Shubhanshu Shukla Returns to India : आ गया हिंद का सितारा… भारत का अंतरिक्ष नायक, 41 साल बाद रचा इतिहास

नई दिल्ली: भारत की 140 करोड़ जनता का इंतजार आखिरकार पूरा हुआ। भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला रविवार तड़के स्वदेश लौट आए। अंतरिक्ष में परचम लहराने वाले शुभांशु, अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे भारतीय और इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) का दौरा करने वाले पहले भारतीय बने हैं। उनका विमान जब दिल्ली के इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर उतरा तो वहां ढोल-नगाड़ों, भारत माता के जयकारों और राष्ट्रीय ध्वज लहराते लोगों की भारी भीड़ उमड़ी।
ग्रैंड वेलकम: भारत के लाल का सम्मान
केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह, दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता, ISRO के अध्यक्ष डॉ. वी. नारायणन और बड़ी संख्या में मौजूद छात्रों ने शुभांशु शुक्ला का गर्मजोशी से स्वागत किया।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर उनका स्वागत वीडियो साझा करते हुए लिखा
“भारत के लिए गौरव का क्षण, ISRO के लिए गौरव का क्षण! मां भारती के प्रतिष्ठित सपूत गगनयात्री शुभांशु शुक्ला आज तड़के दिल्ली पहुंचे हैं।”
इस मौके पर उनके साथ ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालकृष्णन नायर भी मौजूद थे, जिन्हें भारत के पहले मानव मिशन गगनयान के लिए नामित किया गया है।
कब गए थे अंतरिक्ष में?
- शुभांशु शुक्ला 25 जून 2025 को नासा के कैनेडी स्पेस सेंटर (फ्लोरिडा) से लॉन्च हुए Axiom-4 मिशन का हिस्सा बने।
- वह ISS में वैज्ञानिक प्रयोग करने गए थे।
- 15 जुलाई को कैलिफोर्निया के तट पर सुरक्षित लौटे और 17 अगस्त की सुबह भारत पहुंचे।
- इस मिशन के बाद वह भारत लौटने वाले पहले ऐसे व्यक्ति बने जिन्होंने ISS का दौरा किया।
41 साल बाद रचा इतिहास
1984 में राकेश शर्मा के बाद, 41 साल बाद किसी भारतीय ने अंतरिक्ष की यात्रा की है। लेकिन शुभांशु ने इतिहास रचते हुए ISS तक पहुंचने वाले पहले भारतीय होने का गौरव प्राप्त किया।
प्रधानमंत्री से मुलाकात और राष्ट्रीय सम्मान
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस भाषण में शुभांशु का उल्लेख किया था।
- उम्मीद है कि जल्द ही उनकी पीएम मोदी से मुलाकात होगी।
- 23 अगस्त को आयोजित राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस समारोह में भी शुभांशु विशेष रूप से शामिल होंगे।
भारत को मिलेगा बड़ा लाभ
शुभांशु शुक्ला के अनुभव से अब भारत के गगनयान मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम को गति मिलेगी।
- इसरो और भारत सरकार का मानना है कि उनके प्रयोग और अनुभव भविष्य की तैयारियों में सहायक होंगे।
- गगनयान मिशन की शुरुआत इस वर्ष के अंत में एक मानवरहित उड़ान से होगी।
- आने वाले समय में भारत पूरी तरह स्वदेशी अंतरिक्ष यान से अपने गगनयात्री को अंतरिक्ष भेज सकेगा।
“शुभांशु शुक्ला का यह मिशन न सिर्फ भारत की अंतरिक्ष यात्रा में ऐतिहासिक मील का पत्थर है, बल्कि आने वाले गगनयान मिशन की मजबूत नींव भी है। 41 साल बाद भारत ने फिर से अंतरिक्ष में अपनी मौजूदगी दर्ज कराई है और अब दुनिया को यह संदेश दिया है कि भारत अंतरिक्ष विज्ञान में नई ऊंचाइयां छूने के लिए तैयार है।”