
Israel Iran Conflict : मध्य पूर्व एक बार फिर उथल-पुथल के दौर से गुजर रहा है। इजरायल और ईरान के बीच गहराते तनाव ने वैश्विक सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। वहीं अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति और आगामी चुनाव के प्रबल उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप इस मामले पर राजनीतिक दुविधा में फंसे नजर आ रहे हैं।
क्या है इजरायल-ईरान के बीच तनाव की जड़?
- इजरायल ने हाल ही में ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर कड़ा रुख अपनाया है।
- दूसरी ओर, ईरान ने स्पष्ट किया है कि वह किसी भी हमले का करारा जवाब देगा।
- सीरिया, लेबनान और गाजा जैसे इलाकों में दोनों देशों के समर्थक समूहों में बढ़ती झड़पें इस संघर्ष को और उग्र बना रही हैं।
दुनिया की नजरें क्यों हैं इस युद्ध पर?
- इस संघर्ष में अमेरिका, रूस, चीन, सऊदी अरब और यूरोपीय संघ जैसे शक्तिशाली देशों के हित जुड़े हुए हैं।
- यदि युद्ध छिड़ता है, तो वैश्विक तेल आपूर्ति और मध्य-पूर्व की स्थिरता पर गंभीर असर पड़ेगा।
- यूनाइटेड नेशन्स और G7 देशों ने अब तक संयम बरतने की अपील की है।
डोनाल्ड ट्रंप क्यों हैं असमंजस में?
- डोनाल्ड ट्रंप के लिए यह मुद्दा अमेरिकी चुनावी रणनीति का हिस्सा बन सकता है।
- ट्रंप के नेतृत्व में अमेरिका पहले ही ईरान से कई समझौते तोड़ चुका है, जिनमें परमाणु समझौता भी शामिल है।
- अब यदि वे युद्ध के पक्ष में बोलते हैं, तो “युद्धप्रिय” नेता की छवि बनेगी, और यदि चुप रहते हैं, तो “कमज़ोर” दिख सकते हैं।
ट्रंप की चुप्पी क्या संकेत देती है?
- ट्रंप की हालिया रैलियों में इस मुद्दे पर कोई सख्त बयान नहीं आया।
- विशेषज्ञों का मानना है कि वे इस समय “वेट एंड वॉच” की नीति अपना रहे हैं।
- रिपब्लिकन पार्टी के भीतर भी इस विषय पर मतभेद हैं — कुछ नेता सैन्य हस्तक्षेप की वकालत कर रहे हैं, तो कुछ कूटनीति की।
क्या हो सकता है भविष्य?
- यदि इजरायल और ईरान के बीच तनाव बढ़ा, तो अमेरिका को मध्यस्थता करनी ही पड़ेगी।
- ट्रंप और बाइडेन दोनों पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ेगा कि वे पक्ष चुनें या संघर्ष को रोकें।
- भारत, तुर्की और यूएई जैसे देश भी इस मसले में शांतिदूत की भूमिका निभा सकते हैं।
इजरायल-ईरान युद्ध एक ऐसा मुद्दा बन गया है, जिस पर केवल गोलियां नहीं बल्कि राजनीति, कूटनीति और वैश्विक संतुलन की परीक्षा हो रही है। डोनाल्ड ट्रंप जैसे नेताओं की रणनीति न केवल अमेरिका, बल्कि पूरी दुनिया की दिशा तय कर सकती है।