशा के लिए पृथ्वी छोड़ देगा आदित्य एल1
वहीं आदित्य एल1 अपने मिशन के एक महत्वपूर्ण चरण को शुरू करने के लिए तैयार है। ISRO ने कहा है कि अंतरिक्ष यान सोमवार की मध्यरात्रि में ट्रांस-लैग्रेंजियन प्वाइंट 1 इंसर्शन (TL1I) से गुजरेगा। TL1 इंसर्शन पृथ्वी की कक्षा से एक प्रक्षेपण है जो 19 सितंबर को भारतीय समयानुसार सुबह लगभग 2:00 बजे आयोजित किया जाएगा। यह पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर स्थित सूर्य-पृथ्वी लैग्रेंज बिंदु 1 (L1) की लगभग 110-दिवसीय यात्रा की शुरुआत का प्रतीक है।

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