नई दिल्ली – अंग्रेजों के समय से चली आ रही First Information Report यानी FIR को आधुनिक तकनीकी के साथ तालमेल मिलाने को लेकर चर्चा चल रही है। अब केंद्र सरकार नेन्याय प्रणाली को सरल और सुगम बनाने के लिए कानून व्यवस्था में बड़ा बदलाव करने का निर्णय लिया है। इस बाबत विधि आयोग ने ई-एफआईआर का पंजीकरण शुरू करने चरणबद्ध तरीके से बदवाल की सिफारिश की है। जिसकी शुरुआत की बात तीन साल की जेल की सजा वाले अपराधों को लेकर की जानी है
E-FIR को लेकर सुझाव
विधि आयोग की ओर से पेश की गई रिपोर्ट में कहा गया है कि ई-एफआईआर एफआईआर के पंजीकरण में देरी की समस्या से इससे मुक्ति मिलेगी। वर्तमान में नागरिकों को कभी-कभी एफआईआर दर्ज करने और फिर अपराध में रिपोर्ट करने में विलंब का सामना करना पड़ता है।
विधि आयोग के अध्यक्ष जस्टिस रितु राज अवस्थी ने कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल को लिखे अपने पत्र में कहा कि प्रौद्योगिकी के विकास के कारण और सूचना संचार के साधन में तेजी से विकास हुआ है।
उन्होंने कहा कि सूचना और तकनीकी के विकास के साथ एफआईआर पंजीकरण की पुरानी प्रणाली आपराधिक सुधारों के लिए अच्छा नहीं है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि केंद्रीकृत पोर्टल शुरू होने से से पहली बार ई-प्राथमिकी दर्ज करना संभव होगा, जिससे नागरिकों को काफी सुविधाएं होगी।
देश में कहीं भी दर्ज किया जा सकेगा एफआईआर
इसके तहत अपराध चाहे देश के किसी भी हिस्से में हो, जीरो प्राथमिकी कहीं भी दर्ज कराई जा सकती है। फिलहाल जिस थाना इलाके में अपराध होता है। वहां भी प्राथमिकी दर्ज कराने का प्रावधान है. इस मामले की शिकायत संबंधित थाने को 15 दिनों के अंदर भेजने भी बात कही गई है
इसके साथ ही हर जिले में एक पुलिस अफसर होगा, वह अफसर आरोपियों के परिजनों को किसी व्यक्ति को गिरफ्त करने पर उसे प्रमाणपत्र देगा। यह सूचना अधिकारिक रूप से साथ-साथ व्यक्तिगत रूप से भी देनी होगी।
इसके साथ ही प्राथमिकी दर्ज करने के 90 दिनों के अंदर आरोप पत्र दायर करने होंगे और उसे 90 दिनों के लिए एक बार बढ़ाया भी जा सकता है।