
Supreme Court : देशभर में आवारा कुत्तों के बढ़ते हमलों और उनसे जुड़े विवादों पर सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई आज पूरी हो गई है। कोर्ट ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया है। यह मामला कई राज्यों और नगर निकायों में आवारा कुत्तों की संख्या और उनके प्रबंधन से जुड़े कानूनों पर केंद्रित है।
मामला क्या है?
पिछले कुछ वर्षों में कई राज्यों से आवारा कुत्तों द्वारा लोगों पर हमले और काटने की घटनाओं में बढ़ोतरी की शिकायतें आई हैं। केरल, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, बिहार, तमिलनाडु सहित कई राज्यों में इन घटनाओं ने जन सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ा दी है। इसको लेकर विभिन्न याचिकाएं दायर की गई थीं, जिनमें मांग की गई कि केंद्र और राज्य सरकारें आवारा कुत्तों के नियंत्रण और टीकाकरण के लिए ठोस कदम उठाएं।
सुप्रीम कोर्ट में क्या हुआ?
- मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र सरकार, कई राज्य सरकारों, नगर निगमों और पशु अधिकार संगठनों की दलीलें सुनीं।
- याचिकाकर्ताओं ने कहा कि आवारा कुत्तों की संख्या अनियंत्रित है और मौजूदा कानूनों के बावजूद इन पर रोकथाम के प्रभावी उपाय नहीं हो पा रहे हैं।
- पशु अधिकार संगठनों ने दलील दी कि कुत्तों को मारना या क्रूर तरीके से हटाना गैरकानूनी है और केवल नसबंदी व टीकाकरण के जरिए ही इस समस्या का हल निकाला जा सकता है।
- कुछ राज्य सरकारों ने कोर्ट को बताया कि उन्होंने नसबंदी और टीकाकरण कार्यक्रम चलाए हैं, लेकिन बजट और संसाधनों की कमी के कारण लक्ष्य हासिल करना मुश्किल है।
केंद्र सरकार का रुख
केंद्र ने बताया कि Animal Birth Control (ABC) Rules, 2023 के तहत आवारा कुत्तों की आबादी को नियंत्रित करने के लिए व्यापक नीति बनाई गई है, जिसमें नसबंदी, टीकाकरण और सुरक्षित पुनर्वास की व्यवस्था है। साथ ही, नागरिकों की सुरक्षा के लिए नगर निकायों को जरूरी दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं।
फैसला क्यों अहम है?
- यह फैसला आने वाले समय में आवारा कुत्तों के प्रबंधन और उनके अधिकारों के संतुलन पर एक बड़ा मार्गदर्शन देगा।
- नगर निकायों और राज्य सरकारों के लिए स्पष्ट निर्देश तय होंगे कि किस तरह से इंसानों की सुरक्षा और जानवरों के कल्याण के बीच संतुलन बनाया जाए।
- यह निर्णय पूरे देश में एक समान नीति लागू करने का मार्ग प्रशस्त कर सकता है।
अगला कदम
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सभी दस्तावेज और दलीलों का अध्ययन करने के बाद जल्द ही फैसला सुनाया जाएगा। तब तक वर्तमान दिशा-निर्देश लागू रहेंगे।