
RBI Digital Payment Rules : भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने डिजिटल पेमेंट और प्रीपेड इंस्ट्रूमेंट (PPI) कंपनियों के लिए नई गाइडलाइन जारी की है। इस गाइडलाइन का सीधा असर Paytm, PhonePe, Amazon Pay, Google Pay जैसी कंपनियों समेत कुल 32 संस्थानों पर पड़ेगा। आरबीआई का कहना है कि डिजिटल पेमेंट सेक्टर में सुरक्षा और पारदर्शिता सुनिश्चित करना अब बेहद ज़रूरी हो गया है, ताकि ग्राहकों का भरोसा बना रहे और धोखाधड़ी के मामले कम हों।
इस नई गाइडलाइन में कई अहम बदलाव किए गए हैं, जिन्हें 6 प्रमुख बिंदुओं में समझा जा सकता है।
1. ग्राहकों के पैसे की सुरक्षा (Escrow Account अनिवार्यता)
RBI ने साफ कर दिया है कि सभी पेमेंट कंपनियों को ग्राहकों के पैसे को अलग एस्क्रो अकाउंट में रखना होगा। इसका मतलब यह हुआ कि कंपनियां ग्राहकों के फंड का इस्तेमाल अपने ऑपरेशनल खर्च या निवेश के लिए नहीं कर सकेंगी।
- इससे ग्राहक का पैसा हमेशा सुरक्षित रहेगा।
- अगर कंपनी पर कोई वित्तीय संकट आता है, तब भी यूज़र का पैसा प्रभावित नहीं होगा।
2. KYC प्रक्रिया होगी और सख्त
Paytm और PhonePe जैसी कंपनियों को अपने सभी ग्राहकों की KYC (Know Your Customer) प्रक्रिया पूरी करनी होगी। अब आंशिक KYC वाले वॉलेट्स या अकाउंट्स पर प्रतिबंध कड़ा होगा।
- केवल वही ग्राहक पूरी सुविधाएं इस्तेमाल कर पाएंगे जिनकी KYC पूरी हो चुकी है।
- अधूरी KYC वाले ग्राहकों को वॉलेट में बड़ी रकम रखने या ट्रांसफर करने की इजाजत नहीं होगी।
3. ट्रांजेक्शन लिमिट तय
आरबीआई ने डिजिटल वॉलेट्स और प्रीपेड कार्ड्स के लिए ट्रांजेक्शन लिमिट्स तय की हैं।
- अब एक यूज़र वॉलेट से एक निश्चित सीमा से ज्यादा पैसे का लेनदेन नहीं कर पाएगा।
- यह कदम मनी लॉन्ड्रिंग और फर्जीवाड़े को रोकने के लिए उठाया गया है।
- UPI और कार्ड पेमेंट्स के लिए भी लिमिट्स पर पुनर्विचार किया जा रहा है।
4. कंपनियों पर पारदर्शिता की जिम्मेदारी
नई गाइडलाइन के तहत कंपनियों को अपने यूज़र्स को हर ट्रांजेक्शन की पूरी जानकारी स्पष्ट रूप से देनी होगी।
- चार्जेज, सर्विस फी और अन्य कटौतियों की जानकारी ग्राहक को पहले ही देनी होगी।
- ऐप्स और वेबसाइट्स पर ग्राहक हित से जुड़ी पॉलिसीज को आसान भाषा में समझाना अनिवार्य होगा।
5. साइबर सुरक्षा और डेटा प्रोटेक्शन
डिजिटल पेमेंट सेक्टर में धोखाधड़ी और साइबर हमलों की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए RBI ने कंपनियों को साइबर सुरक्षा पर विशेष जोर देने को कहा है।
- सभी कंपनियों को नियमित साइबर ऑडिट कराना होगा।
- ग्राहक का डेटा भारत में ही सुरक्षित सर्वर पर स्टोर करना होगा।
- अंतरराष्ट्रीय सर्वर पर डेटा भेजने के लिए विशेष अनुमति लेनी होगी।
6. रिजर्व कैपिटल और कंप्लायंस
RBI ने यह भी अनिवार्य किया है कि कंपनियों के पास एक निश्चित नेटवर्थ और रिजर्व कैपिटल होना चाहिए।
- इससे यह सुनिश्चित होगा कि कंपनी अचानक बंद न हो जाए।
- कंपनियों को हर तिमाही में अपने वित्तीय रिकॉर्ड RBI को सौंपने होंगे।
- नियमों का पालन न करने पर लाइसेंस रद्द किया जा सकता है।
किन कंपनियों पर लागू होंगी गाइडलाइन?
RBI की यह गाइडलाइन कुल 32 कंपनियों पर लागू होगी, जिनमें प्रमुख नाम शामिल हैं:
- Paytm Payments Bank
- PhonePe
- Amazon Pay
- Google Pay
- Airtel Payments Bank
- Jio Payments Bank
- Mobikwik
- Freecharge
इनके अलावा कई छोटे डिजिटल वॉलेट और PPI जारी करने वाली कंपनियां भी इसमें शामिल हैं।
ग्राहकों पर क्या असर पड़ेगा?
नई गाइडलाइन से ग्राहकों को सीधे तौर पर कई फायदे होंगे:
- उनका पैसा और ज्यादा सुरक्षित रहेगा।
- धोखाधड़ी और फ्रॉड के मामले कम होंगे।
- ट्रांजेक्शन लिमिट तय होने से फर्जी लेनदेन पर रोक लगेगी।
- चार्जेज और नियम स्पष्ट होने से पारदर्शिता बढ़ेगी।
हालांकि, कुछ ग्राहकों को KYC प्रक्रिया और ट्रांजेक्शन लिमिट्स को लेकर दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है।
कंपनियों पर दबाव
नई गाइडलाइन कंपनियों के लिए चुनौतीपूर्ण भी साबित हो सकती है।
- KYC और साइबर सुरक्षा पर भारी निवेश करना होगा।
- रिजर्व कैपिटल बनाए रखना और नियमित रिपोर्टिंग करना अतिरिक्त बोझ डालेगा।
- छोटे स्तर की फिनटेक कंपनियों को टिके रहना मुश्किल हो सकता है।
डिजिटल पेमेंट्स भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ बन चुके हैं। रोज़ाना करोड़ों लोग UPI, वॉलेट्स और प्रीपेड कार्ड्स के जरिए लेनदेन करते हैं। ऐसे में RBI की नई गाइडलाइन का मकसद ग्राहकों की सुरक्षा और सिस्टम में पारदर्शिता सुनिश्चित करना है।
जहां एक ओर इन नियमों से आम यूज़र को फायदा होगा, वहीं पेमेंट कंपनियों पर अतिरिक्त दबाव भी पड़ेगा। आने वाले महीनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि Paytm और PhonePe जैसी कंपनियां इन नियमों को लागू करने के लिए क्या रणनीति अपनाती हैं।