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जगन्नाथ यात्रा में पुरी के राजा लगाते हैं सोने की झाड़ू, हर 12 साल में बदलती है भगवान की मूर्ति

पुरी, ओडिशा: श्री जगन्नाथ रथ यात्रा केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि आस्था, परंपरा और रहस्य का संगम है। इस पावन अवसर पर पुरी के गजपति राजा स्वयं सोने की झाड़ू से मार्ग की सफाई करते हैं। यह परंपरा हर वर्ष उसी श्रद्धा से निभाई जाती है, जैसे सदियों पहले होती आई है।

महाप्रभु जगन्नाथ को कलियुग का भगवान कहा जाता है। वे अपनी बहन देवी सुभद्रा और भाई बलराम के साथ पुरी के मंदिर में विराजमान हैं। हालांकि यह मंदिर जितना विशाल है, उतना ही रहस्यमयी भी।

हर 12 वर्ष में बदलती है मूर्ति, होता है रहस्यमयी ‘ब्रह्म पदार्थ’ का स्थानांतरण

हर 12 साल में एक विशेष रात को भगवान जगन्नाथ की मूर्ति बदली जाती है। उस समय पूरा पुरी शहर ब्लैकआउट में डूब जाता है। सुरक्षा की दृष्टि से CRPF के जवान मंदिर को चारों ओर से घेर लेते हैं

इस दौरान, पट्टियों से आंखें ढंके पुजारी और दस्ताने पहने हुए ही मंदिर में प्रवेश करते हैं। वे पुरानी मूर्ति से “ब्रह्म पदार्थ” निकालकर नई मूर्ति में स्थापित करते हैं। यह प्रक्रिया पूरी तरह गोपनीय होती है।

कुछ पुजारी कहते हैं कि यह पदार्थ “खरगोश” की तरह उछलता है। इसका संबंध श्रीकृष्ण की दिव्य चेतना से जोड़ा जाता है, लेकिन आज तक किसी ने इसे देखा नहीं, सिर्फ महसूस किया है।

मंदिर के अद्भुत वैज्ञानिक रहस्य

  1. मंदिर के सिंहद्वार में प्रवेश करते ही समुद्र की आवाज सुनाई नहीं देती, लेकिन बाहर कदम रखते ही लहरों की गूंज स्पष्ट हो जाती है।
  2. मंदिर के मुख्य शिखर पर कभी कोई परछाईं नहीं पड़ती, चाहे दिन का कोई भी समय हो।
  3. मंदिर की चोटी पर कोई पक्षी उड़ता तक नहीं, न ही कभी बैठता है।
  4. शिखर पर लहराता ध्वज प्रतिदिन बदला जाता है। मान्यता है कि यदि एक दिन भी झंडा न बदला जाए, तो मंदिर 18 वर्षों तक बंद हो सकता है।
  5. शिखर पर स्थित सुदर्शन चक्र हर दिशा से देखने पर आपके सामने प्रतीत होता है, जो आश्चर्यजनक है।

रसोई और प्रसाद की दिव्यता

मंदिर की रसोई में प्रसाद 7 मिट्टी के बर्तनों में ऊपर नीचे रखकर पकाया जाता है, लेकिन चमत्कार यह है कि ऊपर वाला बर्तन पहले पकता है

इसके अलावा, प्रतिदिन हजारों लोगों को प्रसाद वितरित किया जाता है, लेकिन न कभी यह कम पड़ता है और न ही बचता है। मंदिर के पट बंद होते ही प्रसाद भी समाप्त हो जाता है, यह आज भी श्रद्धा और वैज्ञानिक सोच के बीच एक अनुत्तरित रहस्य बना हुआ है।

श्री जगन्नाथ की कृपा सब पर बनी रहे

अंततः, जगन्नाथ यात्रा केवल श्रद्धा की यात्रा नहीं, बल्कि रहस्यों और परंपराओं का जीवंत उदाहरण है, जो भारत की आध्यात्मिक विरासत को और भी गहराई से दर्शाता है।

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