Aditya L-1 ने लगाई चौथी बार सफल छलांग, सूर्य के करीब पहुंचा भारत

बेंगलुरु – ISRO Solar Mission Aditya L1 : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने एक्स (पहले ट्विटर) पर इसकी जानकारी शेयर की है। जिसमें भारत के सूर्य मिशन आदित्य एल-1 ने चौथी बार सफलतापूर्वक कक्षा बदली है। इसरो (ISRO) ने बताया कि चौथी बार कक्षा बदलने की प्रक्रिया के लिए थ्रस्टर फायर किए गए। इससे पहले 3, 5 और 10 सितंबर को सफलतापूर्वक कक्षा बदलने की प्रक्रिया पूरी की गई थी। आदित्य एल-1 ने 10 सितंबर को तीसरी बार अपनी कक्षा बदली थी।
कब होगी ऑर्बिट बढ़ाने की अगली प्रक्रिया?
ISRO ने आदित्य एल1 की अर्थ ऑर्बिट को चौथी बार बढ़ाने का काम शुक्रवार को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया। मॉरीशस, बेंगलुरु, एसडीएससी-एसएचएआर और पोर्ट ब्लेयर में इसरो के ग्राउंड स्टेशनों ने इस ऑपरेशन के दौरान आदित्य एल1 को ट्रैक किया। इसके बाद आदित्य एल1 को 256 किमी. x 121973 किमी. की नई ऑर्बिट हासिल हो गई है। इसरो के अनुसार आदित्य एल1 की ऑर्बिट बढ़ाने की अगली कार्रवाई 19 सितंबर को लगभग 2 बजे होनी है। इसके बाद आदित्य एल1 की ट्रांस-लैग्रेजियन पॉइंट 1 की ओर पृथ्वी से विदाई हो जाएगी।
आदित्य एल-1 की कब हुई थी लॉन्चिंग ?
सूर्य मिशन आदित्य एल-1 (Aditya-L1) को दो सितंबर की सुबह 11:50 बजे पर आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से लॉन्च किया गया था। यह मिशन पृथ्वी से 15 लाख किमी दूर एल-1 प्वाइंट पर जाएगा और वहां से सूर्य के रहस्यों से पर्दा उठाएगा।
सूर्य से उचित दूरी बनाए रखेगा Aditya-L1
सूरज की सतह से थोड़ा ऊपर फोटोस्फेयर का तापमान तकरीबन 5500 डिग्री सेल्सियस रहता है। उसके केंद्र का अधिकतम तापमान करीब 1.50 करोड़ डिग्री सेल्सियस रहता है। ऐसी स्थिति में किसी यान या स्पेसक्राफ्ट का वहां तक पहुंच पाना संभव नहीं है। इसलिए इस स्थिति को देखते हुए किसी भी स्पेसक्राफ्ट्स को सूरज से उचित दूरी पर रखा जाता है। ISRO के वैज्ञानिकों का कहना है कि ‘Aditya L1’ को सूरज से इतनी दूरी पर रखा जाएगा कि उसे किसी भी तरह का कोई नुकसान न हो।