Indian Airlines : बार-बार विमान दुर्घटना के शिकार, अब हवाई सुरक्षा पर उठने लगे हैं गंभीर सवाल

Indian Airlines : अहमदाबाद में एयर इंडिया का विमान दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद समग्र हवाई सुरक्षा व्यवस्था पर दोबारा ध्यान केंद्रित हुआ है। ऐसा इसलिए, क्योंकि इस साल अब तक ऐसी दो बड़ी विमान दुर्घटनाएं हो चुकी हैं। वर्तमान में दुर्घटना का शिकार विमान बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर 2023 में भी हादसों के मामलों में दूसरे नंबर पर था। अधिकांश विमानन दुर्घटनाएं लैंडिंग के दौरान होती हैं और इसके बाद टेकऑफ के दौरान विमान गिरने की घटनाएं सबसे अधिक होती हैं। भले ही अहमदाबाद में दुर्घटना शेड्यूल विमान बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर के साथ हुई, लेकिन 2023 में अधिक हवाई दुर्घटनाएं चार्टर्ड उड़ान और फ्लाइंग ट्रेनिंग के दौरान हुए।
विमान दुर्घटनाओं की संख्या में जो बढ़ोतरी
भारत समेत दुनियाभर में पिछले कुछ वर्षों में विमान दुर्घटनाओं की संख्या में जो बढ़ोतरी देखी जा रही है, उसने वैश्विक नागरिक उड्डयन सुरक्षा पर गंभीर प्रश्नचिह्न खड़े कर दिए हैं। हाल ही में हुई एयर इंडिया एक्सप्रेस की त्रासदी और कई अन्य घटनाएं एक नई बहस को जन्म दे रही हैं — क्या हवाई यात्रा अब भी उतनी ही सुरक्षित है जितनी हम मानते थे?
हाल की प्रमुख विमान दुर्घटनाएँ
- 2020 – कोझीकोड (केरल) – भारी बारिश में रनवे पर फिसला विमान, 21 लोगों की मौत।
- 2018 – नेपाल विमान दुर्घटना – बांग्लादेश का यात्री विमान लैंडिंग के वक्त क्रैश हुआ, 49 मृत।
- 2014 – मलेशिया एयरलाइंस MH370 – विमान रहस्यमय तरीके से गायब, आज तक कोई पुख्ता सबूत नहीं।
इन घटनाओं ने यात्रियों के मन में यह सवाल पैदा कर दिया है कि क्या एयरलाइंस कंपनियां और सरकारें पर्याप्त सुरक्षा उपाय कर रही हैं?
क्या हवाई यात्रा अब सुरक्षित नहीं रही?
विमान यात्रा संभावना की दृष्टि से अभी भी सड़क और रेल यात्रा की तुलना में सुरक्षित मानी जाती है, लेकिन हाल की घटनाएं इस भरोसे को कमजोर करती हैं। विशेषज्ञों के अनुसार:
- 80% दुर्घटनाएं “मानव त्रुटि” से जुड़ी होती हैं।
- विकासशील देशों में रखरखाव मानकों और ट्रेनिंग में कमी देखी जाती है।
- कई एयरलाइंस कॉस्ट कटिंग के चक्कर में सुरक्षा उपायों से समझौता कर बैठती हैं।
सरकार और DGCA की भूमिका पर सवाल
भारत में हवाई यात्रा की निगरानी के लिए DGCA (Directorate General of Civil Aviation) जिम्मेदार है। लेकिन हाल की घटनाओं से यह सवाल उठ रहा है कि:
- क्या DGCA पर्याप्त रूप से निरीक्षण करता है?
- क्या सभी एयरलाइंस मानकों के अनुसार तकनीकी जांच करवा रही हैं?
- क्यों हर दुर्घटना के बाद ही “जांच समिति” बनती है, पहले क्यों नहीं रोकथाम की जाती?