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ASP Anuj Chaudhary : ASP बनने के बाद प्रेमानंद महाराज के आश्रम पहुंचे अनुज चौधरी, संत प्रेमानंद महाराज से पूछा अहम सवाल

ASP Anuj Chaudhary : वृंदावन में पहुंचे एएसपी अनुज चौधरी ने संत प्रेमानंद महाराज से एक बेहद संवेदनशील और कानूनी दृष्टि से महत्वपूर्ण प्रश्न किया।
उन्होंने पूछा –

“जब किसी केस में वादी पक्ष यह कहता है कि उसके बेटे की हत्या हुई है, लेकिन कोई स्पष्ट साक्ष्य नहीं होता, और आरोपी पक्ष यह दावा करता है कि वह घटनास्थल पर था ही नहीं, ऐसे में क्या किया जाना चाहिए?”

संत प्रेमानंद महाराज का जवाब

महाराज जी ने कहा –

  • कानून और न्याय की नींव सत्य और साक्ष्य पर आधारित होती है।
  • केवल आरोप लगाने से अपराध सिद्ध नहीं होता, इसके लिए ठोस और प्रत्यक्ष प्रमाण आवश्यक हैं।
  • अगर कोई साक्ष्य नहीं है, तो जांच एजेंसियों को तथ्यों की गहराई में जाकर जांच करनी चाहिए, न कि केवल अनुमान या भावनाओं के आधार पर निर्णय लेना चाहिए।
  • आरोपी के अलीबाई (alibi) यानी “मैं घटनास्थल पर था ही नहीं” जैसे दावे की भी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए।
  • यदि साक्ष्य नहीं मिलते हैं, तो न्यायालय आरोपी को लाभ देता है, क्योंकि कानून में “संदेह का लाभ आरोपी को” (Benefit of doubt) दिया जाता है।

कानूनी दृष्टिकोण

भारतीय दंड संहिता (IPC) और आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CrPC) के तहत –

  • अभियोजन (Prosecution) का दायित्व है कि वह यह साबित करे कि अपराध हुआ है और आरोपी ही उसका दोषी है।
  • धारा 302 IPC (हत्या) के मामलों में बिना प्रत्यक्ष प्रमाण के, परिस्थितिजन्य साक्ष्यों की कड़ी और निरंतरता बेहद जरूरी है।
  • यदि ये साक्ष्य भी नहीं हैं, तो अदालत आरोपी को दोषमुक्त कर सकती है।

“यह प्रश्न न केवल कानूनी प्रक्रिया की जटिलता को दर्शाता है, बल्कि यह भी बताता है कि न्याय केवल आरोपों पर नहीं, बल्कि साक्ष्यों पर आधारित होता है। भावनाएं महत्वपूर्ण हैं, लेकिन अदालत में केवल तथ्यों की ही गवाही चलती है।”

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